कमिश्नर-कलेक्टर कर रहे मुख्यमंत्री के आदेश की अवहेलना

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शहडोल । किसान पुत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां एक और प्रदेश के किसानों के हित में कई सारी योजनाएं संचालित करा रहे हैं, वही कसानों को प्रोत्साहित करने के लिए भी जिले से लेकर प्रदेश तक कार्य किया जा रहा है, लेकिन शहडोल संभाग में अगर देखा जाए तो, किसानों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। 4 से 5 साल से किसान लगातार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री एवं जिन मंत्रियों का भी जिले में दौरा होता है , पीडि़त किसान अपनी समस्या सुनाते आ रहे हैं, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, परेशान किसानों ने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रदेश के मुखिया को आवेदन दिया था, जिस पर मुखिया द्वारा पीडि़त किसानों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए कमिश्नर, कलेक्टर को पत्र लिखा था कि किसानों की समस्या का जल्द निराकरण किया जाए, लेकिन आलम यह है कि संभागीय मुख्यालय में बैठे संभाग के कमिश्नर एवं जिले के कलेक्टर के द्वारा मुख्यमंत्री के भेजे पत्र पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई।

संभाग अंतर्गत ग्राम खैरहा, कदोहा, सारंगपुर, सेमरा, सिलपरी, कठई, धमनी, धमनी खुर्द, हर्रा टोला, देवगई, भोदलखार, अमहा टोला, अमरकंटक एवं पुष्पराजगढ़ पुराने रीवा राज के मध्यप्रदेश राज में वर्ष 1961 में सीलिंग कानून प्रभाव हुआ, उस समय के इलकेदार के नाम अलग-अलग सीलिंग के 04 प्रकरण चलाये गये, जो पहले कलेक्टर के न्यायालय उसके पश्चात संभागयुक्त रीवा के न्यायालय, इसके बाद शहडोल संभाग बनने के उपरांत संभागयुक्त शहडोल के न्यायालय में सीलिंग प्रकरण चले।

वर्ष 1965 से लेकर वर्ष 2016 व वर्ष 2017-18 में प्रकरण का अंतिम निराकरण होने के मध्य भूमियों के क्रय-विक्रय पर किसी प्रकार की कोई रोक शासन या न्यायालय द्वारा न लगाये जाने के कारण उक्त प्रकरणों से संबंधित भूमियों के राजस्व अभिलेख में दर्ज भूमि स्वामियों द्वारा क्रय-विक्रय किया जाता रहा है और ग्रामीणजन इस बात से अनभिज्ञ रहकर की भूमि सीलिंग प्रकरणों से प्रभावित है। भूमियों को रजिस्ट्री द्वारा क्रय कर उन्हें कृषि योग्य बनाकर ग्रामीणजन कृषि कार्य करते चले आये है और अपने परिवार का जीवकोपार्जन भूमि का छोडा जाना विवरणी में दर्शित किया था, उन्हें भी बेच दिया गया।

वर्ष 2015-16 एवं 2017-18 में प्रकरण का निराकरण होना था उस समय अपर कमिश्नर शहडोल से सांठ-गांठ का दोबारा विवरणी प्रस्तुत कर स्वयं द्वारा विक्रय की गई भूमि को शासन के पक्ष मे व शासन के पक्ष मे पूर्व मे छोडी गई भूमि को अपने स्वयं के लिये रखना दर्शित करते हुए नई विवरणी प्रस्तुत कर दिया। जिसके चलते लगभग 2500 एकड़ ग्रामीण किसानो द्वारा क्रय की गई भूमि मध्यप्रदेश शासन दर्ज कर दी गई। जिसके कारण लगभग 1000 ग्रामीणजन परेशान है और अपने क्रय शुदा भूमियों के अधिकार से वंचित हो गये है।

वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के धनपुरी प्रवास के दौरान शहरी क्षेत्र धनपुरी की सीलिंग प्रभावित भूमि को मुक्त कराया गया था एवं ग्रामीण क्षेत्र की भूमियों को मुक्त करने का आश्वासन दिया गया था, इसके बाद सिंहपुर प्रवास के दौरान भी ग्रामीणों किसानों को सीलिंग मुक्त करने का आश्वासन दिया गया था। इस प्रकार ग्रामीण जनों के साथ इलाकेदार एवं उनके परिवारजन तथा तत्कालिक अपर संभागयुक्त के द्वारा सांठ-गांठ कर ग्रामीणजन व शासन को नुकसान पहुंचाने का कार्य किया है। पीडि़त किसानों ने एक बार पुन: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि गरीब किसानों के मुंह का निवाला न छीना जाये तथा किसानों की भूमि को उनके नाम पुन: दर्ज कराये जाये।

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