ग्रेनाइट उत्खनन में खनिज कारोबारियों ने लांघी सरहदें

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जिले में हो रहे ग्रेनाइट उत्खनन में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े कायदे
डोगरियाकला में खेडिया तो, चटुआ में मित्तल की मनमानी उजागर

ग्रेनाइट उत्खनन के मामले में संभाग के अनूपपुर जिले में कारोबारियों के सामने सारे कायदे शिथिल हो चुके हैं, मामला चाहे चटुआ स्थित मित्तल की माइंस का हो या फिर डोगरियाकला स्थित खेडिया द्वारा संचालित खदान का, डोगरियाकला में चिन्हित स्थल से हटकर तथा क्षमता से अधिक ग्रेनाइट का उत्खनन और कच्चे में किये जा रहे कारोबार से शासन को लाखों की चपत लगाई जा रही है।

शहडोल। खनिज विभाग के द्वारा उत्खनन और परिवहन के बनाए गए नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए डोगरिया कला में ग्रेनाईट खादान संचालक खेडिय़ा द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से उत्खनन जोर-शोर से जारी है। ग्रेनाइट की खदान को अवैध पत्थर उत्खनन की खदान बनाकर करोड़ों की चपत प्रशासन को लगाने की फिराक में खनिज विभाग से सांठगांठ कर प्रतिदिन अवैध रूप से हैवी ब्लास्टिंग कर आस पास के इलाके के साथ पूरे गांव को दहला देता है। खनिज विभाग को अवैध उत्खन्न की सूचना होने के बाद भी आंख बंद कर अपने ऑफिस में भी सुकून की नींद ले रहे हैं।


कोतमा में खेडिया का काला खेल
अनूपपुर जिले में खनिज विभाग के ढुलमुल रवैया के कारण अवैध तरीके से खनिज का दोहन जोरों पर है, विभाग द्वारा तय किए गए नियम कानून व शर्तो के बाद खदान वा क्रेशर खोलने की अनुमति दी जाती है जिस पर खदान व क्रेशर मालिक द्वारा मनमाने तरीके से उत्खनन और परिवहन खनिज विभाग को सांठगांठ कर किया जाता है। अनूपपुर जिले का विधानसभा कोतमा के अंतर्गत आने वाले डोगरिया कला में खसरा नंबर 451/क में लगभग 10 हेक्टर की भूमि में क्रेशर और ग्रेनाइड खदान संचालित है जिस का संचालन बिजुरी के बालमुकुंद खेडिय़ा द्वारा किया जा रहा है जिस पर ग्रेनाइट और पत्थर खोलने की अनुमति खनिज विभाग द्वारा दी गई थी। लेकिन मनमाने तरीके से खेडिय़ा द्वारा ग्रेनाइट खदान में पत्थरों का उत्खनन कर परिवहन कर लाखों करोड़ों का चूना प्रशासन को लगा रहे हैं।
बिना रॉयल्टी के बिक रहे पत्थर
खदान से ब्लास्टिंग के बाद तोड़े गए पत्थरों को बिना रायल्टी पर्ची के ही क्रेशर और अन्य जगह बेखौफ बेच दिया जाता है और वही खुद के क्रेशर में भी उक्त पत्थरों को थ्रेसर में तोड़कर गिट्टी का निर्माण कर परिवहन किया जाता है। वहीं अगर खदान का मुआयना खनिज विभाग द्वारा किया जाए तो, विभाग द्वारा बनाए गए सारे नियम और कानून की धज्जियां उड़ाता हुआ क्रेशर और खदान दिखाई देगा। क्रेसर और खदान खोलने से पूर्व विभाग द्वारा दी गई किसी भी शर्तों का पालन खेडिय़ा के क्रेशर और ना तो नीलम खदान द्वारा किया जा रहा है। अपितु खेडिय़ा द्वारा खदान के ऊपरी हिस्सों में गिट्टी का हजारों स्क्वायर फीट स्टॉक करके रखा गया है। साथ ही पर्यावरण के नियमों की धजियां उठाई जा रही है। न तो संचालक द्वारा खदान और न ही क्रेशर में पेड- पैधें लगाये गयें है।
ग्रेनाइट के साथ पत्थरों का उत्खनन
खनिज विभाग द्वारा खनिज विभाग द्वारा बनाए गए नियमों और पर्यावरण के नियमों और शर्तों के साथ लीज पर ग्रेनाइट पत्थरों की दी गई है। पर खेडिय़ा के इस नीलम खदान पर सैकड़ों घनफुट पत्थरों का अवैध उत्खनन और परिवहन किया गया है । ग्रेनाइट के नाम पर तो खाली लीज ही कागजों पर बनी है पर वास्तव में खेडिय़ा द्वारा लीज से अवैध पत्थरों का उत्खनन कर करोड़ों कमाना चाह रहे हैं जिस पर खनिज विभाग ने अपनी आंखें मूंद कर रखी है, अभी तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही खेडिय़ा के विरुद्ध खनिज विभाग द्वारा नहीं की गई है। जिस कारण से सैकड़ों घन फुट पत्थर का उत्खनन कर परिवहन किया जा चुका है।
बेखौफ हो रही दिन-रात अवैध ब्लास्टिंग
वहीं दूसरी ओर खेडिय़ा के इस खदान में बिना अनुमति के हैवी ब्लास्टिंग कर पूरे गांव को दहला दिया जाता है, पर्यावरण के नियमों को दरकिनार करते हुए खेडिय़ा द्वारा बेखौफ होकर दिन-रात अवैध रूप से ब्लास्टिंग उक्त खदान में की जाती है। ना तो खेडिय़ा को खनिज विभाग का कोई डर है और ना ही पर्यावरण विभाग का कोई भय लगता है। खेडिय़ा तो वर्षों से मनमाने तरीके से अवैध उत्खनन कर सारे नियम और कानून की धज्जियां उड़ा रहा है। खदान पर हैवी ब्लास्टिंग इस तरह होती है कि पूरा गांव दहल जाता है। खदान के आस-पास ना तो 5 साल बीत जाने के बाद किसी भी तरह का वृक्षारोपण किया गया और ना ही खदान से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को लेकर कोई उपाय खदान संचालक द्वारा नही किए गए हैं।
खनिज विभाग से कार्यवाही की आस
उक्त खदान पर अगर खनिज विभाग द्वारा निष्पक्ष रूप से जांच की जाए तो करोड़ों रुपए के पत्थरों के अवैध उत्खनन का खुलासा सामने आ सकता है। उक्त खदान में अब तक सैकड़ों घनफुट करोड़ों रुपए के कीमती पत्थरों को तोड़कर उसका वारा नारा कर दिया गया और प्रशासन के खजाने में उत्खनन खनिज का महज 10प्रतिशत हिस्सा भी नहीं पहुंच पाया होगा। यहां तक की उक्त खदान से निकलने वाले मुरूम को भी बेखौफ होकर परिवहन कर दिया जाता है जबकि मुरूम का परिवहन पूर्णता खनिज विभाग द्वारा बंद कर दिया गया है। मुरूम परिवहन की अनुमति खदान से किसी भी प्रकार से नहीं दी गई है।
इनका कहना है..
जहां से भी इस तरह की शिकायतें आ रही है, आप हमारे साथ चलिए, जांच की जायेगी।
पी.पी. राय
खनिज अधिकारी, अनूपपुर

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