जलक्रीड़ा के लिए बीटीआर के नियमों की धज्जियां उड़ाईं

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       वाटर पार्क बनाने भूजल का अवैध दोहन, पक्का निर्माण भी कराया

उमरिया। बांधवगढ़ नेशनल पार्क में कमाई का एक जरिया वाटर पार्क का संचालन भी है। शुल्क लेकर जलक्रीड़ा करने
की छूट देकर पार्क संचालक मनमानी वसूली कर रहे हैं। लेाग भी भांति भंाति से स्नान कर आनंद उठाते हैं। इसमें
तैरना, ऊपर से छलांग लगाकर पानी की गहराई तक जाकर फिर ऊपर उठना, पानी के अंदर घुुस कर लापता होना और
फिर दूर जाकर निकलना आदि ऐसी क्रीड़ाएं कर लोग भरपूर मनेारंजन करते हैं। लेकिन बीटीआर के कोर एरिया के
समीपी क्षेत्र में ऐसी सुविधा देेने के अपने निर्धारित प्रावधान हैं। लेकिन परासी स्थित कैलाश वाटर पार्क इन प्रावधानों
का उल्लंघन कर केवल बड़े अफसरों की रजामंदी से संचालित किया जा रहा है। मौज-मस्ती के नाम पर चलाया जा
रहा वाटर पार्क नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है, जिला, पुलिस सहित टाईगर रिजर्व प्रबंधन भी इस ओर
आंखें बंद किए बैठे हैं।
राजपत्र का प्रावधान दरकिनार हुआ
भारत के राजपत्र की खुलेआम धज्जियां प्रशासन के संरक्षण में उड़ाई जा रही हैं। लेकिन उसकी खबर नहीं ली जा रही
है। बांधवगढ़ टाइर्गर रिजर्व में कैलाश वॉटर पार्क के संचालक कैलाश कुमार छतवानी ने वाटर पार्क में पूरी तरह सुरक्षा
के नियमों माखौल उड़ा रखा है। बावजूद इसके प्रशासन के जिम्मेदार वॉटर पार्क के संचालक के सामने नतमस्क हो
चुके हैं। यह पार्क मानपुर जनपद की ग्राम पंचायत परासी में खसरा नंबर 016 रकवा 0.081 एवं खसरा नंबर 172
रकवा 0.814 हेक्टेयर कुल 0.895 हेक्टर में वॉटर पार्क का निर्माण किया गया है। जो राजपत्र की सरासर अनदेखी कर
रहा है।

पंचनामा काम नहीं आया
वॉटर पार्क के प्रबंधक द्वारा खुलेआम नियमों का माखौल उड़ाया जा रहा है। वर्ष 2019 में उप वन मण्डलाधिकारी के
समक्ष मौका पंचनामा तैयार किया गया। उसमें उल्लेख किया गया कि कैलाश कुमार छतवानी निवासी कटनी के
आवेदन पर मौके पर भूमि का पैमाइस करने आये और भूमि का जीपीएस लिया गया। जिसमें भूमि से कोर एरिया
बीट महामन परिक्षेत्र खितौली की दूरी 0 मीटर जो कि पश्चिम दिशा में, पूर्व में बीट परासी परिक्षेत्र धमोखर 700
मीटर, उत्तर में कोर एरिया बीट महामन परिक्षेत्र खितौली 1600 मीटर, दक्षिण में 300 मीटर बीट महामन परिक्षेत्र
खितौली, उक्त भूमि पर वन्य प्राणियों का विचरण कम ही रहता है।
ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा
वाटर पार्क में मनोरंजन को और भी आनंददायक बनाने के लिए डीजे की उच्च ध्वनि मेंं संगीत बजाया जाता है।
जिससे पार्क में ध्वनि प्रदूषण तो बढ़ता ही है, वन्यजीवों को भी असुविधा होती है। पार्क को सायलेंट जोन की भांति
समझा जाता है। लेकिन यहां तो दूर तक डीजे का शोर गूंजता है। ध्वनि प्रदूषण पार्क के आसपास पूरी तरह प्रतिबंधित
है। इसके बावजूद पार्क के डीजे का गला पकडऩे वाला कोई अधिकारी सामने नहीं आ रहा है। पार्क संचालक को खुली
छूट मिली हुई है। हैरानी की बात यह है कि पार्क की जो अनुमति ली गई है उसमें ध्वनि प्रदूषण का कोई जिक्र ही नहीं
है।
पक्का निर्माण कैसे हुआ
बीटीआर के नियमों के तहत इको सेंस्टिव जोन के पास पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता है। लेकिन पार्क के लिए
कई तरह से पक्का निर्माण कराया गया है। बताते हैं कि पार्क के समीप ही निर्माण के लिए कांक्रीट और सीमेंट का
उपयोग कर घेरा बनाया गया है। जो कि पार्क के नियमों के प्रतिकूल है। पार्क के पदाधिकारियों को यह घेरा भी दिखाई
नहीं पड़ता है। पार्क प्रबंधन से अफसरों की कितनी गहरी सांठगांठ है यह इसी बात से ज्ञात होता है। जानकार बतातेे हैं
कि यहां लकड़ी का घेरा बना सकते हैं लेकिन कांक्रीट और गारे का नहीं।
भू जल का हो रहा ऐसा दोहन
राजपत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि भू-जल का उपयोग व्यवसाय के लिए नहीं किया जा सकता है। लेकिन यहां खुलेेआम
भूजल का दुरुपयोग हो रहा है। जमीन के अंदर से पानी निकाल कर उसका व्यावसायिक लाभ लिया जा रहा है। भू जल
सर्वेक्षण विभाग भी यहां दबिश नहीं डाल रहा है। जबकि उसे मौका मुआयना कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। विभाग
को सीधे शासन को लिखकर भेेजना चाहिए। शासन स्तर से इसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन भूूजल
सर्वेक्षण विभाग भी गहरी नीद सो रहा है। संभवत: यहां भी पार्क प्रबंधन की सांठगांठ ही चल रही है।

दस्तावेजों का खेल
उप वन मण्डलाधिकारी धमोखर द्वारा स्थल निरीक्षण कर पंचनामा तैयार किया, इसके अलावा कागजी कोरमपूर्ति
के लिए अन्य दस्तावेज भी टटोले, लेकिन वन परिक्षेत्र अधिकारी धमोखर (बफर जोन) के द्वारा भी 29 नवम्बर को ही
अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया, दोनों पत्रों में लगभग एक जैसी स्थल निरीक्षण की जानकारी उल्लेख किया गया,
लेकिन कोर एरिया बीट महामन परिक्षेत्र खितौली की दूरी 0 मीटर जो कि पश्चिम दिशा में है, यह लिखना संभवत:
भूल गये। जबकि राजपत्र 16 दिसम्बर 2016 में स्पष्ट उल्लेख है कि कोर सीमा के क्षेत्र से 1 किलोमीटर के दायरे में
नियमानुसार किसी प्रकार का कामर्शियल निर्माण कार्य नहीं हो सकता।
भू-जल का दोहन
कैलाश जी वॉटर पार्क का निर्माण मानपुर जनपद की ग्राम पंचायत परासी में खसरा नंबर 016 रकवा 0.081 एवं
खसरा नंबर 172 रकवा 0.814 हेक्टेयर कुल 0.895 हेक्टर में हुआ है, उक्त भूमि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र अंतर्गत
आती है, वर्ष 2020 के भारत राजपत्र असाधारण के पृष्ठ क्रमांक 09 में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि अतिदोहित
आकलन यूनिटों में वॉटर पार्क, थीम पार्क और मनोरंजन पार्कों के लिए भूजल की निकासी हेतु एनओसी नहीं दिया
जाएगा, लेकिन पार्क प्रबंधन सहित प्रशासन कैलाश जी वॉटर पार्क के संचालक के सामने सजदा कर रहा है।

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