कोरोना को लेकर गंभीर नहीं कानवेंट प्रबंधन!

आधा दर्जन से अधिक पॉजीटिव, चोरी छुपे संचालित हो रहे सभी कार्य
प्रबंधन को जान से अधिक दाखिले व आर्थिक लाभ की चिंता
शहडोल। कोरोना संक्रमण के बढ़ते ग्राफ और भयावक होते उसके खतरे से बेपरवाह शहडोल स्थित गुड शेफर्ड कानवेंट स्कूल का प्रबंधन कर्मचारियों तथा यहां अध्ययनरत बच्चों व उनके परिजनों की जान से खेल रहा है। आरोप हैं कि बीते एक पखवाड़े के दौरान स्कूल प्रबंधन के आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी कोरोना पॉजीटिव आये, लेकिन उनसे लगातार प्रबंधन ने सेवा ली, यही नहीं न तो, उनके केबिन आदि को सेनिटाइज कराया गया, बल्कि यह जानकारी सार्वजनिक न हो, इसका भी पूरा ख्याल रखा गया और इस दौरान कर्मचारी लगातार बच्चों और उनके परिजनों से मुलाकात भी करते रहे।
आधा दर्जन से अधिक संक्रमित!
विद्यालय प्रबंधन व स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों पर यकीन करें तो, बीते एक पखवाड़े के दौरान एक दर्जन से अधिक शिक्षक व अन्य कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। बावजूद इसके वे लगातार यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे और प्रबंधन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। शहडोल में कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने का एक कारण यह भी हो सकता है, जिन कर्मचारियों के नाम संक्रमितों की सूची में शामिल होने की खबर है, उनमें स्पोर्ट टीचर, क्लर्क तथा 2 शिक्षिकाएं कोरोना पॉजीटिव होकर ठीक भी हो चुकी हैं। वहीं पूर्व में जब एक अन्य शिक्षिका कोरोना संक्रमित पाई गई थी, तो तीन दिन विद्यालय बंद किया गया था, लेकिन इस बार प्रबंधन ने एहतियात के तौर पर कोई गंभीर कदम नहीं उठाये।
लापरवाही पड़ सकती है भारी
कानवेंट प्रबंधन के कर्मचारी और यहां अध्ययनरत सैकड़ों बच्चे मुख्यालय के लगभग वार्डाे तथा आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी सीधे जुड़े हैं, सुखद पहलू यह है कि वर्तमान में विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो रही है, लेकिन दाखिले व फीस, टीसी तथा शिक्षा से जुड़े दर्जनों कार्याे के लिए दर्जनों की संख्या में अभिभावक और बच्चे रोजाना यहां पहुंच रहे हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों को लेकर प्रबंधन द्वारा बरती जा रही लापरवाही दर्जनों परिवारों को प्रभावित कर दे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
सामने बंद, पीछे से हो रही इंट्री
विद्यालय प्रबंधन पर यह भी आरोप हैं कि लॉकडाउन के दिन भी सामने का दरवाजा बंद करके कर्मचारियों को पीछे के रास्ते से बुलवाया गया और फीस तथा अन्य कार्याे से अभिभावक यहां आते रहे। इससे पूर्व के दिनों में भी एडमिशन की चाहत व फीस का लक्ष्य पूरा करने के लिए अभिभावकों को कॉल करके पीछे के दरवाजे से प्रबंधन बुलाता रहा और दबाव बनाकर मनमानी पूर्वक कोरोना की गाइड लाईन का उल्लंघन किया जाता रहा।
मौन है जिम्मेदार
ऐसा नहीं है कि कानवेंट विद्यालय की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए शासन ने कोई व्यवस्था नहीं की, जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर प्रशासन स्तर पर बैठे तहसीलदार, एसडीएम जैसे जिम्मेदार अधिकारी इसकी मनमानी पर अंकुश लगा सकते हैं, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय वर्तमान और इससे पूर्व के वर्षाे में हमेशा अकेले उक्त विद्यालय के सामने बौना नजर आता रहा है, वहीं प्रशासनिक अधिकारियों तक मनमानी की खबर न पहुंचने के कारण कार्यवाही से विद्यालय हमेशा बचता रहा।