स्वास्थ्य पर असर डाल रहा मिलावट का जहर

खुलेआम बाजारों में बिक रही मिलावटी सामग्री
मानपुर। आज जन सामान्य के बीच एक नाम धारणा बनती जा रही है कि बाजार में मिलने वाली हर चीज में कुछ ना कुछ मिलावट जरूर है, जन सामान्य की चिंता स्वाभाविक ही है, आज मिलावट का कहर सबसे ज्यादा हमारी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर ही पड़ रहा है। संपूर्ण देश में मिलावटी खाद्य पदार्थों की भरमार सी हो गई है, आजकल नकली दूध, नकली घी आदि सबकुछ धड़ल्ले से बिक रहा है। अगर कोई इन्हें खाकर बीमार पड़ जाता है तो हालत और खराब है क्योंकि जीवन रक्षक दवाएं नकली ही बिक रही हैं, 20 से 25 प्रतिशत एक मिलावट एक अनुमान के अनुसार बाजार में उपलब्ध सामान में मिलावट होती है। खाद्य पदार्थों में मिलावट की वस्तुओं पर निगाह डालने पर पता चलता है कि मिलावटी सामानों को निर्माण करने वाले लोग कितनी चालाकी से लोगों को आंखों में धूल झोंक रहे हैं और इन मिलावटी वस्तुओं का प्रयोग करने से लोगों को कितनी कठिनाइयां उठानी पड़ रही है। सबसे पहले आजकल के सबसे चर्चित मामले कोल्ड ड्रिंक्स को लेते हैं हमारे देश में कोल्ड ड्रिंक में मिलाए जाने वाले तत्वों के कोई मानक निर्धारित ना होने से इन शीतल पेय में मिलाए जाने वाले तत्वों की क्या मात्रा होनी चाहिए इनकी जानकारी संबंधित विभाग को नहीं है। दरअसल कोल्ड ड्रिंक में पाए जाने वाले लीडर डीडीटी मेले ध्यान और क्लोरपीरिफॉस बीमारी और प्रतिरक्षी तंत्र में खराबी के लिए जिम्मेदार माना जाता है, कोल्ड ड्रिंक के निर्माण के दौरान इसमें फास्फोरिक कैसे डाला जाता है। फास्फोरिक एसिड एक ऐसा अंग है जो दांतों पर सीधा प्रभाव डालता है, इसमें लोहे तक को गलाने की क्षमता होती है, इसी तरह इनमें मिला एथिलीन ग्लाइकोल रसायन पानी को सोने डिग्री तक जाने नहीं देता है इसे आम भाषा में मीठा जहर कहा जाता है।
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