एमपी में फिर एक भर्ती घोटाला: खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज में बैकडोर नियुक्तियाँ

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रिपोर्टर: संजीव दुबे, भोपाल

भोपाल – मध्य प्रदेश के खुशलाल शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज (कोलार रोड) में एक बड़े पैमाने पर कथित भर्ती घोटाले का खुलासा हुआ है। कॉलेज के प्रिंसिपल श्री शिवेंद्र मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी वैध भर्ती प्रक्रिया के रातों-रात 22 कर्मचारियों की नियुक्ति मई–2025 में करवाई। इनमें होम्योपैथी, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर सहित विभिन्न पद शामिल हैं। इस कार्रवाई को लेकर विभागीय नियमों की जमकर अनदेखी की गई बताया जा रहा है।

आरोपों का केंद्र – ‘परिवार की पसंद’?

मीडिया एवं सूत्रों का दावा है कि नियुक्ति सूची में शामिल एक नाम शिवेंद्र मिश्रा के बेटे, रवि मिश्रा का भी है। इस सूची में ऐसे कई नाम हैं जिनके पास शैक्षणिक योग्यता और अनुभव की वैध पुष्टि नहीं है। हालांकि, कॉलेज प्रबंधन ने इस बाबत सार्वजनिक रूप से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।

कोलार रोड वाला अस्पताल भी घोंसला?

सूत्रों के अनुसार, प्रिंसिपल शिवेंद्र मिश्रा का खुद का एक आलीशान अस्पताल भी कोलार रोड पर स्थापित है। अंदेशा है कि नियुक्तियों में उनकी स्वार्थ, प्रभाव और निजी कब्ज़ा मजबूत करने का मकसद रहा है। हालांकि, कॉलेज प्रशासन ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि कोई भी नियम उल्लंघन नहीं हुआ।

गतिवधियाँ और विवाद की नींव

– आरोपों के अनुसार नियुक्तियाँ बिना विज्ञापन, शैक्षणिक पैनल या मेरिट के हैं।
– कॉलेज में नियुक्ति पत्र जलाई गई, अधिकारियों द्वारा नामांकन प्रक्रिया में स्वेच्छा अपनाई गई।
– स्थानीय अंचल के शिक्षाविद एवं कर्मचारी संघ चिंता व्यक्त कर रहे हैं और उच्चाधिकारियों से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

भर्ती घोटाला: मप्र का पुराना रिवाज?

इस प्रकार की खुली नियुक्ति गड़बड़ी मध्य प्रदेश में दुर्लभ नहीं – 2013 में Vyapam (व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड) स्कैम इसका भयंकर उदाहरण था । उसमें भर्ती परीक्षाओं में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज और बेईमानी शामिल थी, जिसके चलते हजारों अभ्यर्थियों और अधिकारियों के खिलाफ मामला बन गया था । खुशलाल कॉलेज का मामला इसी प्रथा की याद दिलाता है — सबूतों और प्रशासन की चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या रीति में बदलाव की दिशा बदली है या फिर वही पुरानी पद्धति जारी है।

क्या होगी जांच?

स्थानीय कर्मचारी यूनियनों और विरोधियों ने राज्य स्वास्थ्य विभाग व शिक्षा निदेशालय को पत्र लिखा है। उन्होंने उच्च स्तरीय जांच, नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा और आरोपी आदेशों को रद्द करने की मांग रखी है। इसके साथ ही मामले में CBI या Vigilance विभाग की जांच कराने की भी अपेक्षा जताई जा रही है।

– कॉलेज प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को उन 22 नियुक्तियों की शैक्षणिक एवं कानूनी सत्यता जांचनी पड़ेगी।
– यदि जांच में अनियमितता पाई जाती है, तो ये नियुक्तियाँ रद्द हो सकती हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
– यह मामला मप्र में भ्रष्टाचार से लवरेज़ सरकारी संस्थानों की जांच, भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए एक और आह्वान साबित हो सकता है।

खुशलाल आयुर्वेदिक कॉलेज की टूटी हुई भर्ती प्रणाली ने मप्र में शिक्षा-स्वास्थ्य तंत्र की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। Vyapam जैसे बड़े घोटाले की यादें अभी ताजा हैं, और यह नया प्रकरण पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर अंतिम परीक्षा लेता नज़र आ रहा है।

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