शासकीय निर्माण कार्य में कर रहे क्रेशर डस्ट का उपयोग

गुणवत्ता विहीन हो रहा निर्माण, हिदायत के बावजूद नहीं मान रहा ठेकेदार
उमरिया। प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए विद्यालयों के साथ-साथ छात्रावास भवनों का निर्माण जगह-जगह करवा रही है, लेकिन निर्माण कार्य भ्रष्टाचार करने का जरिया बन चुका है, सरकार की मंशा और सरकारी निर्देशों के विपरीत भवन निर्माण में न तो प्रॉक्लन के अनुरूप कार्य कराया जा रहा है न ही कार्य में प्रयुक्त सामग्री में गुणवत्ता का ध्यान रखा जा रहा है। जिम्मेदारों के संरक्षण में खुलेआम पाली विकास खण्ड में छात्रावास निर्माण में रेत की जगह क्रेशर से निकलने वाली डस्ट का उपयोग किया जा रहा है, निर्माण कार्य के दौरान उपयंत्री मौजूद नहीं रहते है और मेट के भरोसे ठेकेदार पूरा निर्माण कार्य करवा रहे हैं।
यह है मामला
बिरसिंहपुर पाली मुख्यालय से लगे ग्राम रामपुर के समीप उत्कृष्ट विद्यालय के बगल से छात्रावास भवन निर्माण व तहसील कार्यालय के अतिरिक्त भवन निर्माण कार्य ठेकेदार के माध्यम से पीआईयू विभाग द्वारा करवाया जा रहा है। ठेकेदार द्वारा उक्त निर्माण में क्रेशर डस्ट का उपयोग नियम विरूद्ध किया जा रहा है, पूर्व में मामला कलेक्टर के संज्ञान में आने के बाद अधिकारियों की टीम ने निर्माण स्थल पहुंचकर जांच की थी, जिस दौरान यह प्रमाणित हुआ था कि ठेकेदार द्वारा रेत का उपयोग न करते हुए डस्ट का उपयोग किया जा रहा है, निर्माण में लापरवाही के चलते ठेकेदार पर 2 लाख का जुर्माना लगाते हुए रेत प्रयोग करने की हिदायत दी थी, लेकिन ठेकेदार अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
एसडीएम ने कार्य करवाया था बंद
खबर है कि तहसील कार्यालय के बगल में चल रहे करोड़ों रुपए की लागत से अतिरिक्त तहसील कार्यालय भवन निर्माण में भी गुणवत्तविहीन कार्य किया जा रहा था, जिसकी जानकारी होने पर एसडीएम टी.आर. नाग ने संबंधित ठेकेदार का कार्य बंद करा दिया था, लेकिन कुछ दिनों बाद उसी ठेकेदार ने पुन: उसी तरह कार्य आरंभ कर दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि संबंधित विभाग को घटिया निर्माण से कोई लेना-देना नहीं रह गया है, मजे की बात तो यह है कि विभाग के जिम्मेदार ठेकेदार को हिदायत तो देते हैं, लेकिन उसके बाद भी वह अपनी मर्जी से ही काम करता है, ठेकेदार द्वारा लगातार डस्ट से निर्माण किया जा रहा है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह भवन कितने वर्ष तक टिकेंगे।
कब होती है जांच पता नहीं
जिले में करोड़ों के निर्माण कार्यों में पीआईयू के अधिकारियों की लापरवाही व ठेकेदार की मनमानी के चलते सरकार के पैसे बर्बाद हो रहे हैं, पीआईयू के जिम्मेदारों के चलते पूर्व में भी जिले में घटिया निर्माण ठेकेदारों द्वारा किये गये हैं, पीआईयू विभाग द्वारा बनवाई गई बिल्ंिडगों के बनते ही दरारें या अन्य खामियां देखने को मिलती है, निर्माण के दौरान न तो, किसी प्रकार का प्राक्कलन बोर्ड लगाया जाता है और न ही जिम्मेदार अधिकारी निर्माण स्थल पर मौजूद रहते हैं, जांच के लिए कब आते हैं, स्थानीय लोगों का पता तक नहीं चलता।
हिदायत तक सिमटी जिम्मेदारी
पीआईयू विभाग के एसडीओ पंकज गुप्ता द्वारा कहा गया कि तहसील कार्यालय के नवीन भवन निर्माण कार्य में क्रेशर डस्ट का उपयोग नहीं किया जाए, इस बात के निर्देश ठेकेदार को दिये गये हैं, रामपुर के समीप छात्रावास भवन निर्माण कार्य में थोड़ी-बहुत क्रेशर डस्ट का उपयोग हुआ है, काली रेत भी लगाई गई है, किंतु अब नहीं लगाई जाएगी। ठेकेदार के.पी.मिश्रा को करीब तीन लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है और क्रेशर डस्ट उपयोग नहीं करने की हिदायत भी दी है।