जिला उपभोक्ता आयोग ने पंजाब नेशनल बैंक के विरुद्ध पारित किया आदेश, एक माह के भीतर एम.एस. अग्रवाल इन्टरप्राईजेस के खाते को परिवादी को संचालित करने की अनुमति तथा सेवा मे कमी एवं मानसिक यातना व वाद व्यय हेतु 15,000 रूपये की क्षतिपूर्ति प्रदान करे बैंक

जिला उपभोक्ता आयोग ने पंजाब नेशनल बैंक के विरुद्ध पारित किया आदेश, एक माह के भीतर एम.एस. अग्रवाल इन्टरप्राईजेस के खाते को परिवादी को संचालित करने की अनुमति तथा सेवा मे कमी एवं मानसिक यातना व वाद व्यय हेतु 15,000 रूपये की क्षतिपूर्ति प्रदान करे बैंक
कटनी।। जिला उपभोक्ता आयोग कटनी के द्वारा गत दिवस पंजाब नेशनल बैंक कटनी के विरुध्द एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया गया है। इस संबंध में आवेदक चंद्रधर बड़गैया द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया गया कि उनके द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष पंजाब नेशनल बैंक कटनी के विरुद्ध इस आशय का परिवाद प्रस्तुत किया गया था कि उक्त बैंक में अग्रवाल इन्टरप्राईजेस के नाम का चालू खाता था। जिससे अग्रवाल इन्टरप्राईजेस से व्यावयाय क्रियाकलापो का संचालन होता था। अग्रवाल इन्टरप्राईजेस के समस्त पार्टनरो के द्वारा राजेन्द्र शर्मा को उक्त बैंक खाते के संचालन की समस्त जिम्मेदारिया दी गई थी। बैंक व्यावसाय इत्यादि से समस्त कारोबारी / जिम्मेदारिया इनके द्वारा पूर्ण की जावेगी। जिसमे हमारा किसी भी प्रकार कोई हस्ताक्षेप नहीं रहेगा, बावजूद अन्य पार्टनरों के द्वारा ईर्ष्यावश उक्त बैंक खाते के संचालन को बिना किसी उचित कारण के बैंक द्वारा खाताधारी राजेन्द्र शर्मा को बगैर सुने एकपक्षीय निर्णय लेते हुये उक्त खाता को फीज कर दिया गया था। जिससे व्यथित होकर राजेन्द्र शर्मा द्वारा अपने विद्ववान अधिवक्ता मोहम्मद शहनवाज खान के माध्यम से जिला उपभोक्ता आयोग ने एक परिवाद प्रस्तुत किया गया था। प्रकरण के लंबन के दौरान राजेन्द्र शर्मा की मृत्यु हो गई थी। पश्चात में एम.एस. अग्रवाल के जीवित भागीदारों के द्वारा नया पार्टनरशिप डीड निष्पादित कराते हुये चंद्रधर बड़गैया को सक्रिय भागीदार बनाते हुये उक्त खाते के संचालन की समस्त अधिकार प्रदान किये गये थे, परंतु चंद्रधर बड़गैया के द्वारा नवीन पार्टनरशिप डीड बैंक में प्रस्तुत करने के पश्चात भी उक्त बैंक के अधिकारी के द्वारा खाते को ओपन नहीं किया गया था। जिला उपभोक्ता आयोग के द्वारा पंजाब नेशनल बैंक के उक्त कृत्य को सेवा में कमी माना गया तथा बैंक अपने समर्थन में कोई प्रतिरक्षा नहीं कर सका। अतः जिला अयोग के द्वारा बैंक को इस प्रभाव का आदेश पारित किया गया, कि बैंक 1 माह की भीतर एम.एस.अग्रवाल इन्टरप्राईजेस के खाते को परिवादी को संचालित करने की अनुमति प्रदान करे तथा सेवा मे कमी एवं मानसिक यातना व वाद व्यय हेतु 15,000 रूपये की क्षतिपूर्ति प्रदान करें।