निलंबन व एफआईआर निरस्त कराने जोड़ तोड़ में लगे भ्रष्टाचारी , 6 वर्षों में डकार गए एक करोड़ से अधिक राशि

शहडोल। प्रशासनिक ढांचे के विभिन्न पदों पर बैठे भ्रष्ट अफसर मौका मिलते ही शासकीय खजाने में सेंध लगाने और करोड़ों का वारा न्यारा करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। जिससे शासन का खजाना खाली हो रहा है। इनके विरुद्ध जब शिकायत होती है और कार्रवाई का समय आता है तो प्रक्रिया को प्रभावित कर उसमें रोड़ा अटकाते रहते हैं। ऐसा ही किस्सा बुढ़ार खण्ड शिक्षा अधिकारी अशोक शर्मा का भी था जिन्होने सेवा काल की 6 वर्ष की अवधि में शासन को एक करोड़ रुपए से भी अधिक का चूना लगाया। इन्हे निलंबित तो कर दिया गया लेकिन जब एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया का समय आया तो हाई कोर्ट की शरण में जाकर एफआईआर को निरस्त कराया गया। यद्यपि शासन की ओर से इनके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में मामले को लाया जा रहा है लेकिन उसे भी लम्बित करने का प्रयास किया जा रहा है।
6 वर्षों तक लीलते रहे
अशोक शर्मा शाउमावि बनसुकली में व्याख्याता के पद पर पदस्थ थे। इन्हे बाद में बुढ़ार खण्ड शिक्षा अधिकारी बुढ़ार का पदभार सौंप दिया गया। श्री शर्मा ने 6 जून 2014 से लेकर 31 मार्च 2020 तक की लगभग 6 वर्ष की अवधि में एक करोड़ एक लाख रुपए की शासकीय राशि का गबन किया। शिकायत होने पर बुढ़ार थाने में इनके विरुद्ध अगस्त 2021 को अपराध पंजीबद्ध कराया गया। जब अपराध पंजीबद्ध हो गया तो कमिश्नर शहडोल ने इन्हे निलंबित कर दिया और इनका मुख्यालय एसी ट्रायबल अनूपपुर कर दिया। इसके बाद 26 जुलाई 2021 को आरोपपत्र जारी किए गए।
हाईकोर्ट की शरण ली
इतनी कार्रवाई होते ही श्री शर्मा अपने बचाव के लिए सीधा हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गए। जहां याचिका क्रमांक 18544/2021 दायर की गई। इसके बाद श्री शर्मा ने हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्णय की प्रति संलग्र कर विभाग को प्रेषित करते हुए अपील स्वीकार करने और आयुक्त के निलंबन आदेश को अपास्त करने का अनुरोध किया गया। श्री शर्मा द्वारा प्रस्तुत अपील एवं सहपत्रों की प्रति कमिश्नर को प्रेषित कर अपील में वर्णित तथ्यों का परीक्षण कर अभिमत चाहा गया। जिसके परिपेक्ष्य में आयुक्त के पत्र द्वारा अवगत कराया गया कि अपचारी अधिकारी के विरुद्ध अधिरोपित आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और वित्तिय अनियमितता से संबंधित हैं तथा प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है ऐसी स्थिति में श्री शर्मा को बहाल करना शासन हित में नहीं होगा।
एफआईआर निरस्त कराने भी हाईकोर्ट गए
इसके बाद श्री शर्मा एफआईआर निरस्त कराने के लिए भी फिर से हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे। जहां सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने एफआईआर निरस्त करते हुए उनके विरुद्ध प्रचलित समस्त कार्रवाइयां निरस्त करने का निर्णय दिया। लेकिन इसके विरुद्ध अपील दायर करने हेतु प्रकरण विधि एवं विधायी कार्य विभाग को प्रेषित किया गया। जिसके परिप्रेक्ष्य में विधि एवं विधायी कार्य विभाग की टीप में यह अभिमत दिया गया कि उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध विशेष याचिका सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की जा सकती है। निर्देशानुसार लेख है कि उपरोक्तानुसार विधि एवं विधायी कार्य विभाग द्वारा दिए गए अभिमत के आधार पर याचिका क्रमांक एमसीआरसी नंबर 22154/2022 दिनांक 10 मई 2022 द्वारा पारित निर्णय के विरुद्ध तत्काल विशेष अनुमति याचिका दायर करने की कार्रवाई की गई। कार्रवाई से विभाग एवं कमिश्नर शहडोल को अवगत कराया जाए, मामला चल रहा है।