बुढ़ार क्षेत्र में बटली और केशौरी रेत घाट आखिर किसके संरक्षण में है संचालित

संतोष टंडन
बुढ़ार। पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार गोस्वामी तथा कलेक्टर डॉ सत्येंद्र सिंह द्वारा माफियाओं के खिलाफ लगातार कार्यवाही करने के बाद भी बीते कुछ सप्ताहों से कोरोना संक्रमण में अधिकारियों की व्यस्तता का फायदा उठाकर खनिज माफिया ने बुढार थाना क्षेत्र अंतर्गत बटली और केशौरी घाट से दोबारा रेत का अवैध उत्खनन शुरू कर दिया है। खबर है कि प्रतिदिन रात में 10:00 बजे के बाद बटली रेत घाट में वाहनों को उतार दिया जाता है। जेसीबी और पोकलेन मशीनें रेत का अवैध उत्खनन करने में लग जाती हैं। अधिकारियों के ईसकी भनक ना हो इसके लिए शहडोल, बुढार के प्रमुख रास्तों पर रेत के माफिया अपने गुर्गों को खड़ा करके रैकी भी करवाते हैं। सुबह होते होते पूरा क्षेत्र साफ हो जाता है, और पहले से तकिए जगहों पर रेत पहुंच जाती है। खबर है कि प्रतिदिन लाखों का रेत घाट से निकाली जा रही है। जानकारी तो यह भी है कि इस पूरे मामले की खबर जिले में रेत का कारोबार कर रहे जिम्मेदार को नहीं है। या फिर है तो उनके कंपनी के निचले स्तर के कर्मचारियों ने सांठगांठ कर वरिष्ठ अधिकारियों को धोखे में कर रखा है। घाट लगभग 2 वर्ष पहले अचानक अवैध रेत उत्खनन के कारण सुर्खियों में आया था। उस दौरान खनिज विभाग ने बड़ी कार्यवाही यहां की थी। एक बार फिर चर्चा में आना जांच का विषय है बुढ़ार ब्लॉक मुख्यालय से करीब 20 से 25 किलोमीटर दूर कुनुक नदी में स्थित किशौरी घाट के नाम से विख्यात है। रेत का अवैध उत्खनन बटली घाट में एक बार फिर किया जा रहा है, यह भी बातें सामने आ रही है कि वंशिका कंस्ट्रक्शन की चयनित खदानों से रेत की टीपी और रेप लेने के बाद उसी टीपी पर इन खदानों से रेत निकाली जाती है। बुढ़ार सहित धनपुरी, अमलाई, तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में यहां से बड़ी मात्रा में रेत पहुंच रही है। एक तरफ पुलिस और जिला प्रशासन कोरोना संक्रमण के कारण व्यवस्थाओं को बनाने में लगा है और प्रशासनिक अधिकारियों की इन्हीं व्यवस्थाओं का फायदा एक बार फिर खनिज माफिया उठा रहा है। स्थानीय जनों ने जनप्रिय पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार गोस्वामी सहित संदर्भ में जांच कार्यवाही की मांग की है।