तिवारी बाबा कालोनी में टुकड़ों में बिक गये कृषि भू-खण्ड

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जमीन के खरीद-फरोख्त के धंधे में लाखों का वारा-न्यारा

राजस्व अधिकारियों के संबंधों के चलते नहीं होती कार्यवाही

 
शहडोल। शहर के भू-माफियाओं ने शहर की बजाय अब गांवों का रूख कर अवैध कालोनी बसाने का काम शुरू कर दिया है। किसानों की कृषि भूमि को औने-पौने दामों में लेकर भू-माफिया उनसे एग्रीमेंट करा ले रहे हैं। एग्रीमेंट में कुल जमीन की राशि का 10 प्रतिशत दे दी जा रही है। इसके बाद मुरूम और डस्ट डालकर टुकड़ों में जमीन बेचा जा रहा है। इससे भू-माफिया जहां मोटी कमाई कर रहे हैं, वहीं सरकार को लाखों का चूना लग रहा है। पंचगांव रोड पर तिवारी बाबा कालोनी में बसा दी गई, मजे की बात तो यह है कि उक्त क्षेत्र के पटवारी, आरआई द्वारा बिक्री पर रोक लगाने के लिए आज तक वरिष्ठों को आवेदन नहीं किया गया।
बाहरी लोग खरीद रहे भू-खण्ड
भू-माफिया गैरकानूनी तरीके से काम को अंजाम देने में लगे हैं, इस पर प्रशासनिक अमले ने पूरी तरह आंखें मूंद रखी है, जैसे उनकी नजरों में अवैध निर्माण कार्य किए ही न जा रहे हो, चर्चा है कि भू-माफियाओं को राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण मिल रहा है। यही वजह है कि शहर सहित आस-पास अवैध कालोनी बसाने का काम प्रगति पर है। शहर के आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों का मानना है कि गांवो में भू-माफियाओं का जोर है, वे गांव में अवैध रूप से कालोनी बसा रहे हैं। जो लोग प्लाट खरीद रहे हैं, उनमें अधिकतर बाहरी हैं। जिनके पिछले रिकार्ड के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
कृषि भूमि पर प्लाटिंग
प्रापर्टी डीलिंग के धंधे में दर्जनों लोग अपने हाथ आजमा रहे है, सूत्रों की माने तो भू-माफियाओं के राजस्व अधिकारियों से मधुर संबंध और गुलाबी नोटों के चलते कृषि योग्य भूमि पर प्लाटिंग करने के बाद भी उन पर कोई आंच नहीं आती है। कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए बिना लायसेंस के न केवल जमीन के खरीद-फरोख्त के धंधे में हाथ डालकर लाखों के वारे-न्यारे कर रहे हैं, बल्कि यहां-जहां तक मौका हाथ लगते ही कृषि योग्य भूमि पर प्लाटिंग कर सरकार द्वारा लागू नियमों का सरेआम उल्लंघन कर रहे हैं।
स्थानीय अधिकारियों की चुप्पी
कृषि जमीन को काटकर कॉलोनी का सब्जबाग दिखाकर कुछ व्यापारी प्लाट बेचने के लिए सक्रिय है। खबर है कि जिस जमीन को समतल कराया गया है तथा मुरूम से रोड़ बनाया गया है वह जमीन डायर्वटेड नहीं है। राजस्व रिकार्ड मे अभी भी कृषि भूमि ही है। ऐसे में आखिर बिना व्यावसायिक व्यपर्वतन के कृषि भूमि पर रोड़ किसकी अनुमति से बनाया गया है, यह जांच का विषय है। फिलहाल इस मामले में अब तक स्थानीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। शहर में आधा दर्जन से ज्यादा जमीन को विक्रय करने का सौदा विभिन्न ग्राहकों से कर लिया गया है।
किसके सह पर फल-फूल रहा कारोबार
कृषि भूमि को समतल कर अवैध रूप से प्लाट काटकर बेचा जा रहा है वह पूर्ण रूप से अवैध है। जबकि वर्तमान मे राज्य शासन अवैध कालोनाईजर पर सख्ती बरत रही है तथा नियमानुसार पंजीयन कराने और डायवर्सन के साथ विधिवत अनुमति लेने तथा मूलभूत सुविधा होने के बाद ही राजिस्ट्री करा रही है। ऐसे मे बिना डायवर्सन और बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के खुलेआम साज सज्जा के साथ प्लाट बेचने का धंधा आखिर किसके शह पर चल रहा है।

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