जनता की आवाज़ को दबाने का प्रयास, सत्ताधारी दल की साजिश का हिस्सा-रोशनी सिंह

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(जय प्रकाश शर्मा)
उमरिया। जिले के मानपुर तहसील के ग्राम मझौली के चहली मोड़ पर सड़क निर्माण को लेकर उठे विवाद ने शनिवार को तूल पकड़ लिया। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन चक्का जाम में तब्दील हो गया, जिसके बाद पुलिस ने कांग्रेस की नेत्री, पूर्व प्रदेश महामंत्री एवं जनपद सदस्य सुश्री रोशनी सिंह सहित कई ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
पुलिस के अनुसार, ग्रामीणों ने ताला से पनपथा तक वन भूमि से होकर सड़क निर्माण की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। इस दौरान रोशनी सिंह ग्रामीणों के बुलावे पर मौके पर पहुंचीं और उनकी मांगों के समर्थन में खड़ी हो गईं। पुलिस का कहना है कि बिना अनुमति सड़क जाम कर आवागमन बाधित करना अपराध की श्रेणी में आता है, इसलिए जनपद सदस्य रोशनी सिंह, जनपद सदस्य रमाकांत पांडेय, रमेश चौधरी, रामनरेश राय, मोतीलाल जायसवाल समेत 30 से 35 लोगों के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 189(2) और 126(2) के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।
हालांकि, कांग्रेस नेत्री रोशनी सिंह ने पुलिस की कार्यवाही को राजनैतिक प्रताड़ना बताया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के प्रदर्शन की सूचना पहले ही प्रशासन को दी गई थी, इसके बावजूद पुलिस ने दमनकारी रवैया अपनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ यह कार्यवाही पूरी तरह से रेत माफियाओं और प्रशासन की मिलीभगत का नतीजा है।
रोशनी सिंह ने बताया कि उन्होंने हाल ही में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सीमा से सटे जरवाही नदी क्षेत्र में महाकाल मिनरल्स कंपनी द्वारा किए जा रहे अवैध रेत उत्खनन और परिवहन का विरोध किया था। कंपनी के पास वैध दस्तावेज न होने पर स्थानीय ग्रामीणों के समर्थन से उत्खनन कार्य बंद करवा दिया गया था, जिससे रेत माफियाओं को भारी नुकसान हुआ। उनका कहना है कि इसी रंजिश में अब कंपनी से जुड़े लोगों ने अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक पकड़ का उपयोग कर झूठा प्रकरण दर्ज करवाया है।
उन्होंने तीखे लहजे में कहा  भाजपा सरकार जनता की आवाज़ उठाने वाले जनप्रतिनिधियों को कुचलने का काम कर रही है। लेकिन मैं किसी भी कीमत पर डरने वाली नहीं हूं। जब तक जान है, गरीब, आदिवासी और मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ती रहूंगी।
कांग्रेस नेत्री ने स्थानीय सत्ताधारियों पर भी आरोप लगाया कि वे प्रशासन पर दबाव बनाकर रेत माफियाओं के हित में कार्यवाही करा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और जनता के हक की लड़ाई लड़ने वाले लोगों को अपराधी न बनाया जाए।
फिलहाल इस पूरे घटनाक्रम ने जिले की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन ग्रामीणों की बुनियादी सुविधाओं की मांग को गंभीरता से लेकर समाधान की दिशा में कदम उठाता है, या फिर यह मामला एक बार फिर सियासी टकराव का केंद्र बनकर रह जाएगा।

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