इंजीनियर को छोड़ रोजगार सहायक पर कसा फंदा

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भ्रष्टाचार की कलई तो खुली पर कार्रवाई में हो रहा विलम्ब
उमरिया। जनपद पाली अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायत तिवनी में रचा गया आर्थिक अराजकता का अध्याय प्रशासन
द्वारा धीरे धीरे पढ़ा जाने लगा है। पंचायत के पिछले कार्यकाल में जो गैरकानूनी कारस्तानियां अंजाम दी गईं उनकी
शिकायत अब सरपंच और सरपंत पति द्वारा की जा रही है। साथ ही उनके द्वारा नए काम चालू नहीं कराए जा रहे हैं।
उनका मानना है कि पहले पिछले कार्यकाल का शासन पूरा लेखा जोखा कर जिम्मेदारी तय करे। उसके बाद नए काम
जारी कराए जाएंगे। इनकी जागरुकता के कारण तत्कालीन रोजगार सहायक की जांच हुई और रिपोर्ट भी दी गई,
लेकिन अभी उस पर कार्रवाई नहीं हुई है। इसके अलावा मटेरियल सप्लाई फर्जीवाड़े के मामले में वाणिज्यकर विभाग
ने जांच कर संबंधित फर्म संचालक पर 11 लाख 89 हजार की रिकवरी निकाली है। इन सारे मामलों में इंजीनियर जो
सबसे अधिक जिम्मेदार है उसे कहीं कठघरे में खड़ा नहीं किया जाता है। जबकि सारा खेल उसी की शह पर चलता है।
बिना निर्माण डकार गए पैसा
तिवनी ग्रामपंचायत सरपंच पति का आरोप है कि मेनरोड से बलदेव सिंह के घर तक पंचपरमेश्वर योजना के तहत
सीसी सडक़ का निर्माण होना था। कार्य 26 जनवरी 17 को स्वीकृत हो गया। लेकिन 2 लाख 80 हजार रुपए की लागत
वाली इस सडक़ का निर्माण केवल कागजों में हुआ धरातल में नहीं। दूसरी सडक़ 1 लाख 37 हजार की लागत से
मेनरोड से सुंदर सिंह के घर तक 26 जनवरी 17 को स्वीकृति हुई, लेकिन इसका निर्माण कार्य भी नहीं हुआ जबकि
राशि दोनो सडक़ों की आहरित कर ली गई।
बिना मरम्मत भुगतान
रोजगार सहायक सुखदेव सिंह की शिकायत ग्राम पंायत सरपंच गुलाब बाई द्वारा की गई थी कि ग्रामपंचायत
तिवनी में गुलहू पानी, मेचका पानी एवं सेमरा तालाब मरम्मत कार्य कराए जाने जरूरी थे। इसके लिए बिना मस्टर
जारी करा भुगतान कराया गया है। जिसकी जांच एपीओ के.पी. सिंह द्वारा की गई। जिसमें आरोपों की पुष्टि हुई थी।

ज्ञातव्य है कि जांच में अगर आरोपों की पुष्टि हुई तो ,समझा ही जा सकता है कि भ्रष्टाचार कितनी निडरता से और
किस हद तक किया गया।
इंजीनियर कहां था?
बिना निर्माण कार्य फर्मोंं के बिल लगाकर राशि निकाली जाती रही और भ्रष्टाचार होता रहा जबकि नियमत: पक्के
निर्माण के दौरान उपयंत्री को स्थल पर मौजूद रहना चाहिए और काम की गुणवत्ता की मॉनीटरिंग करना चाहिए और
जरूरी निर्देश भी दिए जाने चाहिए। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं था तो फिर इंजीनियर कहां था और उस पर भी
भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की जा रही है। साफ है कि इंजीनियर की मिलीभगत से सारा खेल खेला गया।
रोजगार सहायक जैसे निचले कर्मचारियों पर फंदा कस कर उसके शिकार की तैयारी की जा रही है।
विडम्बना यह भी है
शिकायत जांच का प्रतिवेदन सीईओ जनपद पाली को सौंपा गया था। उन्होंने अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए
रिपोर्ट को 1 दिसंबर को जिला पंचायत सीईओ के समक्ष भेज दिया है, वहां मामला लटका पड़ा है। शायद बड़े अफसर
भी किसी इंतजार में हैं। यह एक विडम्बना ही है कि एक तो ग्राम पंचायतों में जांच पड़ताल होती नहीं और अगर जैसे
तैसे हो भी गई तो भ्रष्टाचार प्रमाणित होने के बाद भी कार्रवाई होना दूभर रहता है। इस हीलाहवाली से भ्रष्टाचारियों के
हौसले बुलंद रहते हैं।
इनकी ली खबर
ग्राम पंचायत तिवनी में ही सक्रिय मेसर्स गुप्ता इंटरप्राइजेज को 10 फरवरी 17 से 1 अगस्त 22 तक मटेरियल का
भुगतान किया गया। जबकि इनकी फर्म वाणिज्यकर विभाग द्वारा 1 अगस्त 2018 को बंद कर दी गई थी। इन्ही पर
वाणिज्य कर विभाग ने जांच के बाद 11 लाख 89 हजार 936 रुपए की रिकवरी निकाली है। जब फर्म बंद थी तो किसे
और किस आधार पर भुगतान किया गया यह समझ के परे है।

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