उमेश शर्मा का गजब का खेला-खेल!

फर्जी जीएसटी नंबर लिख पंचायतों से लिया भुगतान
वाणिज्य कर विभाग नहीं ले रहा संज्ञान
पंचायतों ने भण्डार क्रय नियमों की फर्जी बिलों में उड़ाई धज्जियां
(Anil Tiwari+ 8827479966)
शहडोल। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाएं पंचायतों में अनदेखी की भेंट चढ़ गईं। पंचायत पोर्टल पर अधिकांश पंचायतों के सरपंच-सचिवों ने फर्जी बिल-बाउचर अपलोड कर लाखों रुपए आहरित कर लिए। पंचायत पोर्टल पर लगाए गए बिलों का सत्यापन करने वाले कोई नहीं है। हैरानी की बात तो यह कि पंचायतों के द्वारा पोर्टल पर अपलोड किए गए बिल-बाउचर और सरपंच-सचिवों के आदेश पत्र पर सरपंचों के मोबाइल नंबर दर्ज है। इतना ही नहीं वेंडरों के बिलों पर जीएसटी नंबर पर भी फर्जीवाड़ा का खेल किया गया है।
यह है मामला
अनूपपुर जिले की कोतमा जनपद की ग्राम पंचायत में मेसर्स जय माता जी ट्रेडर्स एवं उमेश ट्रेडर्स के फर्म संचालक को वाणिज्य कर विभाग द्वारा 2 रजिस्टे्रशन जारी किये थे, लेकिन कथित फर्म के संचालक द्वारा उमेश शर्मा द्वारा मे. जय माता जी ट्रेडर्स में 23 एफटीडीपीएस 7604 पीजेड 2 जेड का बिलों में उल्लेख किया है, लेकिन उक्त नंबर वाणिज्य कर विभाग द्वारा कभी रजिस्ट्रेशन किया ही नहीं गया।
सरपंच-सचिवों से सांठ-गांठ
पंचायत पोर्टल पर ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया चालू बीते कई वर्षाे से चालू है। कोतमा जनपद की सिलपुर, सारंगगढ़, बेलियाछोट, विचारपुर, उरतान, गोडारू में उमेश शर्मा द्वारा लाखों की निर्माण सामग्री की सप्लाई दी गई है और यहां के जिम्मेदारों ने फर्जी बिलों पर लाखों का भुगतान किया है, पंचायत में लगाए गये बिल-बाउचरों को अगर सत्यापन कराया जाये तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।
नहीं हुआ नियमों का पालन
ग्राम पंचायत बिल लगाये गये, सरपंच एवं रोजगार सहायक द्वारा उक्त खरीदी में म.प्र. भंडार क्रय नियम एवं सेवा उपार्जन नियम 2015 का पालन करते हुए नियम विरूद्ध खरीदी की गई है, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी जनपद स्तर के अधिकारियों को नहीं है, लेकिन जिले में बैठे जिम्मेदार ग्राम पंचायत के सचिवों की जिम्मेदारी तय नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से जनपद सहित जिले में बैठे जिम्मेदारों की कार्य प्रणाली को कटघरे में खड़ी होती नजर आ रही है।
सो रहा था वाणिज्य कर विभाग
ग्राम पंचायतों में फर्जी रजिस्ट्रेशन के सहारे कथित फर्म संचालक ने पंचायत से सांठ-गांठ कर जहां एक ओर पंचायतों से लाभ लिया, वहीं दूसरी ओर जिस स्थान पर उक्त फर्म का संचालन होना बताया गया है, वहां उक्त फर्म संचालित भी नहीं हो रही है, मजे की बात तो यह है कि जिस नंबर का रजिस्ट्रेशन वाणिज्य कर विभाग उमेश शर्मा को दिया ही नहीं उस नंबर का उल्लेख कर लाखों रूपये का भुगतान अपने खाते में कथित फर्म संचालक ने लिया, लेकिन वाणिज्य कर विभाग इस मामले में कुछ नहीं कर पाया, पूरे मामले में अगर जांच सहित निष्पक्ष कार्यवाही की जाये तो, जहां पंचायत में बैठे जिम्मेदारों पर कार्यवाही होगी, वहीं फर्जी नंबर का उल्लेख करने पर कथित फर्म संचालक के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हो सकता है।