टूटी दीवार, जुगाड़ का पहरा और कोल इंडिया की जागरूकता

कर्मचारियों ने इस टूटी दीवार को बचाने के लिए अपने स्तर पर जुगाड़ तकनीक अपनाई हैपुराने टीन और लोहे को जोड़कर किसी तरह का अस्थायी “किला” खड़ा कर दिया है। इस नजारे को देखकर राहगीर भी हंसते हैं और कहते हैं कि “कोल इंडिया की सुरक्षा दीवारें अब जुगाड़ पर चल रही हैं।”
दीवार या मजाक?
बुढ़ार ग्रुप के गेट के ठीक सामने और धनपुरी मार्ग के तिराहे पर खड़ी यह टूटी दीवार हर रोज अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी मौजूदगी का अहसास कराती है। महाप्रबंधक कार्यालय, बुढ़ार ग्रुप के अधिकारी और वर्कशॉप के कर्मचारी सभी इसी रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन लगता है उनकी नजरें इतनी ऊंची हैं कि जमीन पर पड़ी टूटी दीवार उन्हें दिखाई ही नहीं देती।
सुरक्षा के नाम पर खुला न्योता
कोयलांचल वैसे भी कुख्यात कबाड़ियों और कबाड़ चोरी के लिए जाना जाता है। ऊपर से जब कोल इंडिया खुद अपनी वर्कशॉप की दीवार तोड़कर “खुला न्योता” दे, तो चोरों के लिए यह सुनहरे मौके से कम नहीं। करोड़ों रुपए की मशीनें और सामान अंदर रखे हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर सिर्फ जुगाड़ वाली टीन की चादरें टिकी हैं।
लाखों कागजों में, शून्य जमीन पर
विडंबना यह है कि केंद्रीय चिकित्सालय और अन्य भवनों पर कागजों में लाखों रुपए खर्च दिखाए जाते हैं, लेकिन जब बारी आती है रीजनल वर्कशॉप जैसी अहम जगह की, तो जिम्मेदारों का ध्यान कहीं और चला जाता है। अधिकारियों की यह चुप्पी और लापरवाही कर्मचारियों की मेहनत और क्षेत्र की सुरक्षा दोनों के साथ खिलवाड़ है।
मजाक बना रखरखाव
स्थानीय लोग कहते हैं कि यह टूटी दीवार महज दीवार नहीं, बल्कि जागरूकता और संवेदनशीलता की पोल खोलने वाला “स्मारक” है। हर रोज अधिकारी जब यहां से गुजरते हैं, तो लगता है दीवार उनसे कह रही हो “देखो मुझे, सुध लो मेरी… वरना कबाड़ी ले जाएंगे अंदर का खजाना।