सीईओ की ढिलाई से ग्रामपंचायत में बढ़ रही अंधेरगर्दी

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सरपंच व सचिव कर रहे मनमानी, ग्रामीण परेशान

इंट्रो-जिले के पांच जनपदों में से गोहपारू जनपद ही ऐसा है जिसमेे स्थाई सीईओ पदस्थ हैं लेकिन यहंा भी अव्यवस्थाओं का ही बोलबाला है। ग्रामपचंायतो में भ्रष्ट सरपंच व सचिवों की तूती बोलती है। नियमों की धज्जियां उड़ाकर केवल धांधली का बाजार चलाया जा रहा है। जनपद सीईओ भी सारी स्थितियों से अवगत होते हुए भी चुप्पी साधे बैठे हैं।
शहडोल। जनपद सीईओ पंचायतों का न तो भ्रमण करते और न मॉनीटरिंग कर मार्गदर्शन देते हैं। ग्रामपंचायत रतहर भ्रष्टाचार के मामले में एक अर्से से सुर्खियों में बनी हुई है। इस पंचायत में कानूनी प्रावधानों का कोई स्थान नहीं रह गया है। यहां तो केवल सरपंच व सचिव का ही राज चल रहा है। ग्रामसभा के अनुमोदन के बिना फर्जी प्रस्ताव बना कर निर्माण कार्य शुरू कर देेना और फिर मनमाने तौर पर फर्जी संस्थाओं को भुगतान का फर्जीवाड़ा करना यहां का एक शगल बन चुका है। सीईओ कभी जांच पड़ताल करने की जरूरत नहीं समझते हैं उन्हेाने इतनी छूट क्यों दे रखी है यह समझ के परे है। सीईओ की ढिलाई उनकी भूमिका को भी संदिग्ध बनाती है।

रिश्तेदारों को कर रहे उपकृत

रतहर के सरपंच और सचिव अपने पद का दुरुपयोग कर नियमविरुद्ध कार्य कर रहे हैं। वे अपने रिश्तेदारों को येाजनाअेां का लाभ तो दिला ही रहे हैं वेण्डर संस्था बना कर उन्हे ही भुगतान भी कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार सरपंच-सचिव ने ेपंचायत का सारा भुगतान बटोरने एक नया सिस्टम अपनाया है। उन्होने अपने मित्र, रिश्तेदार व परिवार के लोगों के नाम फर्म बनाकर उसी से मटेरियल मंगा कर उसे भुगतान कर देते हैं। यह भुगतान अंतत: उन्ही के खाते में आता है। लेनदेन और निर्माण के मामले में कड़े निर्देशों के बावजूद ऐसी अंधेरगर्दी सिर्फ सीईअेा की मेहरबानी से ही चल सकती है। बताते हैं कि रतहर में सचिव ने अब तक अपने रिश्तेदारों के नाम फर्म चला कर अब तक लाखों का भुगतान ले चुका है।

कहां है वेण्डर फर्मों का धरातल ?

पंचायत में जिन फर्मों के माध्यम से भुगतान हो रहा है वे कहां सक्रिय हैं और उनका धरातल कहां है, यह किसी को पता नहीं है। केवल मटेरियल सप्लाई होता है और फिर भुगतान हो जाता है। ग्राम पंचायतों में अधिकांशत: जो वेण्डर संस्थाएं काम करती हैं उनका वाणिज्य कर विभाग से एक बार किसी तरह रजिस्ट्रेशन करा लिया जाता है और फिर समय से भुगतान नहीं होने पर वह निरस्त हो जाता है लेकिन मैदानी स्तर पर उसी फर्म के नाम से काम चलता रहता है और भुगतान हेाता रहता है। रतहर में भी यही चल रहा है और सरपंच सचिव उसका जमकर लाभ उठा रहे हैं। सचिव द्वारा किसी डीएस इंड्रस्टीज नामक फर्म के बिल लगाये जाते हैं, उक्त फर्म का बिल में पता बरहा, पोस्ट खन्नौधी, तहसील गोहपारू अंकित है। इस फर्म को लाखों रुपए के भुगतान हुए हैं अगर गहराई से छानबीन हो जाए तो असलियत सामने आ जाएगी।

खरीदी में भी जमकर घोटाला

पंचायत में खरीदी के मामले में भी नियमों का पालन नहीं किया जाता है। नियमत: क्रय समिति के परामर्श के बाद खरीदी का काम चलना चाहिए। लेकिन सब मनमानी पर चल रहा है। सामग्री के नाम पर हर वर्ष लाखों का भुगतान होता है, यह भुगतान सामग्री उपलब्ध कराने वाली फर्म पर होता है। सचिव अपने सगे संबंधियों को लाभ पहुंचा रहे हैं। सामान खरीदी में भी नियमों का उल्लंघन कर रकम पीट रहे हैं। ज्ञातव्य है कि रतहर में पंचो व ग्रामीणों की मंशा व परामर्श के अनुरूप कोई काम नहीें हो रहा है। यह पंचायत सरपंच व सचिव की अंधेर नगरी बन गई है और सीईओ जनपद शिकायतें सुनने के बाद भी कार्रवाइयों में रुचि नहीं लेतेे।

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