कुम्हारों के चेहरे खिले : बुढ़ार में परिषद ने लिया बैठकी न लेने का फैसला @ अध्यक्ष ने की अपील
शहडोल । आधुनिकीकरण से कुम्हारों, बुनकरों के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है, लेकिन शहडोल में मुख्यालय की नपा के बाद बुढ़ार नगर परिषद में पारित प्रस्ताव ने सभी कुम्हारों को राहत देते हुए किसी तरह का कर न लिए जाने के निर्देश जारी किए हैं. साथ ही HALEHULCHAL परिवार ने भी लोगों से मिट्टी के दीये खरीदने की अपील की है, जिससे उनके भी घर रोशन हो जाए.

नगर परिषद बुढ़ार के अध्यक्ष कैलाश विश्नानी ने कहा कि ग्लोबल मार्केट और आधुनिकीकरण ने जिसे सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया वो हमारे छोटे उद्योग हैं. नए बाजार ने कुम्हारों, बुनकरों के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा किया है. उदाहरण के लिए दीपावली पर मिट्टी के दीयों की जगह इलेक्ट्रिक और चाइनीज झालर ने ले ली. मोमबत्तियों और लाइट्स को हमने इतनी जगह दी कि जो कभी हमारा घर रोशन करते थे, उनके घर मायूसी छा गई. लेकिन इस बार लोगों में जागरूकता देखने को मिल रही है.

श्री विश्नानी ने कहा कि नगर परिषद की सीमा के कई बाजारों से कुम्हार मिट्टी के दीये बेचने आते हैं. अध्यक्ष ने कहा कि ठेले, पसरे, खोमचे वालों से हर दिन परिषद द्वारा टैक्स लिया जाता है. दिवाली पर किसी प्रकार का कर नहीं लिया जाएगा.
दीपावली पर्व को लेकर हर तरफ बाजार में जमकर रौनक देखी जा रही है. बाजार में एक से बढ़कर एक साज सज्जा के समान भी बिक्री के लिए व्यापारियों के द्वारा लाए जा रहे हैं. इनमें ज्यादातर सामान चाइना के होते हैं. ऐसे मौके पर शहडोल व बुढ़ार नपा की एक मार्मिक अपील ने जिले के कुम्हारों के लिए आशा की उम्मीद जगाती हुई नजर आ रही है।

बुढ़ार नगर परिषद के अध्यक्ष के इस आदेश से क्षेत्र के सभी कुम्हार बेहद खुश नजर आ रहे हैं. कुम्हारों का कहना है कि दीपावली के मौके पर लोग चाइना के सामानों को ज्यादा तरजीह देते हैं, जिससे उनका व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है।
गौरतलब है कि इससे पहले शहडोल नपा अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला कटारे ने भी निर्देश जारी किए हैं कि शहडोल बाजारों में मिट्टी के दीये बेचने आने वाले ग्रामीणों से किसी तरह की वसूली न की जाए. इसके अलावा लोगों से इस बार मिट्टी के दीये खरीदने की अपील की है.

हाल ए हलचल परिवार आपसे लगातार अपील कर रहा है कि हम मिट्टी की दीये खरीदें, जिससे उनके घर भी रोशन हो सकें, जो हमारा घर रोशन करते हैं. त्योहारों के बाद कुम्हार रोजी-रोटी के लिए जंग लड़ते हैं. सुविधाओं के नाम पर उन्हें कुछ हासिल नहीं होता इसलिए हम मिट्टी के दीये खरीद कर उनके चेहरे पर मुस्कान बिखेर सकते हैं, जिससे उनकी फीकी दिवाली मीठी हो जाए।