फर्जी चिकित्सक को विभाग का अभयदान

सप्ताह बीतने के बाद भी दर्ज नहीं हो पाई एफआईआर
शहडोल। कलेक्टर सतेन्द्र सिंह एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के निर्देशन में जिले में अवैध पैथोलॉजी एवं फर्जी क्लीनिकों पर बीते दिनों कार्यवाही की गई थी। जहां चिकित्सा विभाग द्वारा सोहागपुर गढ़ी के पास निजी क्लीनिक संचालित करने वाली बंगाली चिकित्सक के घर पर छापा मार कार्यवाही की गई थी। जहां फर्जी चिकित्सक ऋचा बदरा के क्लीनिक से दवाई सहित चिकित्सा संबंधी उपकरण जब्त कर क्लीनिक को सील करने की कार्यवाही की गई थी। जिसके बाद विभाग को इस मामले में एफआईआर करवानी थी, लेकिन विभाग ने इस मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया।
मामूली कार्यवाही तक सिमटी कार्यवाही
कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह के निर्देशन एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मेघ सिंह सागर के मार्गदर्शन में लगातार पैथोलॉजी एवं फर्जी चिकित्सकों पर कार्यवाही की जा रही है, लेकिन अब लगने लगा है कि मुखिया की आंखों में धूल झोखकर कार्यवाही का दिखावा मात्र किया जा रहा है, जहां फर्जी चिकित्सक पर एफआईआर दर्ज होना चाहिए था, वहां विभाग ने इस मामले में मामूली कार्यवाही तक सीमित रख दिया, जानकारों का कहना है कि अगर इस मामले में एफआईआर दर्ज होती है तो, कई लोगों पर आंच आने की संभावना है।
कहां से आई दवाईयां
रूजोपचार प्रभारी राकेश श्रीवास्तव, डॉ. सचिन कारखुर सहित तीन सदस्यीय दल एवं सोहागपुर थाने का बल जिनमें प्रधान आरक्षक रति राम सिंह, आरक्षक प्रेम सिंह ने कथित फर्जी चिकित्सक के यहां से छापमार कार्यवाही में ऑपरेशन में प्रयोग किये जाने वाले उपकरण, बड़ी मात्रा में दवाईयां, इंजेक्शन एवं ऑपरेशन में प्रयोग किये जाने वाली सामग्री मिली थी, लेकिन विभाग ने यह जानने का प्रयास भी नहीं किया कि कथित फर्जी चिकित्सक को आखिर दवाईयां कौन उपलब्ध करा रहा था।
हो सकता है बड़ा खुलासा
जांच अधिकारी राकेश श्रीवास्तव ने बताया था कि उक्त क्लीनिक नियमों के विपरीत संचालित थी, लेकिन विभाग से जुड़े जिम्मेदारों द्वारा मामले को कितनी गंभीरता से लिया गया, यह एफआईआर न होने से ही पता चलता है, विभागीय जानकारों की माने तो अगर एफआईआर होती है तो, कथित फर्जी चिकित्सक को दवाईयां कहां से उपलब्ध हो रही थी, इस बात का भी खुलासा हो सकता है।