सुशासन की विस्तृत व्याख्या थे अटल जी-कामता

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भोपाल।भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी की 99वीं जयंती पर नमन करते हुए यह कहा जाना कोई अतिसंयोक्ति नही होगी कि अटल जी ना केवल कुशल राजनीतिज्ञ, प्रखरतम वक्ता और भारतीय परमाणु परीक्षण के शिल्पी एवं अद्वितीय कवि ही नही बल्कि अटल जी पूरी मानव सभ्यता के लिए प्रेरणापुंज की तरह हैं।उनके जन्मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाए जाने का उद्देश्य निश्चित तौर पर सुशासन के माध्यम से विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और सेवाओं को जनता तक सीधे पहुँचाना है, देशवाशियों के साथ सरकार उचित व्यवहार करे और उन्हें विभिन्न सरकारी सेवाओं का ज्यादा से ज़्यादा लाभ मिले।
सुशासन दिवस मनाए जाने का लक्ष्य आर्थिक तथा वित्तीय संसाधनों या लोक सेवाओं के सक्षम प्रबंधन से कहीं अधिक व्यापक होता है। यह सरकार को अधिक खुला, जिम्मेदार, पारदर्शी, लोकतांत्रिक तथा संवेदनशील बनाने के साथ-साथ नागरिक समाज संगठनों को मजबूत, तथा निजी क्षेत्र को नियमित करने वाली एक व्यापक सुधार नीति है । क्योंकि सुशासन के सिद्घांतों पर ध्यान दिया जाए तो उसमें यह सहभागी, सर्वसम्मति-उन्मुख, जवाबदेह, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी, कुशल, न्यायसंगत और कानून का पालन करने वाला है और एक रणनीतिक दृष्टि प्रदर्शित करता है, जो भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के विचारों को पूर्णतया जीवंतता प्रदान करते हैं। पंडित अटल बिहारी बाजपेयी  की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाना निश्चित रूप से विचारों में उनकी जीवंतता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, क्योंकि भारत रत्न पंडित अटल बिहारी बाजपेयी सुशासन की विस्तृत व्याख्या थे, उनका सम्पूर्ण जीवन विस्तृत शोध का विषय है। ऐसे महामनीषी अटल जी का जीवन भारतीय परिदृश्य में समावेशी विचारों से परिपूर्ण, अजातशत्रु के रूप में स्मरण किया जाना चाहिए।

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