आदिवासी युवक को डॉक्टरों ने दी नई जिंदगी
शहडोल। जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों की टीम ने एक बार फिर इस पेशे को दी गई ‘‘धरती के भगवानों’’ की संज्ञा को आदिवासी जिले के सुदूर ग्राम बचरवार में रहने वाले तिलकधारी पाव को सिग्मॉइड वॉल्वुलस नामक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था, लगातार इस बीमारी से परेशान युवक मार्च माह के पहले सप्ताह में जिला चिकित्सालय पहुंचा था, सर्जन डॉ. राजा शीतलानी ने जांच के उपरांत पाया कि उसकी बड़ी आंत का लगभग ढ़ाई फिट का हिस्सा पूरी तरह सड़ चुका था, उस हिस्से को काटकर बाहर किये गये बिना तिलकधारी के जीवन की कल्पना खत्म हो चुकी थी। जिला चिकित्सालय के डॉ. राजा शीतलानी, डॉ. कुमारी प्रांजलि, डॉ. मनोज, डॉ. ऋषि और अन्य स्टॉफ ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए मरीज को भर्ती किया और 7 मार्च को उसका सफल ऑपरेशन किया गया।
जिले के बुढ़ार विकास खण्ड अंतर्गत जैतपुर के ग्राम बचरवार में रहने वाले खुलासी पाव के 45 वर्षीय पुत्र तिलकधारी पेट के बीमारी से थकहार कर 5 मार्च को जिला चिकित्सालय पहुंचा था, जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे सिग्मॉइड वॉल्वुलस नामक बीमारी से ग्रसित होना पाया, 7 मार्च को उसका जटिल ऑपरेशन किया गया और बड़ी आंत का लगभग ढ़ाई फिट का हिस्सा जो सड़ चुका था, उसे ऑपरेशन कर काटकर बाहर निकाला गया एवं दोनों सिरों को जोडऩे के बाद उसके पेट से मल त्याग के लिए एक वैकल्पिक रास्ता बनाया गया, लगभग ढ़ाई माह के बाद 2 जून को चिकित्सकों की टीम ने उसे दोबारा वापस बुलाया और दूसरा ऑपरेशन करते हुए पेट से मल त्याग वाले वैकल्पिक रास्ते को बंद किया गया। आमतौर पर ऐसे ऑपरेशनों पर 4 से साढ़े 4 लाख रूपये का खर्च आता है, वह भी शहडोल जैसे आदिवासी क्षेत्र में स्थित अस्पतालों में ऐसा इलाज दूर की कौड़ी माना जाता है, लेकिन धरती के भगवानों ने पीडि़त मानवता की सेवा को अपना धर्म मानते हुए तिलकधारी नया जीवन दिया।