जुगाड़ के हमाम में द्रोणाचार्याे की डुबकी
रिश्तेदार को खुद के कार्यालय में अटैच कर दे रहे वेतन
निजी भृत्य को शासकीय खाते से कर दिया हजारों का भुगतान
लोकायुक्त को शिकायत के बाद अधीनस्थ अधिकारियों को मिली बीईओ की जांच
शहडोल। शिक्षा विभाग में मनमानी व भ्रष्टाचार इस कदर हावी हो चुका है, जिसमें भ्रष्टाचार की गहराईयों को मापना नामुमकिन हो चला है, वर्ष 2017 से बीईओ सोहागपुर ने अपने रिश्तेदार को बिना किसी वरिष्ठ कार्यालय के आदेश के अपने कार्यालय में संलग्न किया और तब से लेकर अब तक उन्हें घर बैठे वेतन मिल रहा है, इतना ही नहीं घर में रखे हुए निजी रसोईये को शासकीय खाते से सीधे भुगतान किया गया, मामले की शिकायत शपथ पत्र के साथ लोकायुक्त भोपाल को हुई तो, जब जांच शहडोल पहुंची तो, कलयुगी द्रोणाचार्य ने अपने दो चेलों के सुपुर्द खुद की जांच का जिम्मा जुगाड़ से सौंपवा दिया, इन परिस्थितियों में जांच कितनी स्पष्ट होगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
मामला नंबर-1
आदिवासी विकास विभाग अंतर्गत जिले के सोहागपुर विकास खण्ड के बीईओ शिव प्रताप सिंह चंदेल के द्वारा अपने सगे रिश्तेदार अजय सिंह परमार को शासकीय माध्यमिक विद्यालय छतवई से वर्ष 2017 में अपने कार्यालय (बीईओ सोहागपुर) में संलग्न कर लिया गया और संलग्न के बाद हर माह यहां से उपस्थिति बनाकर वरिष्ठ कार्यालय को भेजी जा रही है, जिससे उन्हें घर बैठे वेतन मिल रहा है, 2017 से लेकर अब तक श्री परमार न तो कभी बीईओ कार्यालय गये और न ही छतवई स्थित विद्यालय में ही नजर आये।
मामला नंबर -2
बीईओ शिव प्रताप सिंह चंदेल ने अपने आवास पर मनोज कोल पिता श्यामलाल कोल को घरेलू भृत्य के तौर पर निजी रूप से रखा हुआ है, शासकीय रिकार्ड बताते हैं कि बीईओ द्वारा शासकीय खाते से 31 हजार 769 रूपये का भुगतान फरवरी 2017 में मनोज के सेंट्रल बैंक शहडोल के खाता क्रमांक 3408258050 में भेजा गया। यह कृत्य गंभीर वित्तीय अनियमितता के अंतर्गत आता है।
शपथ पत्र के साथ शिकायत, हुई बेमानी
विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी शिव प्रताप सिंह चंदेल के खिलाफ लोकायुक्त भोपाल को शपथ पत्र देकर तमाम दस्तावेजों के साथ 18 जून 2021 को शिकायत की गई थी, शिकायत के बाद लोकायुक्त ने उक्त मामले को जांच प्रकरण क्रमांक 47/2021 बनाकर जिला शिक्षा अधिकारी को 28 जुलाई 2021 को पत्र भेजकर मामले के जांच के आदेश दिये, जांच अधिकारियों ने शिकायतकर्ता को 17 अगस्त 2021 को पत्र भेजकर दस्तावेज उपलब्ध कराने व बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया, लेकिन नतीजा शिफर रहा।
कनिष्ठ करेंगे-वरिष्ठ की जांच
पूरे मामले का मजेदार पहलू यह है कि लोकायुक्त की शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी तक आई और फिर जिला शिक्षा अधिकारी ने इस मामले की जांच उन शिक्षकों को सौंप दी, जो बीईओ के अधीनस्थ कार्यरत हैं। जिनमें दीपक कुमार निगम प्राचार्य शासकीय हाई स्कूल बरतरा एवं शासकीय हाई स्कूल प्राचार्य अरझुला ललन सिंह बनाफर को सौंप दी, इस संदर्भ में शिकायतकर्ता ने संभागायुक्त राजीव शर्मा को 19 अगस्त को पत्र प्रेषित कर पूरे मामले से अवगत कराया तथा कनिष्ठ अधिकारी से वरिष्ठ अधिकारियों से वरिष्ठ अधिकारी की जांच न करवाकर किसी अन्य से जांच करवाने की भी मांग की।
बीईओ ने किया आरोपों का खण्डन
लोकायुक्त को दी गई शिकायत के संदर्भ में जब बीईओ से उनका पक्ष चाहा गया तो, उन्होंने बताया कि पूरे आरोप निराधार हैं। शिक्षक के संदर्भ में उन्होंने कहा कि उसे कभी भी बीईओ ऑफिस में संलग्न नहीं किया गया। छतवई स्थित विद्यालय के प्राचार्य द्वारा उसकी उपस्थिति भेजने के बाद ही उसका वेतन आहरण होता रहा है, जिस तरह जिले के सैकड़ों शिक्षकों का वेतन आहरित होता है। इसमें बीईओ कार्यालय और मेरी कोई भूमिका नहीं है। मनोज कोल नामक व्यक्ति के खाते में राशि हस्तांतरित होने के संदर्भ में श्री सिंह ने कहा कि वह व्यक्ति शहडोल से लगभग 25 किलोमीटर दूर का निवासी हैं और उसने कभी भी मेरे यहां कोई कार्य नहीं किया। वर्ष 2017 में वह छात्र था, जिस समय राशि उसके खाते में हस्तांतरित हुई थी, उसके पीछे लिपिकीय त्रुटि मुख्य वजह थी, उसी समय शिकायत के बाद 15 दिनों के भीतर राशि उसके खाते से वापस शासन के खाते में चली गई थी, पूरे आरोप निराधार हैं।