कटनी में सरकारी सिस्टम की मौत! एक ही महिला ‘जिंदा’ भी और ‘मृत’ भी जब जन्म और मृत्यु साथ बैठे एक ही फॉर्म पर नगर निगम की मुहर,नगर निगम में भ्रष्टाचार के नए चैप्टर के साथ की बड़ी चूक या घोटाला?

कटनी में सरकारी सिस्टम की मौत! एक ही महिला ‘जिंदा’ भी और ‘मृत’ भी जब जन्म और मृत्यु साथ बैठे एक ही फॉर्म पर नगर निगम की मुहर,नगर निगम में भ्रष्टाचार के नए चैप्टर के साथ की बड़ी चूक या घोटाला?
कटनी नगर निगम का सिस्टम अब लापरवाही का पर्याय बन चुका है। जन्म के एक घंटे बाद मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना केवल तकनीकी चूक नहीं, बल्कि एक संगठित प्रशासनिक गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की जीती-जागती मिसाल है। सवाल सिर्फ एक प्रमाण पत्र का नहीं है—सवाल है उस मानसिकता का, जो सरकारी ड्यूटी को केवल दस्तावेजी खानापूर्ति मानती है। जब एक ही दिनांक, एक ही नाम, एक ही रजिस्ट्रेशन क्रमांक से दो अलग-अलग जीवन घटनाओं (जन्म और मृत्यु) के प्रमाणपत्र जारी हो जाएं, तो स्पष्ट है कि नगर निगम के कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक की मिलीभगत और निगरानी तंत्र की विफलता खुलकर सामने आ गई है। यह मामला इस बात का प्रमाण है कि नगर निगम में बैठा कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति दस्तावेजों की सच्चाई की जांच नहीं कर रहा, और यदि कर रहा है तो जानबूझकर नजरअंदाजी कर रहा है। क्या यह प्रशासनिक भ्रष्टाचार नहीं?
कटनी।। नगर निगम कटनी की कार्यप्रणाली एक बार फिर संदेह के घेरे में है। पहले शहर की अनुमानित जनसंख्या से अधिक समग्र ID बनाने के प्रकरण ने हड़कंप मचाया था, और अब एक नया मामला सामने आया है, जिसने नगर निगम की लापरवाही और सिस्टम की खामियों को एक बार फिर उजागर कर दिया है। इस बार नगर निगम की जन्म-मृत्यु शाखा ने हदें पार करते हुए एक महिला का जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के मात्र एक घंटे बाद उसी महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया।
जन्म और मृत्यु—एक ही दिन, एक ही नाम, एक ही दस्तावेज़ क्रमांक
सूत्रों के अनुसार, नगर निगम मुड़वारा कटनी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र में ललिता देवी नायक, पिता का नाम गणेश प्रसाद नायक, निवासी रावत गली, गांधी गंज, महात्मा गांधी वार्ड, कटनी का जन्म दिनांक 17 दिसंबर 1994 दर्ज है। प्रमाण पत्र 22 जुलाई 2025 को सुबह 11:43 बजे जारी किया गया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि सिर्फ 43 मिनट बाद यानी 12:26 बजे उसी महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया। यही नहीं, दोनों प्रमाणपत्रों का पंजीकरण क्रमांक भी 589 है, जिससे यह स्पष्ट है कि एक ही व्यक्ति के नाम पर एक ही दिन में जन्म और मृत्यु दोनों का पंजीकरण कर दिया गया।
क्यूआर कोड और डिजिटल हस्ताक्षरों के बावजूद गड़बड़ी
गौर करने वाली बात यह है कि दोनों दस्तावेजों में QR कोड और डिजिटल हस्ताक्षर भी मौजूद हैं, जो प्रमाणपत्रों की “प्रामाणिकता” की पुष्टि करते हैं। यह मामला दर्शाता है कि किस तरह तकनीकी व्यवस्था और ऑथेंटिकेशन टूल्स के बावजूद मानव लापरवाही और भ्रष्ट मानसिकता से सिस्टम में सेंध लगाई जा रही है।
पहले भी उठ चुके हैं सवाल—समग्र ID मामले में राज्य मंत्रालय दे चुका है जांच के आदेश
इससे पूर्व भी नगर निगम कटनी में समग्र आईडी से जुड़ा बड़ा घोटाला सामने आया था, जिसमें कटनी की अनुमानित जनसंख्या 2 लाख 86 हजार होने के बावजूद 3 लाख 68 हजार से अधिक समग्र आईडी बनाए जा चुके हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मध्यप्रदेश राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मंत्रालय द्वारा नगर निगम कटनी को जांच के निर्देश दिए गए थे।
मामला क्या है?
मध्यप्रदेश शासन के आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग और नगर निगम मुरवारा (कटनी) के दस्तावेज़ क्रमांक 5 एवं 6 के अनुसार:
जन्म प्रमाण पत्र का विवरण: नाम: ललिता देवी नायक पिता का नाम: गणेश प्रसाद नायक
जन्मतिथि: 17 दिसंबर 1994 जन्मस्थान: रावत गली, गांधी गंज, महात्मा गांधी वार्ड, कटनी
पंजीकरण संख्या: 589 प्रमाण पत्र जारी तिथि: 22 जुलाई 2025 अपडेट समय: 22-07-2025, 11:43:55 जारीकर्ता: नगर निगम मुरवारा कटनी
इस प्रमाण पत्र पर क्यूआर कोड और डिजिटल हस्ताक्षर भी हैं, जिससे यह प्रमाणित होता है कि प्रमाण पत्र पूरी तरह से वैध और प्रामाणिक रूप से जारी किया गया।
ठीक 1 घंटे बाद जारी मृत्यु प्रमाण पत्र:
मृतक का नाम: ललिता देवी नायक (उसी पते पर) पंजीकरण संख्या: वही 589 मृत्यु पंजीकरण तिथि: 30 दिसंबर 1994 प्रमाण पत्र जारी तिथि: 22 जुलाई 2025,अपडेट समय: 22-07-2025, 12:26:32 स्थायी पता: रावत गली, गांधी गंज, महात्मा गांधी वार्ड, कटनी
जारीकर्ता: नगर निगम मुरवारा कटनी
यह प्रमाण पत्र भी क्यूआर कोड और डिजिटल हस्ताक्षर सहित जारी किया गया है, जिससे इसकी प्रामाणिकता पुष्ट होती है।
प्रशासनिक असावधानी या साजिश?
इस मामले को लेकर अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह सिर्फ एक तकनीकी भूल है या सोची-समझी साजिश? जन्म और मृत्यु की तिथियां, पता, प्रमाणपत्र संख्या — सभी एक जैसे हैं। यह संयोग नहीं बल्कि प्रणालीगत लापरवाही या जानबूझकर किया गया भ्रष्टाचार प्रतीत होता है।
राज्य सरकार ने लिया संज्ञान
कुछ दिन पूर्व ही राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मंत्रालय द्वारा जनसंख्या से ज्यादा समग्र ID जारी करने के प्रकरण में नगर निगम कटनी को जांच के निर्देश दिए गए थे। अब यह नया मामला प्रशासन की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा करता है। यह घटना बताती है कि कैसे संवेदनशील रिकॉर्ड को बिना सत्यापन के दर्ज और जारी किया जा रहा है, जिससे न केवल नागरिकों की व्यक्तिगत पहचान को खतरा है बल्कि सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग की भी पूरी संभावना बनती है।
सवालों के घेरे में नगर निगम का पूरा सिस्टम
अब जब जन्म के कुछ घंटों बाद ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, तो यह महज ‘डाटा एंट्री की त्रुटि’ नहीं कही जा सकती। यह सीधा संकेत है कि नगर निगम में कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही, अथवा संगठित भ्रष्टाचार किस कदर हावी है। यह न सिर्फ शासन की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि शासन की योजनाओं और आंकड़ों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की चुप्पी भी संदिग्ध
इस तरह के मामलों पर अभी तक न कोई ठोस कार्रवाई हुई है और न ही नगर निगम प्रशासन की ओर से कोई जवाबदेही तय की गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कोई अधिकारी खुलकर इसकी जांच की पहल नहीं कर रहा?