एक गीत जो बन गया विराटेश्वरी मंदिर की आरती की अनूठी परम्परा

दुर्गा मंदिर में लगातार 36 सालों से भक्तों को
आरती के लिए बुला रहा है यह गीत
(शिरीष नंदन श्रीवास्तव)
शहडोल। हर रोज जैसे ही घड़ी में 08 बजते है, नगर के वातावरण में एक गीत गूंजने लगता है। भक्त दुर्गा मंदिर की ओर से आ रही इस आवाज को सुनकर, माता की आरती की इस पुकार को सुनकर, दुर्गा माता मंदिर की ओर खींचे चले आते है और माता की आरती प्रारम्भ हो जाती है। यह परम्परा कोई आज कल की नहीं बल्कि दुर्गा मंदिर में ठीक आरती के पहले इस भजन को बजते पूरे 36 साल हो चुके है। अवतार फिल्म का कालजयी गीत ‘चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है,’ प्रतिदिन संध्या आरती के लिए अपने भक्तों को मंदिर में आरती के लिए बुला रहा है। मंदिर के प्रमुख पुजारी आशीष राज तिवारी ने बताया कि ऐसा पिछले छत्तीस सालो से हो रहा है। शुरू-शुरू में यह भजन माता के लिए बजाते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह मंदिर कि आरती का हिस्सा बन गया और सन् 1985 से लेकर आज तक यह लगातार रोज बज रहा है। प्रतिदिन जैसे ही रात के 08 बजते है, हम इस गीत को लगा देते हैं और इस गीत को सुनकर भक्त माता कि आरती के लिए दौड़े चले आते है। कुल दो गीत बजाये जाते है जिनमे पहला चलो बुलावा आया है और दूसरा आशा फिल्म का तूने मुझे बुलाया शेरा वालिये। दोनों ही गीत नरेंद्र चंचल की आवाज में हैं और दोनों ही गीत में वैष्णो माता की महिमा का बखान किया गया है।
आज तक नहीं टूटा यह क्रम
दुर्गा मंदिर में बजने वाले दोनों ही गीत हर रोज बजे इस समय पर शुरू हो इसके लिए बराबर ध्यान रखा जाता हैं, जैसे ही आरती का समय होता है,ं उसके कुछ समय पहले दोनों गीत को चालू कर दिया जाता हैं। पहले कैसेट से यह गीत बजाया जाता हैं फिर सीडी से और अब पेन ड्राइव का उपयोग किया जाता हैं। चलो बुलावा आया हैं गीत अवतार फिल्म का हैं, जबकि तूने मुझे बुलाया शेरा वालिये गीत आशा फिल्म का हैं, दोनों ही गीत आनंद बक्शी ने लिखे हैं। दोनों के ही संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल हैं।
2003 से मंदिर में हो रहा नव निर्माण
मंदिर के पुजारी आशीष राज तिवारी ने बताया कि मंदिर निर्माण में स्व. श्रीभूरा महाराज और उनके पिता स्व. अनंतराज तिवारी के आशीर्वाद से 2003 से हर साल कुछ न कुछ नया निर्माण होता रहता हैं, आज दुर्गा माता मंदिर के लिए हमारा उद्देश्य रहता हैं कि यहां आने वाले भक्त को किसी प्रकार कि असुविधा न हो और वह पूरे मनोयोग से माता की भक्ति कर सके। इस वर्ष भी मंदिर की व्यवस्थाओं को सुधारा गया है।