सिंदुरसी भूमि प्रकरण में न्यायालय कलेक्टर कटनी ने दिया महत्वपूर्ण निर्णय खसरा नंबर 203/6 सहित 4 अन्य खसरा नंबर की भूमि को शासकीय दर्ज करने का अंतरिम आदेश,बिना सक्षम अनुमति के पट्टे की भूमि के खरीद फरोख्त का है प्रकरण
सिंदुरसी भूमि प्रकरण में न्यायालय कलेक्टर कटनी ने दिया महत्वपूर्ण निर्णय
खसरा नंबर 203/6 सहित 4 अन्य खसरा नंबर की भूमि को शासकीय दर्ज करने का अंतरिम आदेश,बिना सक्षम अनुमति के पट्टे की भूमि के खरीद फरोख्त का है प्रकरण
कटनी। शासकीय पट्टे की भूमि के विधि विरुद्ध तरीके के क्रय विक्रय के प्रकरण में न्यायालय कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद द्वारा आदेश पारित करते हुए उक्त भूमि को अंतिम निर्णय होने तक शासकीय दर्ज किए जाने की अंतरिम व्यवस्था दी है। उल्लेखनीय है कि यह प्रकरण बहोरीबंद तहसील अंतर्गत ग्राम सिंदूरसी के खसरा नंबर 203 रकवा 11.48 हेक्टेयर पर प्रदत्त पट्टों के बगैर सक्षम अनुमति के अंतरण किए जाने से संबंधित है। जिससे संबंधित एक प्रकरण में पूर्व में ही न्यायालय कलेक्टर कटनी द्वारा 14 मार्च 2023 को आदेश पारित कर खसरा नंबर 203/2 की भूमि का बिना सक्षम अनुमति के किया गया नामांतरण निरस्त करते हुए उक्त भूमि को शासकीय दर्ज करने की व्यवस्था दी थी। ग्राम सिंदुरसी तहसील बहोरीबंद के खसरा नंबर 203/2 से संबंधित प्रकरण के 14 मार्च 23 को हुए निर्णय में न्यायालय कलेक्टर कटनी द्वारा खसरा नंबर 203 रकवा 11.48 हे. पर प्रदत्त पट्टों व भूमि के स्वरूप के विषय में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किए जाने के लिए अनुविभागीय अधिकारी बहोरीबंद को आदेशित किया गया था। न्यायालय कलेक्टर कटनी के आदेश के पालन में अनुविभागीय अधिकारी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में प्रतिवेदित किया गया कि प्रश्नधीन भूमि खसरा नंबर 203 के वर्ष 2008-09 तक कुल 12 बटांकन कायम होकर अभिलेखों में पट्टाधारियों के नाम दर्ज किए गए थे। वर्ष 2010-11 में उपरोक्त पट्टे की भूमियों के नवीन बटांक 203/13, 203/14, 203/15 एवम् 203/16 कायम किए गए हैं, जो कि पट्टाधारियों के भूमि का विक्रय कर दिए जाने से ही उक्त बटांकन कायम होकर विभिन्न व्यक्तियों के नाम भूमि स्वामी के रूप में दर्ज किए गए हैं। अधीनस्थ न्यायालय के प्रतिवेदन से यह स्पष्ट हुआ कि तहसीलदार बहोरीबंद द्वारा राजस्व प्रकरण के माध्यम से खसरा नंबर 203 रकवा 11.48 हे भूमि के कुल 12 बटांक 203/1 से 203/12 तक कायम कर कुल 12 व्यक्तियों को पट्टे जारी किए गए। वर्ष 2010-11 में 203/13 से 203/16 तक बटांक निर्मित कर उक्त खसरों की भूमि निजी भूमि स्वामी के हक में दर्ज की गई जो प्रथम दृष्टया अवैधानिक प्रविष्टि प्रतीत होती है। इसके साथ ही प्रकरण में संलग्न दस्तावेजों के अवलोकन उपरांत प्रथम दृष्टया यह भी स्पष्ट होता है कि खसरा नंबर 203/6 रकवा 0.40 हेक्टयर पट्टे पर दी गई भूमि पट्टे की शर्त का उल्लंघन करते हुए अन्य व्यक्ति नितिन जैन पिता दयाचंद जैन को अंतरित कर दी गई जो वर्तमान में नितिन जैन के नाम पर ही दर्ज है।
प्रकरण की विवेचना उपरांत ग्राम सिंदूरसी तहसील बहोरीबंद स्थित खसरा नंबर 203/6 रकवा 0.40 हे भूमि पट्टे की शर्तों का उल्लंघन करते हुए अन्य व्यक्ति के नाम पर दर्ज होने से तथा खसरा नंबर 203/13, 203/14, 203/15 व 203/16 रकवा क्रमशः 0.80, 0.40, 0.60, 1.50 हे. भूमि अवैधानिक रूप से भूमि स्वामी हक में दर्ज होना प्रतीत होने से मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की 1959 की धारा 32 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रकरण के अंतिम निराकरण होने तक न्यायालय कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद द्वारा अंतरिम व्यवस्था के अंतर्गत उक्त भूमि को शासकीय दर्ज किए जाने के आदेश दिए हैं। साथ ही आदेश में खसरा नंबर 203/6 के पट्टेदार को धारा 182 के तहत इस आशय का सूचना पत्र क्यों न पट्टा की शर्तों का उल्लंघन करने से उसका पट्टा निरस्त कर दिया जाए जारी करने आदेशित किया गया है। खसरा नंबर 203/13, 203/14, 203/15 और 203/16 भूमि के पट्टे यदि जारी नहीं किए गए हैं तो किस आदेश से वर्तमान में भूमि स्वामी हक में दर्ज हैं, इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी बहोरीबंद से प्रतिवेदन लिए जाने के आदेश भी न्यायालय कलेक्टर कटनी द्वारा दिया गया है।