जिला अध्यक्षों की सूची से कांग्रेस में मचा घमासान,जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी! नाराजों को हटाने की दी चेतावनी

मेहनतकश कार्यकर्ताओं की अनदेखी
सूची में ऐसे नाम शामिल किए गए हैं जिन्हें स्थानीय संगठन से गहरा जुड़ाव नहीं माना जाता। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पार्टी ने फिर से गुटबाजी और हाईकमान की पसंद को ही प्राथमिकता दी। कई पुराने और सक्रिय कार्यकर्ताओं को अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर रख दिया गया। इस निर्णय से उन कार्यकर्ताओं में गहरा रोष है जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी कांग्रेस का झंडा थामे रखा।
सोशल मीडिया पर नाराजगी, कांग्रेस ने जारी किया पत्र
नाराज कार्यकर्ताओं और नेताओं ने फेसबुक, व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त कीं। कई जगहों पर जिला अध्यक्षों के चयन पर सवाल उठाते हुए पोस्ट वायरल होने लगीं।
इसी बीच, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन महामंत्री डॉ. संजय कामले द्वारा जारी एक पत्र सामने आया, जिसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया पर वरिष्ठ नेतृत्व और पार्टी विरोधी पोस्ट करना घोर अनुशासनहीनता है। पत्र में स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि सभी कार्यकर्ता अपने द्वारा डाले गए ऐसे पोस्ट 24 घंटे के भीतर हटा लें। साथ ही चेतावनी दी गई है कि समयसीमा में पोस्ट न हटाने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
“आंतरिक लोकतंत्र” पर सवाल
प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व का दावा है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है और हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है। लेकिन नाराज कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि वास्तव में लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई गई होती तो उनकी मेहनत और लोकप्रियता को अनदेखा नहीं किया जाता। उनके मुताबिक, पार्टी का लोकतंत्र केवल कागजों पर दिखाई देता है, जबकि फैसले कुछ बड़े नेताओं की पसंद पर ही थोपे जा रहे हैं।
चुनावी साल में गहराता संकट
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर पैदा हुआ विवाद कांग्रेस के लिए चुनावी साल में सिरदर्द साबित हो सकता है। बूथ स्तर पर काम करने वाले जमीनी कार्यकर्ता ही चुनाव की असली ताकत होते हैं। यदि वही उपेक्षित और अपमानित महसूस करेंगे तो कांग्रेस को संगठनात्मक कमजोरी झेलनी पड़ सकती है।