दर्जन भर गुर्गाे को पकड़, खुद की पीठ थपथपा रही पुलिस

(Amit Dubey+8818814739)
शहडोल। अर्से बाद संभागीय मुख्यालय में एक बार फिर सट्टे का कारोबार पुरानी तर्ज पर चल निकला है, यह खबर मीडिया की खोज नहीं बल्कि पुलिस द्वारा 28 और 29 अगस्त को की गई कार्यवाही और उसके पे्रसनोट से सामने आ रही है। कोतवाली पुलिस के द्वारा 28 अगस्त को 5 लोगों को और 29 अगस्त को 4 लोगों के खिलाफ सट्टा खिलाने की कार्यवाही की गई, जाहिर है पुलिस ने कार्यवाही की होगी तो, सट्टे का कारोबार चल रहा होगा, यह बात भी साफ है कि इससे पूर्व के महीनों में जब राजेश मिश्रा कोतवाली प्रभारी नहीं थे तो, पुलिस के रोजनामचे में सट्टे के खिलाफ एक भी कार्यवाही दर्ज नहीं हुई, जो इस बात की ओर इंगित करता है कि सट्टे का कारोबार नहीं चलता था, पूर्व प्रभारी रावेन्द्र द्विवेदी की काबलियत किसी से छुपी नहीं है।
बीते 2 दिन ही नहीं इससे पहले के सप्ताहों व महीनों में कोतवाली पुलिस ने सट्टे के खिलाफ कार्यवाही की, हालाकि मुख्यालय में बंटी और नज्जिर नाम के दो क्रिकेट के सटोरिये भी हैं, जो बीते कुछ सप्ताहों से चालू हुए क्रिकेट के सट्टे के दौरान पुलिस को ही क्रिकेट खिलाकर छका रहे हैं।
हालाकि पुलिस ने बीते दो दिनों में जिन 9 लोगों के खिलाफ सट्टे की कार्यवाही की है, उनकी आर्थिक स्थिति गरीबी रेखा या उससे नीचे जीवनयापन करने वालों की ही होगी और बंटी और नज्जिर नाम के क्रिकेट के सट्टे के कारोबारी करोड़पतियों में शुमार हैं। पुलिस शायद यह भी जानती है कि कहां से रस निकल सकता है और कहां पर कार्यवाही कर वाह-वाही लूटी जा सकती है।
पुलिस के द्वारा सट्टे के खिलाफ की गई कार्यवाही तो, काबिले तारीफ है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि जब कप्तान के निर्देशन में अमलाई पुलिस गांजे के फुटकर कारोबारियों को पकडऩे और उसकी जांच करते हुए उड़ीसा से थोक कारोबारियों को ला सकती है तो, जीर्णशीर्ण अवस्था वाले शहर के झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले कथित पकड़े गये सट्टा कारोबारियों से सुराग तलाश कर शहर में ही इन लोगों से उतारा कर पूरा सिंडीकेट चलाने वाले धनकुबेरों तक कोतवाली पुलिस क्यों नही पहुंच सकती या फिर पहुंचकर लौट आती है, या पहुंचना ही नहीं चाहती, यह तो प्रभारी और उनकी महिमा ही जाने।