अराजकता की खेती उगा रहे डीईओ और रमसा समन्वयक

शहडोल से चल रही बुड़वा स्कूल, कंप्यूटर की धांधली भी दबी पड़ी
इंट्रो-भाजपा शासन काल की प्रशासनिक व्यवस्था में आए दिन अराजकता की नई मिसाल सामने आती है। धांधली और कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन की गतिविधियां तेेज होती जा रहीं हैं। शासकीय अनुशासन की जगह दलाली और सेटिंग का महत्व बढ़ता जा रहा है। इस सिस्टम से शिक्षा विभाग भी अछूता नहीं है। यहां भी अधिकारी कानूनी प्रावधानों का अनुसरण करने की बजाय अराजकता की ही खेती उगा रहे हैं।
शहडोल। जिला शिक्षा अधिकारी का पद धारण किए बैठेे फूल सिंह मारपाची और रमसा के कई पदों पर बैठे अरविंद पाण्डेय एक अर्से से यहां भ्रष्टाचार की मिसालें पेश कर रहे हैं, लेकिन इनके विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। श्री मारपाची बुड़वा स्कूल के प्राचार्य हैं लेकिन वे कभी स्कूल नहीं गए। जबकि स्कूल में अव्यवस्थाएं हावी हैं। दूसरी ओर रमसा के श्री पाण्डेय ने कंप्यूटर खरीदी मामले में करोड़ों रुपए की धांधली की। इसके बावजूद उनसे पूछताछ तक नहीं होना आखिर क्या दर्शाता है? श्री पाण्डेय राजनीतिक पहुंच की धौंस दिखाकर अपना सिक्का चलाने का प्रयास करते हैं।
धांधली के बाद छिना एक पद
अरविंद पाण्डेय के पास राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के तीन पद थे। जिसमें रमसा लेखापाल, सहायक परियोजना समन्वयक एवं अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक रमसा के पद हैं। इसमें से अब श्री पाण्डेय को अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक के पद से कुछ दिनों पूर्व हटा दिया गया है। यह कार्रवाई तब हुई जब कंप्यूटर खरीदी का मामला सामने आया। बताया गया कि जिले की कई हायरसेकण्डरी स्कूलों में आईटी लैब चालू करने के लिए कंप्यूटर व अन्य सामग्रियों के लिए 12 करोड़ की रमसा के माध्यम से खरीदी की गई थी। इनमें से 8 करोड़़ रुपए की खरीदी में गड़बड़झाला उभर कर सामने आया था। जिसकी जानकारी लगने पर मामला सुर्खियों में आ गया था। तब से यह मामला अंदर ही अंदर खदबदाता रहा। अंतत: श्री पाण्डेय को अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक का पद गंवाना पड़ा। उनकी जगह इस पद पर प्राचार्य आरपी ङ्क्षसह को पदांकित कर दिया गया है। इसके बावजूद श्री पाण्डेय आज भी दो पदों पर विराजमान हैं।
प्रावधानो पर भारी पड़ रही सेटिंग
अरविंद पाण्डेय पहले शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शहडोल के वरिष्ठ अध्यापक थे। इसके बाद राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान ने 5 अक्टूबर 2016 को 2 वर्ष के लिए इन्हे सहायक परियोजना समन्वयक बना दिया था। लेकिन 7 साल बीतने के बाद भी श्री पाण्डेय सहायक परियोजना समन्वयक पद पर बने हुए हैं। बताया जाता है कि श्री पाण्डेय की भोपाल में किसी नेता से सेटिंग बनी हुई है जिसके कारण इन पर कानूनी प्रावधान अधिक प्रभाव नहीं डाल पाते हैं। एक चर्चा यह भी है कि श्री पाण्डेय भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष अभिलाष पाण्डेय को अपना रिश्तेदार बताकर अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं। हॉस्टलों के कुछ मामलों में भी इन्होने अपने राजनीतिक गठजोड़ का उपयोग किया है।
डीईओ भी हैं ऊंचे खिलाड़ी
जिला शिक्षा अधिकारी श्री मारपाची भी कम नहीं हैं। पूर्व में यह ब्यौहारी मऊ हायरसेकण्डरी स्कूल में प्राचार्य थे। इसके बाद इन्हे जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया गया। कुछ दिन बाद इन्हे बुड़वा प्राचार्य के लिए स्थानंतरित कर दिया गया। लेकिन श्री मारपाची अपने मूल पद स्थापना में आमद देने नहीं पहुंचे। लबकि इनकी वेतन वहीं से निकलती है। बताते हैं कि साहब शहडोल से ही बुड़वा स्कूल चलाते हैं। वहां से एक लिपिक यहां हफ्ते दस दिन में आकर श्री मारपाची से लिखा पढ़ी करा लेता है और इन्हे भुगतान होता रहता है। इसमें भी एक पेंच है जिले में संयुक्त संचालक और उनके अलावा तीन सहायक संचालक यहां मौजूद हैं चार पांच ऐसे भी प्राचार्य हैं जो मारपाची से ज्यादा सीनियर और योग्य हैं डीइओ पद के लिए इनमें से कोई भी शासन को दिखाई नहीं पड़ा दूर ब्यौहारी में बैठे कनिष्ठ प्राचार्य मारपाची ही दिखाई पड़ेे यह भी एक विचारणीय तथ्य है।
अव्यवस्थाएं बढ़ रहंीं, स्कूलों में कसाव नहीं
ब्यौहारी व देवलोंद स्थित स्कूलों में प्रभावी अनुशासन बिना अव्यवस्थाएं निर्मित हो रहीं हैं। यहां का शैक्षणिक वातावरण तो प्रभावित है ही आए दिन चोरियां भी हो रहीं हैं। कंप्यूटर चोरी हो रहे हैं लेकिन कोई ठोस इंतजाम नही किए जा रहे हैं। हायर सेकेण्ड्री स्कूल बुड़वा बालक में फूल सिंह मारपाची प्राचार्य हैं, नियमत: प्राचार्य को विद्यालय में दो पीरियड लेना है। मजे की बात तो यह है कि सामान्य प्रशासन विभाग के नियमानुसार स्थानीय व्यवस्था के अंदर अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है और लगभग 8 किलोमीटर दूरी पर पदस्थ कर्मचारी का संलग्नीकरण किया जाता है। लेकिन 120 किलोमीटर दूरी वाले प्राचार्य का संलग्नीकरण किया गया है। लेकिन सारा कु छ राजनीतिक सेटिंग और बड़े अफसरों की रहमत से चल रहा है।