दिया तले अंधेरा: संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में नहीं है टिटनेस का इंजेक्शन

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हर माह करोड़ों की खरीदी, करोड़ों का वेतन पर सुविधाएं शून्य

शहडोल। पूरे देश के साथ ही प्रदेश व लगभग हर जिलो में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से लडऩे के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने की तैयारियां चरम पर है, सरकार का लगभग बजट और मशीनरी स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त करने में लगी हुई है, लेकिन शहडोल के स्वास्थ्य विभाग पर लगा राजनीति का ग्रहण हटने का नाम ही नहीं ले रहा है। पात्रों की जगह अपात्रों को सिविल सर्जन की जिम्मेदारी देने और इसके बाद हुई तमाम असमय मौतों और घटना क्रम किसी से छुपे नहीं है, तीसरी लहर से लडऩे के लिए मंगलवार को ही जब स्वास्थ्य और जिले के बड़े प्रशासनिक अधिकारी स्वास्थ्य सेवाओं को और दुरूस्त करने की तैयारी और दावे कर रहे थे, उसी दौरान संभाग के सबसे बड़े कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल के मरीज टिटनेस जैसे 5 से 10 रूपये के इंजेक्शन के लिए सरकारी पर्ची लेकर दवा दुकानों से खरीददारी करते हुए नजर आये।
पटरी पर लाने का प्रयास ही नहीं
कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल या फिर शहडोल संभाग के वाशिंदों का दुर्भाग्य है कि बीते एक वर्ष से सिविल सर्जन की कुर्सी को लेकर हुई लड़ाई और पैराशूट से इस कुर्सी पर राजनैतिक आशीर्वाद से बैठे चिकित्सक और उनकी टीम ने इस दौरान कभी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने या फिर पटरी से उतरने से रोकने के लिए कोई प्रयास ही नहीं किया। यही कारण है कि सिविल सर्जन के कक्ष में सरकारी धन से एयर कंडीशनर तो लगाये गये, लेकिन बर्न युनिट में गर्मी झेल रहे मरीजों को पंखे तक नहीं नसीब हो पा रहे थे। नया मामला टिटनेस जैसे इंजेक्शन का है, खुद स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार के बयानों पर यकीन करें तो, डेढ़ से दो महीनों से यहां टिटनेस के इंजेक्शन नहीं है।
इससे भले तो झोलाछाप
शहडोल मुख्यालय सहित पूरे जिले में सैकड़ा भर से अधिक झोलाछाप चिकित्सकों ने अपनी दुकान खोल रखी है, इनमें से एकाध को छोड़ बाकी सभी झोलाछाप के यहां टिटनेस का इंजेक्शन बिना किसी शासकीय बजट व वेतन के उपलब्ध रहता है, सवाल यह उठता है कि लाखों का वेतन उठाने वाले अस्पताल के मुखिया और उनकी लंबी चौड़ी फौज क्या झोलाछाप चिकित्सकों से भी कतार में पीछे खड़ी है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद अस्पताल के कायाकल्प के नाम पर भी कई बैठके हुई, रोगी कल्याण समिति से लेकर रेडक्रास तक के बजट पर कैंची चली, लेकिन जब पूरी एक्सर साईज का नतीजा सामने आया तो, भाड़े की यह टीम छोलाछाप चिकित्सकों से भी पीछे खड़ी नजर आई। कटघरे में जिम्मेदार, कार्यवाही पर नाउम्मीदी के बादल
जिला चिकित्सालय में दवाईयां खरीदने के लिए वैतनिक कर्मचारियों की नियुक्ति है, जिसके बाद दवाईयां स्टाक में पहुंचती हैं, जहां से जिला चिकित्सालय के अलावा जिले के विभिन्न हिस्सो में उन्हें भेजा जाता है, स्टाक में दवाईयां हैं या नहीं, इसकी जिम्मेदारी के लिए वैतनिक कर्मचारी हैं, सूत्रों पर यकीन करें तो, डेढ़ से दो माह से टिटनेस का इंजेक्शन नहीं है, इस दौरान तथाकथित जिम्मेदार का ध्यान इस ओर क्यों नहीं गया, सवाल तो यह भी है कि महज निगरानी और शासकीय बैठकों सम्मलित होने के साथ व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने वाले वैतनिक सिविल सर्जन का इस दौरान इधर ध्यान क्यों नही गया।
इनका कहना है…
आरसी खत्म हो गई, डिमांड हमारे द्वारा भेजी गई थी, कल अनुमति लेकर खरीदी की जायेगी।
डॉ. जी.एस. परिहार
सिविल सर्जन
जिला चिकित्सालय, शहडोल

 

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