मुख्यालय में नहीं सुनाई दी शंखनाद की गूंज

आज भी ब्याज कारोबारी के चंगुल में फंसे हैं गरीब
शहडोल। जिला मुख्यालय में रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एवं मध्यमवर्गीय परिवार सूदखोरी के चंगूल में जकड़ा हुआ है, लेकिन कप्तान द्वारा सूदखोरों के खिलाफ फूंका हुआ शंखनाद के बिगुल की गूंज मुख्यालय में न होने के चलते सूदखोरों के हौसले बुलंद हैं। कप्तान की सख्ती से कुछ दिन तो मुख्यालय में सूदखोर सहमे रहे, लेकिन दबे पांव जिला मुख्यालय में आज भी संतोष टेढ़का, अमजद सहित दीपक जैसे लोगों के हौसले परवान चढ़े हुए हैं। पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी ने पूर्व में ही कहा था कि अधिनियम की शर्तों और कानूनों का उल्लंघन करके साहूकारी करने वालों पर प्रशासन सख्ती करेगा, लेकिन संतोष, अमजद और दीपक आज भी सूद पर पैसे देने से बाज नहीं आ रहे हंै।
सूदखोरों का तगड़ा नेटवर्क
सरकार ने जनधन खातों की बात कि और कहा कि अब देश के हर शख्स की पहुंच बैंक तक होगी, लेकिन जिला मुख्यालय के रेलवे का कालोनी सहित अन्य जगह निवासरत रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आज भी लोकल महाजनों के भरोसे बैठा है। सूत्रों की माने तो अमजद एवं दीपक रेलवे कर्मचारी भी हैं और इनके द्वारा अपने ही विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को निशाना बनाकर उनसे हर माह वसूली की जाती है, सूदखोर संतोष टेढ़का, दीपक सहित अमजद का तगड़ा नेटवर्क है।
बनावटी दरियादिली से फंसते लोग
शहर में सूदखोरी में अमजद की धाक, दीपक की लालच सहित संतोष टेढ़का की ढील की वजह से इनके खिलाफ कोई दबी जुबां में भी बोलने को तैयार नहीं है, सूत्रों की माने तो इनके गुर्गाे द्वारा जरूरत मंदों की दुखती रग पर हाथ रखते हुए उन्हें अपने आका तक ले जाते हैं। अगर गिरवी रखने को कुछ न मिला, तब भी बनावटी दरियादिली दिखाते हुए कर्ज दिया जाता है। एक बार जिसने सूदखोरों से कर्ज ले लिया, फिर उससे उबरना आसान नहीं रहता। आखिर में उन्हें ब्याज चुका कर अपना सब कुछ गवां देना पड़ता है।
…तो क्या कप्तान को रखा धोखे में
कर्ज में डूबे लोग इस कदर सूदखोर संतोष और अमजद से डरे हुए हैं कि वे उनकी प्रताडऩा से तंग आकर भले ही जमीन जायदाद बेचकर कर्ज चुका देंगे या आत्महत्या करने जैसा कठोर कदम उठा लेंगे, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही है कि ऐसे सूदखोरों के खिलाफ थानों में शिकायत कर सकें। सूदखोर रकम देने से पहले कोरे चेक, एटीएम, पासबुक सहित माह की 5 से 10 तारीख के बीच बैंक में लगी लाईनों के पीछे देखा जा सकता है, सूत्रों की माने तो काली मंदिर के पीछे रहने वाला अमजद लोगों को डरा धमका कर वसूली करने का जिम्मा लिये हुए है। पुलिस में भी अमजद का रिकार्ड है, बावजूद इसके बीट प्रभारी से लेकर कोतवाली में बैठे जिम्मेदार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सूदखोरों पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
बीते माहों में पुलिस ने सूदखोरों के खिलाफ शंखनाद किया था, कोयलांचल में सूदखोरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किए गए। इसके बाद यकायक क्या हुआ कि पुलिस ने सूदखोरों की हरकतों पर गौर करना बंद कर दिया, कई मामले ऐसे आए हैं जिनमें सूदखोरों ने हजारों रुपए उधार में दिया व एवज में लाखों रुपए तक वसूले। वहीं कुछ रेलवे कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद भी कर्ज के बोझ से दबे कराह रहे हैं और अमजद, संतोष और दीपक को ब्याज देने को मजबूर हैं, जागरूकजनों ने पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि जिस प्रकार कोयलाचंल में सूदखोरों के खिलाफ ऑपरेशन शंखनाद चलाया गया था, उसी तर्ज पर मुख्यालय में कार्यवाही की जाये, जिससे सूदखोरों से परेशान लोगों को निजाद मिल सके।
इनका कहना है…
जानकारी पूर्व में मिली थी, अभी-अभी थाना प्रभारी की पदस्थापना हुई है, जल्द ही मुख्यालय में भी सूदखोरों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
मुकेश वैश्य
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
शहडोल