कब्र खोदकर बाहर निकाला मासूम का शव

पीएम रिपोर्ट से मौत के मामले का होगा खुलासा
शुभम तिवारी शहडोल। आदिवासी बाहुल्य संभाग में अंधविश्वास के कारण बच्चों की गर्म सलाखों से दागने की कुप्रथा लंबे समय से
चली आ रही है। कुछ मामलों में तो दगना कुप्रथा के कारण मासूमों की मौत तक हो जाने की बाते सामने आ चुकी हैं।
5 साल की बच्ची की सांस लेने में तकलीफ के चलते बच्ची को गर्म सलाखो से दागा गया, जिससे बच्ची की ज्यादा
हालात बिगडऩे पर उपचार के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान बच्ची की मौत के
बाद दागने वाली दाई के खिलाफ मामला दर्ज कर मासूम का दफन कर दिया गया था, अब उस बच्ची का शव शनिवार
को कब्र से बाहर निकलवाया गया। बताया जा रहा है कि मासूम की मौत के कारण पर सवाल उठने, विशेषज्ञ और
प्रशासन के आलाधिकारी की बात में विरोधाभाष सामने आने के बाद ऐसा किया जा रहा है, ताकि मासूम की मौत का
सही कारणों का पता लग सके।
जिले अमलाई थाना क्षेत्र की रहने वाली 5 महीने की काव्या को सांस लेने में तकलीफ के चलते इलाज के नाम पर गर्म
सलाखों से दागा गया, हालात ज्यादा बिगडऩे पर परिजन उपचार के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती कराया, जहां
इलाज के दौरान मासूम बच्ची की मौत हो गई थी, जिसके बाद बच्ची का शव परिजनों को सौंप दिया गया था।
परिजनों ने बच्ची का शव दफन कर दिया था, उपचार के दौरान बच्ची की मौत के बाद दागने वाली दाई के खिलाफ
अमलाई पुलिस ने जीरो में मामला दर्ज कर संबंधित जन को डायरी सौंप दी। उमरिया जिले के करकेली में 5 महीने के
दिव्यांश को भी गर्म सलाखों से दागने के बाद हालात ज्यादा बिगडऩे पर उपचार के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती
कराया गया है, जहां वह वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है।
जिले के सिंहपुर से भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जहाँ बच्ची को सांस लेने में हो रही परेशानी के चलते
अंधविश्वास के फेर में दगना कुप्रथा के चलते मासूम को गर्म सलाखो से की बार दागा गया था , जंहा उपचार के दौरान
बच्ची की मौत के बाद उसे भी दफन कर दिया गया था, लेकिन मामला तूल पकडऩे के बाद उसका भी शव कब्र से
निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया था, लेकिन अब एक बार पुन: यह घटना दोहराई गई, जिसको लेकर कई तरह के
सवाल खड़े हो रहे है। जिले में दगना कुप्रथा हावी है, जिससे प्रशासन का जागरूता अभियान कितना सफल है, यह
साफ दिखाई पड़ रहा है।