अंधी हत्या के रहस्य का 7 दिन में उठा पर्दा
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15 साल की उम्र से रामप्रसाद के लिए बढ़ता रहा क्रोध, घात लगाकर की हत्या
गांव से आरोपी के पिता को मृतक ने था भगाया, आरोपी की मां से थे अवैध संबंध
शहडोल । जैतपुर थाना के ग्राम कंठी टोला निवासी रामप्रसाद तिवारी 25 अगस्त की रात्रि 10 बजे अपने पुत्र रमाकांत तिवारी के घर में खाना खाकर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित अपने घर जाने के लिये मोटर सायकल से निकला। 26 अगस्त को गांव के रास्ते में ही बाजू में मन्नू पाव के धान के खेत में भरे हुए पानी में रामप्रसाद तिवारी का शव मिला, जिसके शरीर में तेज धारदार हथियार की कई चोटे थी। मृतक के पुत्र रमाकंत तिवारी की रिपोर्ट पर अज्ञात आरोपी के विरूद्ध धारा 302 ता.हि. का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। मृतक के पुत्र द्वारा गांव के संतराम पाव, नरेन्द्र सिंह ठाकुर, दूबलाल पाव, भुवनेश्वर पाव व मंगल पाव पर पुरानी रंजिश के आधार पर अपने पिता की हत्या किये जाने का संदेह व्यक्त किया गया था। जिनसे मृतक का जमीन संबंधी पुराना विवाद न्यायालय में चल रहा था।
अंधेरे में की थी हत्या
रामप्रसाद तिवारी की हत्या अज्ञात आरोपी द्वारा रात के अंधेरे में की गई थी, इसलिए अज्ञात आरोपी के संबंध में सूत्र हासिल करना पुलिस के लिये एक चुनौती थी। पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र शुक्ल के द्वारा ग्राम कण्ठीटोला पहुंचकर घटना स्थल का निरीक्षण किया गया, मृतक के शव पर पायी गई चोटो के आधार पर अज्ञात आरोपी की तलाश हेतु थाना प्रभारी जैतपुर को निर्देश दिये गए।
हत्या की सभी संभावनाएं तलाशी
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती प्रतिमा एस. मैथ्यू द्वारा विवेचना के दौरान स्वत: मृतक के पुत्र रमाकांत तिवारी द्वारा बताये गये संदेहियों से पूछताछ की गई एवं प्रकरण की विवेचना की रूप रेखा सुनिश्चित कर क्रमबद्ध तथ्य एकत्र करने निरीक्षक एन.एस.राजपूत को बीट प्रभारी, सहायक उप निरीक्षक आर.पी. वर्मा एवं प्रधान आरक्षक अशोक वर्मा, प्रताप सिंह, आरक्षक गुड्डू यादव, नारेन्द्र सिंह, पुष्पेन्द्र सिंह, सोनू दुबे एवं महिला आरक्षक अन्नपूर्णा उईके की विशेष टीम बनाकर मृतक की हत्या की सभी संभावनाओं पर तथ्य एकत्र करने हेतु निर्देशित किया गया।
6 साल से थे आरोपी की मां से संबंध
घटना स्थल पर एस.पी. सिंह वैज्ञानिक अधिकारी एफएसएल एवं भरत दुबे अनुविभागीय अधिकारी पुलिस धनपुरी द्वारा पहुंचकर घटना स्थल एवं मृतक के शव पर पाई गई चोटो के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि मृतक के शरीर पर एक ही हथियार से चोटे पहुंचाई गई हैं, व्यापक परिप्रेक्ष्य में विवेचना में यह तथ्य प्रकाश में आया कि गांव में ही रहने वाली एक महिला से मृतक के संबंध थे, जिसके घर में प्रतिदिन मृतक का पिछले 5-6 वर्ष से आना-जाना था। इसी बात को लेकर उक्त महिला के पति से मृतक ने 5-6 साल पहले जंगल में मारपीट की थी, मृतक की धमकी के कारण महिला का पति अपना घर छोड़कर अन्य गांव में रहने लगा था। उक्त महिला का बड़ा पुत्र दिवाकर पाव उम्र 21 वर्ष का है जो 6 साल पहले 15 साल का था, जिसे मृतक द्वारा लगातार डरा-धमका कर घर से भगा दिया था जो अपनी माँ का घर छोड़कर पास में ही अपनी दादी के घर में रहने लगा था।
घात लगाकर उतारा मौत के घाट
पुलिस ने बताया कि दिवाकर पाव पिता शम्भू उर्फ शम्भूलाल पाव उम्र 21 वर्ष निवासी कण्ठीटोला से प्रशिक्षु उप पुलिस अधीक्षक संघ प्रिय सम्राट द्वारा थाने के विवेचको की टीम सहित बारीकी से गहन पूछताछ की गई, जिसने अंतत: मृतक रामप्रसाद तिवारी को 25 अगस्त की रात्रि में 10:30 से 11:30 के मध्य गांव के रास्ते में आम के पेड़ के पीछे छिप कर घात लगाकर पुलिया के पास मृतक को फरसी से चोटे पहुंचाकर हत्या करना स्वीकार किया। आरोपी के कब्जे से मृतक की हत्या करने में प्रयुक्त फरसी ज़ब्त की गई।
यह है आरोपी की दास्तां
मृतक रामप्रसाद तिवारी की हत्या किये जाने के कारण के संबंध में आरोपी दिवाकर पाव ने बताया कि उसकी माँ से मृतक के लगभग 5-6 साल से गलत संबंध थे। मेरे पिता द्वारा विरोध करने पर रामप्रसाद तिवारी ने धमकी देकर गांव से भगा दिया था, मेरा पिता डर के मारे गांव छोड़कर भाग गया था। तब से रामप्रसाद तिवारी मुझे जान से मारने की धमकी देता था कि तू भी गांव छोड़कर भाग जा। आरोपी ने अपनी माँ के साथ रामप्रसाद तिवारी को कई बार आपत्ति जनक स्थिति में देख लिया था। मृतक रामप्रसाद तिवारी ने अपने गलत संबंध लगातार बनाये रखने के लिये महिला के पति एवं उसके बेटे को घर से निकाल दिया था, घर बर्बाद कर दिया था। इसी बात को लेकर वह 15 साल की उम्र से लगातार प्रताडि़त था, जिससे मृतक रामप्रसाद तिवारी के प्रति क्रोध लगातार बढ़ता रहा और सहन करने की सीमा खत्म होने पर उसने रामप्रसाद तिवारी की अकेले ही फरसे से हत्या की दी।
इनकी रही भूमिका
विवेचना एवं आरोपी की तलाश में थाना प्रभारी जैतपुर, उप निरीक्षक आ.के. गायकवाल, सहायक उप निरीक्षक जीवन सिंह तेकाम, प्रधान आरक्षक लालमणी सिंह, समलू मार्को, आरक्षक अतुल, हरपाल, चन्द्रप्रकाश, शिवकुमार, जितेन्द्र, सुभाष, राकेश एवं राममोहन की भूमिका रही।