भव्य आस्था का उत्सव: उत्तर पूर्व भारतीय संघ करेगा छठ महापर्व का आयोजन, पेंड्रा के कलाकार देंगे नरसिम्हा काली नाट्य प्रस्तुति

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तीन घाटों पर सूर्योपासना की तैयारियां तेज,पांच क्विंटल ठेकुआ बनेगा प्रसाद, 27 अक्टूबर को अस्त होते सूर्य और 28 को उगते सूर्य को अर्घ्य
शहडोल। लोक आस्था, अनुशासन और सूर्य उपासना का प्रतीक छठ महापर्व इस वर्ष भी शहडोल में भव्य रूप से मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी उत्तर पूर्व भारतीय संघ द्वारा छठ पूजा का आयोजन नगर के प्रमुख तीन घाटों  मोहनराम तालाब, बड़ी भीट और एमपीईबी के पीछे मुड़ना नदी घाट  पर किया जा रहा है।
 संघ के महासचिव प्रोंपी कुमार सिंह ने बताया कि घाटों पर साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था और सजावट की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा और सुविधा की विशेष व्यवस्था की जा रही है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की विशेषता
इस वर्ष छठ पूजा के अवसर पर पारंपरिक सांस्कृतिक मंचन की जगह पेंड्रा के कलाकारों द्वारा नरसिम्हा एवं काली नाट्य की विशेष प्रस्तुति दी जाएगी। यह नाट्य प्रदर्शन 27 अक्टूबर की शाम को आयोजित होगा, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करेगा।
प्रसाद की विशेष तैयारी
उत्तर भारतीय संघ द्वारा इस वर्ष पांच क्विंटल आटे का ठेकुआ बनाया जा रहा है, जो श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा। इसके अलावा अन्य प्रसाद की भी व्यवस्था की गई है, जो तीनों घाटों पर आने वाले श्रद्धालुओं को दिया जाएगा।
पूजा पद्धति और आयोजन
पूजन के दौरान मंत्रोच्चारण और श्लोकों का प्रसारण माइक से किया जाएगा, साथ ही छठ पूजा की महिमा, महत्व और परंपरा से संबंधित जानकारी मंच से दी जाएगी। आयोजन समिति के सदस्य तीनों घाटों की व्यवस्थाओं का लगातार निरीक्षण कर रहे हैं ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
संघ के पदाधिकारी सक्रिय
समिति के पदाधिकारी  रविंद्र सिंह अध्यक्ष,कमल प्रताप सिंह संरक्षक, प्रवीण शर्मा डोली संयोजक, प्रोंपी कुमार सिंह महासचिव, उत्पलकांत सिंह कोषाध्यक्ष और अनिल सिंह उपाध्यक्ष स्वयं घाटों का निरीक्षण कर रहे हैं। सभी का कहना है कि इस वर्ष छठ पूजा को और अधिक भव्य और सुव्यवस्थित बनाया जाएगा।
 प्रमुख तिथियां
 25 अक्टूबर को छठ पर्व की शुरुआत पवित्र स्नान और सात्विक भोजन से होगी। श्रद्धालु इस दिन घरों में पवित्रता और स्वच्छता के साथ पूजा की शुरुआत करेंगे। दूसरे दिन व्रती महिलाएं निर्जला उपवास से पूर्व ‘खरना’ करती हैं। शाम को गुड़ और चावल की खीर, रोटी और केला का प्रसाद बनाकर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है।
तीसरे दिन शाम को हजारों श्रद्धालु घाटों पर पहुंचकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। इसी शाम पेंड्रा नाट्य दल की विशेष प्रस्तुति होगी। 28 अक्टूबर को छठ महापर्व का समापन प्रातः काल उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। इसके बाद व्रती महिलाएं व्रत का पारण करेंगी और प्रसाद का वितरण किया जाएगा।

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