नेमचंद जैन की बहुमंजिला इमारत में एक मजदूर की बलि

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सुरक्षा के इंतजाम के बगैर हो रहे जोखिम भरे काम

शहडोल। धन की हवस में अंधा समाज आज छोटी छोटी जगहों में भी बड़े बड़े व्यावसयिक परिसर और मॉल खोलने तथा कालोनियों का निर्माण करने की होड़ लगा हुआ है। अंधाधुंध निर्माण तो हो रहा है लेकिन निरीह मजदूरों की सुरक्षा का सवाल अनुत्तरित रह जाता है। मजदूरों की सुरक्षा और राहत आदि के लिए शासन भवन संन्निर्माण मण्डल मे पंजीयन कराता है। लेकिन कितने मजदूरों का पंजीयन हुआ और किसका नहीं यह अज्ञात है। पंजीयन भी बहुत कम लोगों का हुआ है। बताया गया कि किसी भी मजदूर को काम में रखने के पहले ठेकेदार को मजदूर का पंजीयन देखना चाहिए। लेकिन ठेकेदार बिना औपचारिकता पूरी किए मजदूर भर लाता है और काम शुरू करा देता है। जोखिम भरे कामों के दौरान अचानक एक घटना होती है और कई मजदूरों की जिंदगी दांव पर लग जाती है।
सुरक्षा से मतलब नहीं
धन कमाने के लिए अट्टालिकाओं से सबको सरोकार रहता है लेकिन मजदूरों की सुरक्षा से किसी का कोई सरोकार नहीं रहता है। हाल ही में रेलवे यार्ड में रैक लोडिंग करते समय एक मजदूर की मौत हो गई थी अभी उसकी चर्चा थमी भी नहीं कि बुधवार को फिर एक दुर्घटना हुई और उसमें एक मजदूर असमय काल के गाल में समा गया। साथ ही तीन लोग गंभीर घायल हो गए। हैरानी की बात यह है कि यहां एक बड़े भवन की तोड़ फोड़ और निर्माण कार्य के लिए एक ठेकेदार भी नहीं था। भवन मालिक को कोई मतलब नहीं, नगरपालिका से कोई अनुमति नहीें। सवाल यह है कि इतना बड़ा निर्माण कार्य किसकी देखरेख में चल रहा था? घटना बुढ़ार रोड दक्षिण वनमण्डल के समीप करीब शाम 3 बजे हुई।
न ठेकेदार न भवन मालिक
जिस जगह पर घटना हुई वहां पहले से एक पुराना जर्जर भवन बना हुआ था। इसे शहर के कपड़ा व्यवसायी नेमचंद्र जैन ने खरीद रखा है। यहां पर एक ओर से भवन तोड़ा जा रहा था और दूसरी ओर से नई डिजाइन के साथ बनवाया जा रहा था। श्री जैन ने इस काम को कटनी पान उमरिया के एक ठेकेदार राकेश कोरी को ठेका दिया था। इस ठेकेदार ने अपने साथ 6 लेबर राकेश प्रजापति, रवि गड़ारी, प्रमोद, रमेश, नारायण गड़ारी, अरुण सभी निवासी कटरिया थाना ढीमरखेड़ा जिला कटनी से लाकर काम शुरू कराया था। लेकिन कुछ दिन बाद वह किसी कारणवश काम छोड़कर चला गया। तब इन मजदूरों ने स्वयं काम करने की बात नेमचंद्र से की। उसने भी काम जारी रखने की सहमति देदी।
ऐसेे हुई घटना
बुधवार को सभी 6 लेबर भवन गिराने का काम कर रहे थे। अचानक ऊपर से एक भारी बीम भरभराकर नीचे आ गई। जिसकीे चपेट में रवि गड़ारी, प्रमोद, रमेश, राकेश आ गए। इस घटना में रवि को गंभीर चोट लग जाने से उसकी मौेेके पर ही मौत हो गई। शेष तीनों गंभीर घायल हो गए। जबकि नारायण और अरुण बाल बाल बच गए। बताया गया कि जिस वक्त काम चल रहा था उस समय काम की देखरेख करने कोई जानकार या जिम्मेदार आदमी नहीं था। संभवत: गलत तरीके से तोडफ़ोड़ किए जाने से घटना हुई। अगर कोई तकनीकी जानकार आदमी मौके पर होता तो शायद यह घटना नहीं होती। यह केवल निर्माण कार्य की बात नही है अधिकांश कार्यों में यही होता है। सारा काम लेबरों पर छोड़ कर साहब लोग भ्रमण करते रहते हैं।
घटना का जिम्मेदार कौन?
इतनी बड़ी घटना हो गई लेकिन इसकी जिम्मेदारी तय कर पाना कठिन हो रहा है। ठेकेदार तो पहले ही जा चुका था, भवन मालिक का कहना है कि उसने मजदूरों से लिखा पढ़ी करा ली थी। सवाल यह है कि क्या लिखा पढ़ी करा लेना ही पर्याप्त है। नगरपालिका ने भी कह दिया कि भवन निर्माण की अनुमति लेना अनिवार्य है लेकिन यहां कोई अनुमति नहीं है। एक मजदूर की मौत हो गई लेकिन उसकी मौत के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए यह नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
इनका कहना है
परिजनों के आने के बाद शव का पीएम होगा और उसके बाद हॉस्पिटल से डायरी आएगी और परिजनो के बयान लिए जाएंगे, इसके बाद मामला कायम होगा।
संजय जयसवाल
टीआई, कोतवाली शहडोल

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