गणेश राव द्वारा न्यायालय में दायर परिवाद खारिज, नहीं साबित कर पाए लेटरपैड के फर्जी उपयोग का आरोप

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गणेश राव द्वारा न्यायालय में दायर परिवाद खारिज, 

नहीं साबित कर पाए लेटरपैड के फर्जी उपयोग का आरोप

कटनी /कैमोर॥ कैमोर के एक बहुचर्चित मामले का कल न्यायालय में पटाक्षेप हो गया। विजयराघवगढ़ के प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ने कैमोर सीमेंट एवं खदान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गणेश राव द्वारा दायर उस परिवाद को सुनवाई और परिशीलन के बाद खारिज कर दिया जिसमें गणेश राव द्वारा यूनियन के ही एक पूर्व सदस्य अनुराग द्विवेदी पर अपने लेटरपैड के अनाधिकृत उपयोग का आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध धारा 120 बी धारा 415,420,467,468,479,471 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग की गई थी। न्यायालय में परिवाद दायर करने से पहले यूनियन के अध्यक्ष गणेश राव द्वारा इस संबंध में कैमोर थाने में लिखित शिकायत कर अनुराग द्विवेदी के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज कराने न केवल कोशिश की गई बल्कि अपनी राजनैतिक पहुंच का गलत उपयोग करते हुए कैमोर टी आई पर अनावश्यक दबाव भी डलवाया गया। यहां तक कि जिला भाजपाध्यक्ष रामरतन पायल ने भी कैमोर टी आई अरविंद जैन की शिकायत कर उनका तबादला कुठला थाना कटनी करा दिया था हालांकि टी आई का पक्ष जानने के बाद एस पी ने टी आई का तबादला आदेश वापस ले लिया था।
प्रकरण के सम्बंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार एसीसी में सक्रिय श्रमिक संगठन कैमोर सीमेंट एवं खदान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गणेश राव द्वारा इसी साल फ़रवरी में कैमोर थाने में एक लिखित शिकायत की गई कि संघ से निष्कासित एक सदस्य अनुराग द्विवेदी द्वारा उनके लेटरपैड का दुरुपयोग करते हुए खुद को अध्यक्ष दर्शाया गया है। लेटरपैड में कूटरचना कर फर्जी कार्यकारिणी भी दिखाई गई है। अध्यक्ष श्रीराव ने आरोपी अनुराग द्विवेदी के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करने की मांग अपनी शिकायत में की थी। प्राप्त शिकायत पर टी आई ने जब जांच शुरू की तो जिस लेटरपैड का फर्जी उपयोग किये जाने की बात कही जा रही थी वह कहीं मिला ही नहीं। यह बात सामने आई कि एक व्हाट्सएप ग्रुप में इस तरह की कोई पोस्ट वायरल हुई थी। जिस व्हाट्सएप ग्रुप में पोस्ट वायरल हुई गणेश राव उसके सदस्य भी नहीं थे। शिकायतकर्ता की ओर से उन्हें उपलब्ध कराया गया एक स्क्रीन शाट टी आई को दिखाया गया जिसे टी आई ने आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने का पर्याप्त आधार नहीं माना। जांच को आगे बढ़ाते हुए टी आई अरविंद जैन ने एसीसी मैनेजमेंट,श्रम पदाधिकारी, यूनियन रजिस्टार और यहां तक कि बी एम एस के प्रदेश कार्यालय से भी पत्र व्यवहार कर ऐसे किसी लेटरपैड की जानकारी मांगी जो अनुराग द्विवेदी द्वारा उन्हें भेजा गया हो,पर सभी जगह से यही जवाब मिला कि ऐसा कोई लेटरपैड या पत्र उनके कार्यालय को प्राप्त नहीं हुआ। टी आई द्वारा प्रकरण से जुड़े अन्य लोगों के कथन भी लिए गए जिसमे यह बात सामने आई कि कैमोर सीमेंट एवं खदान कर्मचारी संघ में गणेश राव अध्यक्ष पद पर पिछले कई सालों से काबिज है। कुछ सदस्यों ने यह आरोप भी लगाया कि 2016 के बाद से संघ के चुनाव नहीं कराये गए। अनुराग द्विवेदी एवं कुछ अन्य सदस्यों द्वारा संघ के विधिवत लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने की मांग की जा रही थी इसी बात को लेकर संघ में विवाद चल रहा।
लेटरपैड के उपलब्ध न होने एवं व्हाट्सएप ग्रुप की किसी वायरल पोस्ट के स्क्रीन शाट के आधार पर जब टी आई ने एफ आई दर्ज़ नही की तो संघ के अध्यक्ष गणेश राव ने इस सम्बंध में एस डी ओ पी और फिर एस पी से मिलकर टी आई के विरुद्ध शिकायत की। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन का भी सहारा लिया। सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने टी आई को प्रकरण की जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए। टी आई द्वारा की गई जांच से अधिकारियों को अवगत करा दिया गया। प्रकरण में एक नया मोड़ पिछले महीने तब आ गया जब गणेश राव ने एक पत्रकार वार्ता बुलाकर टी आई अरविंद जैन से अपनी जान के खतरे का आरोप लगा दिया। प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक और शोशल मिडिया में इस खबर के सामने आते ही हड़कंप मच गया। भाजपा के कुछ बड़े नेताओं ने टी आई पर कार्यवाही के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। जिला भाजपा अध्यक्ष खुद एस पी तक पहुंच गए। नतीजा यह हुआ कि एस पी ने दूसरे दिन सुबह ही कैमोर थाना प्रभारी के तबादला आदेश जारी कर दिए। इस आदेश को गणेश राव और उनके साथी संगी बड़ी जीत के रूप में देख रहे थे पर उनकी यह खुशी शाम तक भी टिक नहीं पाई और शाम होते होते टी आई का तबादला स्थगित होने का दूसरा आदेश आ गया।

न्यायालय में गणेश राव ने दायर किया परिवाद

पुलिस में अपनी शिकायत पर कोई कार्यवाही न होते देख गणेश राव अन्ततः न्यायालय पहुंच गए। उन्होंने 11 अक्टूबर 2021 को विजयराघवगढ़ के प्रथम श्रेणी व्यवहार न्यायालय में एक परिवाद दायर किया जिसमें संघ के पूर्व सदस्य अनुराग द्विवेदी पर कूटरचना कर लेटरपैड का उपयोग करने और पुलिस द्वारा शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई न करने की बात बताई गई। गणेश राव ने न्यायालय से अनुरोध किया कि अनुराग द्विवेदी पर धोखाधड़ी, जालसाजी,कूटरचना का आपराधिक प्रकरण सम्बंधित धाराओं के तहत दर्ज करने के आदेश कैमोर पुलिस को दिए जाएं। श्री राव ने न्यायालय को यह भी बताया कि वे कई श्रमिक संगठनों के अध्यक्ष रह चुके है, दो बार कैमोर नगर परिषद के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए हैं। परिवाद स्वीकार कर न्यायालय ने इसकी सुनवाई शुरू की। दोनों पक्षों को सुना,प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन भी किया। पुलिस की ओर से अपना पक्ष रखने टी आई न्यायालय में उपस्थित हुए और की गई जांच से न्यायालय को अवगत कराया। टी आई ने अपने कथन में बताया कि जब व्हाट्सएप ग्रुप में मैसेज वायरल हुआ तब गणेशराव उस ग्रुप में सदस्य के रूप में भी जुड़े नहीं थे। उन्होंने यह भी बताया कि जिस लेटरपैड को लेकर शिकायत की गई है वह लेटरपैड आज दिनांक तक कहीं उपलब्ध ही नहीं हुआ है। सदस्य के संघ से निष्कासन के बारे में भी श्रम पदाधिकारी ने अनभिज्ञता दर्शाई है।
अंत मे पाया गया कि जिस लेटरपैड में कूटरचना कर धोखाधड़ी करने के संबंध में परिवाद दायर किया गया है वह लेटरपैड कहीं सामने आया ही नहीं। न्यायाधीश ने विधि और तकनीकी की परस्पर क्रिया से दो स्थितियां निर्मित होने की बात अपने आदेश में कही। इसकी व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि या तो पारंपरिक अपराध में तकनीकी प्रयोग किया जाए या भौतिक जगत से भिन्न सायबर जगत में ऐसा कोई कार्य किया जाए जो अपराध की श्रेणी में आता हो। यदि तकनीक का प्रयोग पारंपरिक अपराध में हुआ हो तो पारंपरिक अपराध की धारा में प्रकरण दर्ज कर दंडित किया जाता है। प्रस्तुत प्रकरण में कूटरचित दस्तावेज उपलब्ध नहीं है ना ही न्यायालय में किसी भी पक्ष द्वारा प्रस्तुत किया गया। वाट्सएप स्क्रीन शाट के सम्बंध में 65 बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत नहीं है साथ ही व्हाट्सग्रुप मैसेज के उदभव की पहचान भी स्थापित नही होती अतः यह परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।

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