पंचना में के अनुसार जांच अधिकारी द्वारा एफ आई आर में फरियादी व गवाहों की की गई हेरा फेरी
पुषपेंद्र मिश्रा
शहडोल। जिले के जैतपुर तहसील के ग्राम पंचायत कोलुआ में दिनांक 27 अगस्त को पशु तस्कर से संबंधित घटना सामने आई हुआ यह कि कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा असामाजिक गतिविधियों को अंजाम देने का घिनौना कृत्य पशु तस्करी के रूप में सामने आया । कुछ लोगों द्वारा पशुओं को अवैध तरीके से गांव के बीचो बीच ले जाया जा रहा था। पशुओं को उठाकर ले जाने वाले अयोध्या सिंह अहिरवार व उसके साथी से गांव के उपस्थित कुछ लोगों ने जब पूछा कि इन पशुओं को कहां से लाया जा रहा है तो उन्होंने आनाकानी करते हुए बताया कि इन्हें खरीद कर ले जाया जा रहा है.फिर गांव वालों ने पशु खरीदी से संबंधित दस्तावेज मांगे तो वे चटपटा गए फिर गांव वालों द्वारा बार-बार पूछा गया तो पता चला की वह अवैध रूप से ले जाए जा रहे पशु थे साथ ही गांव के मौजूद नागरिकों को धन देने की बात भी उनके द्वारा कहीं गई तो गुस्साए लोगों ने पूरे झुंड के पशुओं को रोकने का प्रयास किया जिसमें लगभग 22 नग पड़वा थे लेकिन उनके द्वारा जबरजस्ती हांक कर पशुओं को भगा ले जाया गया जिसमें से 6 पशु ही गांव वालों के हाथ में लगी । मौके पर उपस्थित रामानुज गुप्ता व पवन त्रिपाठी एवं अन्य गांव के लोग भी मौजूद थे। इस बात को जल्द ही थाने को सूचित किया गया और थाने के मुंशी प्रताप सिंह मौके पर आए और वहां जांच पड़ताल की और अयोध्या सिंह अहिरवार से उन्होंने पूछताछ की तो अयोध्या सिंह अहिरवार ने बताया कि यह है
वसीम खान ने हमें भेजा है और मूक पशुओं के सरगना किसी वसीम खान नामक व्यक्ति से भी उनकी बात हुई और उनसे भी पशुओं के दस्तावेज या रसीद की बात पूछी गई लेकिन मौके पर रसीद या कोई दस्तावेज मौजूद नहीं था यहां तक की उनके द्वारा यह कहा गया की मेरे पास दस्तावेज उपलब्ध है और मैं वह दस्तावेज थाने तक पहुंचा दूंगा। बाद में जब वह रसीद थाने पहुंचा तो उसने केवल 6 पशु की ही रसीद काटी गई थी जब कि गांव वालों ने झुंड के झुंड पशुओं को देखा था यानी जितने पशु पकड़े गए थे उतने की ही रसीद उसने काटकर भेज दी। और पूछताछ में अयोध्या सिंह खरवार के द्वारा और उसके साथी के द्वारा बताया गया की पशुओं को केशवाही जंगल से कुदरी, जयसिंह नगर ले जाया जा रहा है । मौके पर ही मुंशी जी के द्वारा पंचनामा तैयार किया गया जिसमें फरियादी रामानुज गुप्ता एवं गवाही के रूप में पवन त्रिपाठी व सत्येंद्र सिंह बारगाही के हस्ताक्षर लिए गए हैं ।
फिर वहां से पशुओं को खाने के लिए ले जाया गया अयोध्या सिंह अहिरवार नाम का व्यक्ति पेशाब करने के बहाने से से वह भाग निकला लेकिन उसका साथी पशु के साथ ही थाने पहुंचा और पशुओं का मेडिकल होने के साथ ही उन्हें ग्राम पंचायत के सरपंच लीलाराम रौतेल को सुपुर्द कर दिया गया । अगले दिन रामानुज गुप्ता एवं पवन त्रिपाठी जब थाने गए और एफ आई आर की कॉपी मांगी तो क्षेत्र के टाउन इंस्पेक्टर श्री राजपूत जी के द्वारा बताया गया की f.i.r. मुंशी प्रताप जी से ले लीजिएगा अभी प्रतिलिपि की मशीन खराब है इसके बाद हमने मुंशी प्रताप जी से बात की तो उनके द्वारा कहा गया था किया f.i.r. क्या करेंगे और चाहिए तो आप टीआई साहब से बात कर लीजिए और कई बार हमें बात करने के बाद वो एफ आई आर का दस्तावेज प्राप्त हुआ । लेकिन हमने देखा की जो एफ आई आर की गई है उसमें जो पंचनामा मौके पर बनाई गई थी उसके ना ही किसी फरियादी और ना ही किसी गवाह का नाम सम्मिलित है और इस एफ आई आर में मुंशी जी के द्वारा किसी अन्य को गवाह बना लिया गया है और उसमे भी उसे थाने बुलाकर गवाह बनने को कहा गया। जबकि मौके पर फरियादी और गवाह कोई और हैं।
आखिर ऐसा क्यों किया गया की पंचनामा के अनुसार जो गवाह व फरियादी थे उनका नाम बदल कर किसी और का नाम कर दिया गया । सूत्रों से पता चलता है कि मुंशी जी के द्वारा उसी गांव के ही अमीर वरिष्ठ जन से बात करके मुलायम सिंह नाम के नये व्यक्ति को गवाह बनाया गया है । थाने में यह भी बात कहीं गई कि जो रसीद वसीम खान के द्वारा केशवाही ग्राम पंचायत से कटवाई गई और जब थाना भेजा गया तो क्या उसमें पुलिस वैध या अवैध की परक नहीं कर सकती है।
इस बात को तहसीलदार जैतपुर श्रीमान दीपक पटेल जी को भी सूचित किया गया है और यह पूछा भी गया की जो रसीद पशुओं के नाम से काटी गई है क्या लॉकडाउन के तहत यह वैध है लेकिन साहब जी के द्वारा यह बताया गया कि नहीं लॉकडाउन के तहत पशुओं को खरीदने या बेचने की किसी भी प्रकार की प्रक्रिया नहीं की जानी चाहिए इसके बावजूद केशवाही ग्राम पंचायत के सचिव के द्वारा पशु खरीदी की रसीद काट दी गई क्या वसीम खान इतने सक्षम और बल दल वाले व्यक्ति हैं कि वे मनमाना रमैया चलाएंगे क्या वे सरकारी कर्मचारियों यहां तक कि अधिकारियों को भी अपने धनबल के रुतबे से अपनी ओर झुकाने में सक्षम है अगर ऐसा है तो यह सरकारी इकाइयों ओं के प्रति जो ईमानदारी और विश्वास है उस पर प्रश्न चिन्ह लगाने का ही काम करेगी ।
क्या मूक पशुओं के प्रति संवेदनाएं केवल महत्वाकांक्षा व जरूरत की सीमित समय तक के लिए ही होनी चाहिए नहीं यह संवेदनाएं समाज में उनके जीवन काल की अवधि पूरी होने तक होनी ही चाहिए । मूक प्राणियोंके प्रति इस तरह की घटना का सामने आना समाज में संवेदनहीनता के साथ-साथ दया और धर्म का पूर्ण रूप से विघटन को ही दर्शाता है । इस तरह के जघन्य अपराधों को रोकने के लिए समाज की संपूर्ण इकाइयों को ईमानदारी व पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों को निर्वहन करने की आवश्यकता पर बल देने की जरूरत है। ताकि इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके और अपराध पंजीबद्ध होने पर अपराधी को कठोर से कठोर दंड दिया जा सके ।