प्रशासनिक संरक्षण में बाबा महाकाल मिनरल्स का अवैध उत्खनन, फर्जी टीपी के दम पर चल रहा रेत का कारोबार

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(जय प्रकाश शर्मा)
मानपुर। रेत माफिया एक बार फिर सक्रिय हो उठे हैं। अक्टूबर माह से रेत खनन के पुनः आरंभ होते ही बाबा महाकाल मिनरल्स कंपनी ने प्रशासनिक संरक्षण के सहारे मनमानी शुरू कर दी है।अधिकृत लीज स्थलों के अलावा भी कंपनी द्वारा जगह-जगह मशीनों से खुलेआम रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।
ग्रामीण इलाकों में छोटे खननकर्ताओं पर पुलिस और खनिज विभाग की कार्यवाही चर्चा में है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कटनी जिले की बड़वार तहसील के गुदार गांव में रखे स्टॉक की टीपी के नाम पर उमरिया जिले की नदियों से रेत निकालकर ओवरलोड वाहनों से परिवहन किया जा रहा है वह भी खनिज और पुलिस विभाग की आंखों के सामने।
फर्जी टीपी और ओवरलोड गाड़ियों पर मौन प्रशासन
बीते दो महीनों में मानपुर क्षेत्र में छोटे ट्रैक्टरों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई है। परंतु बड़े माफिया संगठन पर प्रशासन का शिकंजा ढीला है। यह सवाल उठ रहा है कि जब अवैध टीपी वाले ओवरलोड वाहन थानों और खनिज कार्यालयों के सामने से गुजरते हैं तो जिम्मेदार अधिकारी उन्हें क्यों नहीं रोकते?
नदी का अस्तित्व संकट में, ग्रामीणों पर आतंक
मानपुर जनपद पंचायत अंतर्गत बटुरावाह खदान चन्सुरा से कुदरी तक  अवैध उत्खनन का आलम यह है कि करीब 100 से अधिक गुर्गों की मौजूदगी में 24 घंटे मशीनें चल रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि नदी के बीचों-बीच पोकलेन मशीन से रेत निकाली जा रही है, जिससे नदी का अस्तित्व ही खतरे में है।स्थानीय लोगों को मवेशियों को पानी पिलाने तक से रोका जा रहा है।
वन विभाग की मूक सहमति पर सवाल
नियमों के अनुसार पार्क सीमा से सटे क्षेत्रों में सूर्यास्त से सूर्योदय तक मशीनरी का उपयोग प्रतिबंधित है, लेकिन बाबा महाकाल मिनरल्स द्वारा 24 घंटे उत्खनन जारी है।
रात में चलने वाले भारी वाहनों और तेज रोशनी से पार्क क्षेत्र के वन्य प्राणी गांवों की ओर भागने लगे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष का खतरा बढ़ गया है।

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