विलासिता में डूबा कांग्रेस संगठन हुआ बेपर्दा,अध्यक्ष समेत 4 पार्षदों ने थामा भाजपा का दामन
धनपुरी समेत कांग्रेस के 12 पदाधिकारी भाजपा में शामिल
शहडोल। कांग्रेस पार्टी की जयसिंहनगर नगरपरिषद ने उस समय जिले को अचंभे में डाल दिया जब अध्यक्ष समेत चार पार्षदों, ब्लाक अध्यक्ष और जिला उपाध्यक्ष सहित सात लोगों ने एकाएक भाजपा ज्वाइन कर ली। यह जिले के राजनीतिक इतिहास का शायद पहला ऐसा मामला होगा, जो इतना जबर्जस्त और सनसनीखेज होगा। परिषद के इस राजनीतिक बदलाव ने कांग्रेस पार्टी के निकम्मेपन और उसकी टूटन को उघाडक़र सडक़ पर रख दिया है। विलासिता में डूबा कांग्रेस संगठन आज बेपर्दा हो गया है। कांग्रेस का अध्यक्ष पद आज पार्टी की छवि को लेकर धुंए में डूबा नजर आता है। इनके कार्यकाल में पार्टी को वह दिन भी देखने पड़े जो आज तक जिले के इतिहास में कभी दिखाई नहीं पड़े। पार्टियों में समर्थको का आना-जाना होता था, लेकिन इस तरह एक निर्वाचित जनतांत्रिक संस्था के अध्यक्ष का संस्था के कार्यकाल के अंदर पार्षदों समेत पार्टी बदल लेना कोई सामान्य घटना नहीं हैै। अब कांग्रेस के पास अंगूठा चूसने के सिवाय कुछ नहीं बचा है। यही नहीं टूटन की स्थिति नगरपालिका धनपुरी में भी देखी गई, जहां से तीन पार्षद और एक महामंत्री तथा एक पदाधिकारी खैरहा से भाजपा में शामिल हुए। हालांकि कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने बाद में इज्जत बचाने का प्रयास करते हुए सभी को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
कांग्रेस से अलविदा हुए यह चेहरे
जयसिहनगर नगरपरिषद सेे कांग्रेस के जिन पदाधिकारियों ने भाजपा ज्वाइन की उनमें चेयरमैन श्रीमती सुशीला शुक्ला, गुडिय़ा अहिरवार (पार्षद वार्ड न 14),दीपक बैगा (पार्षद वार्ड नंबर 15),फिल्मत बैगा (पार्षद वार्ड नंबर 10),गेंदा बाई सोनी (पार्षद वार्ड नंबर 7) हैं। इनके अलावा बाबू लाल शुक्ला जयसिंह नगर(वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष),आदेश शुक्ला जयसिंह नगर (ब्लाक अध्यक्ष)ने भी साथ ही भाजपा ज्वाइन की है। इनके साथ ही धनपुरी का भी पन्ना खोलना जरूरी है। विनय सिन्हा धनपुरी (जिला महामंत्री) श्रीमति दिव्यरेखा सिन्हा धनपुरी (पार्षद वार्ड नंबर 21), विजय यादव धनपुरी (पार्षद वार्ड नंबर 2),चंद्रकांता कोल धनपुरी (पार्षद वार्ड नंबर 26),विद्या भूषण द्विवेदी खैरहा ने भी पार्टी छोडक़र भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त थे
कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने इन सभी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन्हे पार्टी की सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। उन्होने सफाई देते हुए कहा है कि यह सभी लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों मे संलिप्त होने एवं भाजपा संगठन से सांठगांठ रखते थे। इस कारण इन सभी को काँग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छ: वर्षों के लिए निष्कासित किया जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि जिला अध्यक्ष को इनकी गतिविधियों की जानकारी तब लगी जब इन्होने पार्टी ही छोड़ दी। कांग्रेस संगठन की निष्क्रियता का इससे बड़ा उदाहरण शायद ही देखने को मिलेगा।
ऐसा कृत्य नैतिकता से दूर है
जयसिंहनगर नगरपरिषद चेयरमैन और पार्षदों ने कांग्रेस के एजेंडे और चुनाव चिन्ह का सहारा लेकर चुनाव जीता है और जनता ने उन्हे अपना विश्वास देकर विजयी बनाया है। अब नगरपरिषद का कार्यकाल समाप्त होने तक उन्हे कांग्रेस के घोषणापत्र के अनुसार कार्य करना चाहिए। यही नैतिकता का तकाजा है। बीच में ही पार्टी बदल लेना जनता के विश्वास का गला घोटने जैसा है। दलबदलू भी कितने पानी में हैं, यह सभी जानते हैं। अगर भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ा होता तो, शायद हालात कुछ और ही होते। राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांगे्रस के एजेण्डे पर चुनाव जीतने वाले पहले संस्था का कार्यकाल पूर्ण करें, फिर पार्टी से इस्तीफा देकर दूसरी पार्टी ज्वाइन करें। अन्यथा यह मतदाताओं और कांग्रेस पार्टी के साथ धोखाधड़ी कहलाएगी।
कहीं घनश्याम भी न खिसक जाएं
जयसिंहनगर की श्रीमती सुशीला शुक्ला तो खिसक गईं, अब कहीं शहडोल के चेयरमैन घनश्याम जायसवाल का भी मन डांवाडोल न हो जाए। क्योंकि इनकी संगत भी भाजपाइयों के साथ है। जानकारी मिली है कि भाजपा के बड़े धाकड़ लोगों से इनके गहरे संबंध हैं। दाल में कुछ काला है, कहीं कांग्रेस जिला अध्यक्ष को बाद में इनके लिए भी न लिखना पड़े कि इनकी भाजपाइयों से सांठ-गांठ थी। लोगों का कहना है कि अध्यक्ष जी, अब भी वक्त है, घनश्याम को कम से कम सम्हाले रखिए। क्योकि कहां क्या चल रहा है, कौन कूद फांद कर सकता है, इसकी जानकारी आपको बहुत कम रहती है।