उपयंत्री ने पुत्र मोह में की दूसरी शादी, मारपीट कर किया बाहर

लोक निर्माण विभाग अंतर्गत पीआईयू में पदस्थ हैं कथित उपयंत्री
पुलिस ने मामला तो दर्ज किया, फिर साध ली चुप्पी
न्याय के लिए दर-दर भटक रहे पत्नी और बच्चे
शहडोल। लोक निर्माण विभाग अंतर्गत पीआईयू की शहडोल शाखा में पदस्थ सहायक परियोजना यंत्री कृष्ण केशव प्रजापति पर उनकी पत्नी ने धोखे से शादी करने और उसके बाद मारपीट करने के आरोप लगाये हैं, इस मामले में पीडि़ता ने गोहपारू थाने में शिकायत भी दी, पुलिस ने अपराध भी कायम किया, लेकिन अपराध आईपीसी की पर्याप्त धाराओं के तहत कायम न करने के कारण पीडि़ता को राहत नहीं मिल सकी, इसके बाद पीडि़ता ने विभाग में भी इसकी शिकायत दी, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिल सकी। इधर तथाकथित उपयंत्री पत्नी और दूधमुहें बच्चों को लगातार प्रताडि़त कर रहा है, महिला तथा उसके परिजनों ने पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है।
यह लिखाया एफआईआर में
पीडि़त महिला की शिकायत पर गोहपारू पुलिस ने 20 जनवरी को आईपीसी की धारा 294, 498 ए व 506 के तहत अपराध भी कायम किया था, पीडि़ता ने शिकायत में बताया कि उपयंत्री ने परिजनों को शादी से पहले बताया था कि उसकी पत्नी मर चुकी है, पहली पत्नी से तीन बच्चियां है, पीडि़ता के परिजन उपयंत्री की बातों में आकर उस पर विश्वास कर बैठे और सामाजिक रीतियों के तहत उसका ब्याह भी करा दिया। उपयंत्री ने लगातार 8 से 10 वर्षाे तक पहली पत्नी का राज छुपा कर रखा, इस दौरान एक पुत्र और पुत्री का भी जन्म हुआ, बीते करीब 2 वर्षाे से लगातार मारपीट की जाने लगी, समझौते भी हुए, लेकिन बाद में यह जानकारी भी सामने आई कि पहली पत्नी अभी जिंदा है।
यह लिखा पीआईयू को
पीडि़त महिला ने पीआईयू को भी इस संदर्भ में पहली पत्नी के जिंदा रहते दूसरी शादी और धोखा-धड़ी के अलावा दर्ज हुई एफआईआर की प्रतिलिपि आवेदन के साथ कई बार दी, इस संदर्भ में पीआईयू के संभागीय परियोजना यंत्री ने बीते 24 सितम्बर को विभागीय पत्र क्रमांक 1253 जारी करते हुए कृष्ण केशव प्रजापति से उसका जवाब भी मांगा, पत्र में यह उल्लेख किया गया कि पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी, पत्नी व बच्चों के साथ मारपीट तथा घर से बाहर निकालने के संदर्भ में मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 22 अनुसार जीवित पत्नी के होते हुए शासन की पूर्व अनुज्ञा प्राप्त किये बिना दूसरा विवाह वर्जित है, संभागीय परियोजना यंत्री ने तीन दिनों के अंदर जवाब देने की तिथि भी निर्धारित कर दी।
माना धोखाधड़ी, पर कार्यवाही शून्य
पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी के मामले में पुलिस ने सिर्फ 498 और 294 जैसी धाराओं के तहत अपराध कायम किया, जबकि महिला ने बच्ची को मारपीट कर सड़क पर फेंकने, मानसिक प्रताडऩा, धोखे से शादी और पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी जैसे तथ्यों का शिकायत व मौखिक तौर पर स्पष्ट किया था, बावजूद इसके तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने ऐसे रास्ते अपनाये, जिससे कार्यवाही भी दिखी और आरोपी को बचा भी लिया गया, विभाग ने भी इस संदर्भ में अधिनियम का हवाला देकर तीन दिन का अल्टीमेटम भी दिया, लेकिन आगे की कार्यवाही नहीं हुई, यही नहीं मध्यप्रदेश में वर्ष 2001 के बाद शासकीय कर्मचारियों के द्वारा 2 से अधिक बच्चे होने पर सेवा से पृथक करने का भी नियम हैं, लेकिन जिसकी लाठी-उसकी भैंस की तर्ज पर उपयंत्री आज भी महिला और उनके बच्चों को परेशान करते हुए खुले में घूम रहा है और जिम्मेदार तो शायद सो चुके हैं।
इनका कहना है…
हमने शिकायत मिलने पर पत्र दिया था, यह सच है कि जवाब की अवधि खत्म हो चुकी है, हम दोबारा इस संदर्भ में जवाब तलब कर विभाग को प्रेषित करेंगे।
आर.के. पाण्डेय
संभागीय परियोजना यंत्री
पीआईयू, शहडोल