अहिल्याबाई होलकर ने महिलाओं को सक्षम बनाने हेतु महिला सेना का गठन किया ;अहिल्याबाई को उनके कार्यों के कारण जनमानस ने राजमाता और लोकमाता की उपाधि दी: श्रवण सैनी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में राजमाता अहिल्यादेवी पर व्याख्यान संपन्न राजमाता अहिल्यादेवी पर नृत्य नाटिका भी संपन्न हुई

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अहिल्याबाई होलकर ने महिलाओं को सक्षम बनाने हेतु महिला सेना का गठन किया ;अहिल्याबाई को उनके कार्यों के कारण जनमानस ने राजमाता और लोकमाता की उपाधि दी: श्रवण सैनी
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में राजमाता अहिल्यादेवी पर व्याख्यान संपन्न
राजमाता अहिल्यादेवी पर नृत्य नाटिका भी संपन्न हुई
कटनी।।”अहिल्याबाई होल्कर ने 1757 में होलकर राज्य की बागडोर संभाली, अपने ससुर मल्हार राव से मिले संस्कारों व मार्गदर्शन का प्रभाव रहा कि रानी अहिल्याबाई में एक कुशल शासक के सभी गुण विद्यमान थे, प्रजा के हित में उठाए कदमों ने ही उन्हें लोकमाता की उपाधि दी ,प्रजा की भलाई सुरक्षा सुख सुविधा जुटाना ,बाहरी आक्रमण, विद्रोहियों और डाकुओं से राज्य की रक्षा करने के हर संभव प्रयास रानी ने किया। अहिल्याबाई ने महिलाओं की सेना भी तैयार कर उन्हें हथियार चलाना और रणकौशल का प्रशिक्षण देना भी प्रारंभ किया । जनकल्याण के क्षेत्र में भी रानी अहिल्याबाई ने अनेक कार्य किए। वह प्रजा को अपनी संतान मानती थी ,उन्होंने अपने शासनकाल में उद्योग धंधों को सुविधा देकर विकास के अनेक काम किया। उन्होंने बद्रीनाथ केदारनाथ रामेश्वरम जगन्नाथ पुरी द्वारका महेश्वर उज्जैन आदि 100 से अधिक मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया और घाट बनवाया।कई ज्योतिर्लिंगों में तीर्थ यात्रा के लिए विश्रामगृह आदि का निर्माण कर देश में धार्मिक सामाजिक राष्ट्रीय एकता कायम करने के उन्होंने हर संभव प्रयास किया। न्याय के लिए वह अपने परिवार जनों को भी दंड देने से पीछे नहीं हटती थी।” उक्तआशय के उद्गार देवी अहिल्याबाई होलकर के 300 वी जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर शासकीय तिलक स्नाकोत्तर महाविद्यालय सभागार कटनी में आयोजित ,अहिल्यादेवी पर व्याख्यान माला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सतना विभाग के विभाग प्रचारक श्रवण सैनी जी ने मुख्य वक्ता की आसंदी से व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे तिलक महाविद्यालय के प्राचार्य सुनील बाजपेई ने अपने उद्बोधन में कहा कि अहिल्या देवी जी के द्वारा भारत के तीर्थ स्थलों का पुनर्निर्माण करने के पीछे उनका उद्देश्य मात्र पुण्य लाभ प्राप्त करना नहीं था, अपितु भारत की अस्मिता को पुनर्स्थापित करना था, अहिल्या देवी जी ने महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए अनेक कार्य किया और ऐसा करते समय उनकी दृष्टि अखिल भारतीय थी। मंच पर अहिल्यादेवी त्रिजन्म शताब्दी समारोह की संयोजिका नीतू कनकने ने प्रस्तावना एवं सहसंयोजक मुकेश चंदेरिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर राजमाता अहिल्या देवी जी के जीवन प्रसंगों पर आधारित ज्ञानेश्वरी नायडू द्वारा निर्देशित नृत्य नाटिका का भी मंचन हुआ, कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर माधुरी गर्ग जी ने किया, इस अवसर पर शासकीय तिलक महाविद्यालय के प्राध्यापक गण डॉ विनय बाजपेई डॉ के एल द्विवेदी एवं अमित कनकने, संजीव ठाकुर, पूजा अग्रवाल,नंदिता कर्ण ,ज्योति बंसल आरती सोनी, प्रोफेसर सुधीर खरे,हंसा खंडेलवाल ज्योत्सना सोनी एवं बड़ी संख्या में मातृ शक्ति तथा प्रबुद्ध जन तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र के साथ हुआ।

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