सरकारी उपक्रमों के निजीकरण के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने सौपा प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन

0

सभी क्षेत्रों के मजदूर संघ के प्रतिनिधियों ने किया

कलक्ट्रेट में प्रदर्शन

शहडोल। निजीकरण और सरकारी फर्मो के निगमीकरण एक खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के साथ कलेक्टर कार्यालय में जमकर नारेबाजी की और निजीकरण का विरोध करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौपा। ज्ञापन सौपने के दौरान भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह ने बताया कि विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को बचने में सरकारी क्षेत्र का सबसे अधिक योगदान रहाहै सीपीएसयू बहुत सारे प्रयासों और विशाल बुनियादी ढांचे के साथ स्थापित किए गए है, इसीलिए, पीएसयू के सुचारू कामकाज को जारी रखना तर्कसंगत और अनिवार्य है। निजी कंपनियों के हाथों में सार्वजनिक उपक्रमों की पहुंच देने का निर्णय एक तबाही के रूप में साबित होगा क्योंकि सरकार इन सार्वजनिक उपक्रमों की बेची गई जमीन या मशीनरी को कभी हासिल नहीं कर पाएगी। इसके अलावा, सरकार इस विशाल बुनियादी ढांचे को फिर से स्थापित नहीं कर पाएगी जो देश की सबसे बड़ी और सबसे मूल्यवान संपत्ति है। उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, हम एक बार फिर आपसे अनुरोध करते हैं कि वास्तविकता की उचित जानकारी लें और सीपीएसयू से संबंधित मुद्दों को हल करें ।

मजदूर संघ का उद्देश्य
भारतीय मजदूर संघ अपने मजदूर हितों के लिए जानी जाती है इनका प्रमुख कार्य सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण, विनिवेश, रणनीतिक बिक्री, निगमीकरण और संपत्ति मुद्रीकरण को रोकना। रक्षा अध्यादेश क्षेत्र के निगमीकरण पर रोक, सार्वजनिक उपक्रमों की रणनीतिक बिक्री पर रोक लगाना। एफडीआई सीमा बढ़ाने पर रोक बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के विलय पर रोक लगाना। कोयला क्षेत्र के व्यावसायीकरण पर रोक लगाना । श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव पर रोक लगाना है।
स्थायी पीएफ कटौती की मांग
बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए पुररूद्धार पैकेज जो पूर्ण रूप से लागू नहीं है। बीएसएनएल, एमटीएनएल, आईटीआई आदि जैसे शेष सार्वजनिक क्षेत्रों में तीसरे पीआरसी का कार्यान्वयन करना। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए पेंशन में संशोधन करना। बीमार सार्वजनिक उपक्रमों का पुनराद्धार और विविधीकरण करना। बीपीसीएल के विनिवेश पर रोक लगाना। कोरोना संक्रमण काल में जिन्हें सरकार स्कीम वर्कर मान रही है, ऐसे समस्त वर्कर जैसे ऑगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ता व आशा सुपरवाईजरों को नियमित किया जाये यदि स्किम वर्कर ही माना जाये तो सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय के अनुसार सामान्य कार्य का सामान्य वेतन 18000 रुपये किया सफाई कर्मचारियों को स्थायी पीएफ कटौती की जाये।

सरकार जनता के प्रति जवाबदेह
सरकार अपने शिकारी सलाहकारों के जाल से बाहर निकलेगी, जिन्होंने सरकार को अंधा कर दिया है। अतीत से यह स्पष्ट है कि सरकार निष्पक्ष रूप से काम नहीं कर रही है और अपने मन को दोस्त के रूप में गलत समझ रही है। हालांकि, सरकार पास सुधारात्मक उपाय करने के लिए अभी भी समय बह देश की जनता को जवाब देगी, जिन्होंने इतनी बड़ी जिम्मेदारीसाथ आप पर भरोसा किया है। यह सरकार है जो अपने नागरिको के प्रति के प्रति जवाबदेह है।
ये रहे उपस्थित
ज्ञापन सौपने के दौरान भारतीय मजदूर संघ के उपाध्यक्ष प्रोमपी सिंह, जिला मंत्री आनंद सिंह, जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह, द्वारिका प्रसाद मिश्रा, अभिषेक पांडेय शाखा सचिव रेलवे हीराम कोरी, दिलीप पांडेय, अखिलेश कुमार मिश्रा, मनोज कुमार चतुर्वेदी, राजेंद्र प्रताप सिंह, प्रसून सिंह, रविंद्र द्विवेदी, संतोष सिंह परिहार, के. के. द्विवेदी, वीरेंदर गौतम, मृगेंद्र सिंह, राजेंद्र बारी, संतोष रॉय, नितीश कुंडे, विनीत कुमार मिश्रा, विक्कु लाल, कोमल चिन्हटोल, राजा लाल पूरी, राकेश विरहा, संगम पसरिया व उत्तम शामिल रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed