कोरोना ने फोड़ी कुम्हारों के उम्मीदों की मटकी, जिंदगी की आस में घूम रहा चाक

0

कोरोना ने फोड़ी कुम्हारों के उम्मीदों की मटकी, जिंदगी की आस में घूम रहा चाक

कटनी ॥ कोरोना महामारी ने कुम्हारों के उम्मीदों की मटकी ही फोड़ दी है। मानो अब केवल जिंदगी की आस में ही चाक (मटकी तैयार करने वाला पहिया) घूम रहा है। यह हम नहीं कर रहे हैं, कुम्हारों की स्थिति देखने पर कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। देश में कोरोना की दस्तक से पहले सब कुछ ठीक-ठाक था। कुम्हार अपने काम में मस्त थे और उन्हें उम्मीद थी कि हर बार की तरह ही वे इस बार भी गर्मी में अच्छी कमाई कर लेंगे, लेकिन यह कल्पनामात्र ही रह गई। जब कोरोना महामारी के चलते मटका मार्केट में आने से पहले ही घरों में कैद रह गया। 12 महीनों सीजन के हिसाब से मिट्टी से मटकी, दीप, कलश, नांदी-बैल बनाकर अपना जीविका चलाते हैं। गर्मी शुरू होने के पहले से ही ये सभी परिवार के सदस्य मटकी तैयार करने में लग जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन ने इनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और ना के बराबर मटकी की बिक्री होने से इनके समक्ष खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed