खो गई लाखों के गड़बड़झाले की कैशबुक

0

10 सितम्बर से अब तक सहायक आयुक्त नहीं पहुंचा पाये कोतवाली में शिकायत

बुढ़ार में बीईओ के दौरान अशोक शर्मा ने किया लाखों का गोलमाल

प्रतिबंध के बावजूद छात्रावास के अधीक्षक बने थे बीईओ

अधीक्षक के नाम पर खाता खुलवाया, राशि भेजी, निकालने के बाद बंद कर दिया

 

शहडोल। लगभग 4 माह पहले 10 सितम्बर 2020 को सहायक आयुक्त आर.के. श्रुति ने प्राचार्य कन्या शिक्षा परिसर बुढ़ार से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी की सुनवाई कर फैसला सुनाया था, सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा दोनों पक्षों को जारी किये गये आदेश के फैसले में इस बात का उल्लेख किया गया कि आवेदक द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई कैशबुक ढूंढकर उपलब्ध कराये, अन्यथा जिम्मेदार कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ पुलिस कार्यवाही की जायेगी। बीते इन चार माहों में न तो आवेदक को उक्त मामले के फैसले के बाद अभी तक कैशबुक की प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध हो पाई और न ही तात्कालीन बीईओ अशोक शर्मा और अन्य कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही ही हुई।
इस तरह हुआ घटना क्रम
सहायक आयुक्त ने आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा 17 अगस्त 2020 को प्रस्तुत अपीलीय आवेदन की सुनवाई 25 अगस्त को की थी, जिसमें अपीलार्थी के साथ ही लोकसूचना अधिकारी प्रभारी प्राचार्य कन्या शिक्षा परिसर बुढ़ार उपस्थित हुए थे। सहायक आयुक्त ने प्रभारी प्राचार्य को 29 अगस्त 2020 तक सूचना के अधिकार के तहत चाही गई जानकारी उपलब्ध कराने के आदेश दिये गये थे। जिसके बाद जानकारी देने की जगह 31 अगस्त को अशोक कुमार शर्मा तत्कालीन विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी बुढ़ार व आर.पी. मिश्रा तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य शा. कन्या शिक्षा परिसर बुढ़ार के द्वारा उक्त जानकारी उपलब्ध न होने का पत्र दिया गया। जिसके बाद 8 सितम्बर को दोनों अधिकारियों को अपीलीय अधिकारी ने अपने समक्ष बुलाकर पूरे मामले को सुना।
गायब हो गई लाखों की कैशबुक
सहायक आयुक्त द्वारा जारी आदेश में इन तथ्यों का भी उल्लेख किया गया कि अशोक शर्मा ने बुढ़ार में बीईओ के पद पर पदस्थापना के दौरान वर्ष 2014 में सेंट्रल बैंक बुढ़ार में प्राचार्य कन्या शिक्षा परिसर बुढ़ार के नाम से खाता खोला था, जिसे वर्ष 2019 में बंद कर दिया गया था, खाते में शेष 14 हजार 795 रूपये शेष बचे थे, जिसे चेक के माध्यम से एसएनसी के खाते में जमा करा दिया गया, लेकिन इन 5 वर्षाे के दौरान खाते में जो लेन-देन हुआ उसकी कैशबुक का संधारण किया गया था, लेकिन वह नहीं मिल रही है, वर्तमान प्रभारी प्राचार्य सीताराम मिश्रा के साथ ही तत्कालीन प्रभारी प्राचार्य आर.पी. मिश्रा ने भी अपने कथनों में बताया कि खाते की जानकारी उन्हें नहीं दी। जब आरटीआई का आवेदन लगा तो, मामला सामने आया।
रूकी एफआईआर, मिली पदोन्नति
इस मामले में यह जानकारी भी सामने आई कि अशोक शर्मा ने उक्त खाता खोलने से पहले बीईओ बुढ़ार के स्टेट बैंक स्थित खाते से 6 लाख रूपये अपनी पत्नी के खाते में हस्तांतरित किये थे, लेकिन जब मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा तो, यह राशि कन्या शिक्षा परिसर बुढ़ार का सेंट्रल बैंक में नया खाता खुलवाकर उसमें हस्तांतरित कर दी गई, उक्त खाते में 5 वर्षाे के दौरान 50 से 60 लाख रूपये विभिन्न शासकीय खातों से पहुंचे थे, जो अन्य खातों में हस्तांतरित कर दिये गये। मामले को दफन करने के लिए ही वहां से हटने के आस-पास खाता बंद कर दिया गया, कैशबुक गायब कर दी गई, अशोक शर्मा के मैनेजमेंट का आलम यह है कि आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त से लेकर विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा कलेक्टर व कमिश्नर कार्यालय तक में उनकी गहरी पैठ है, इसी का नतीजा रहा कि चार माह में दर्जनों घोटालो में से एक की कैशबुक न मिलने पर पुलिस कार्यवाही का उल्लेख पत्र में तो किया गया, लेकिन इसके बाद एफआईआर तो नहीं हुई, उल्टे जयसिंहनगर में वरिष्ठ अधिकारी को पद से हटाकर अशोक शर्मा को क्लास-1 के परियोजना अधिकारी के पद पर आसीन कर दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed