फिल्टर प्लांट में आपसी तालमेल की कमी से बिगड़ा माहौल इधर 3 महीने से पानी के लिए परेशान कर्मचारी

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विक्रांत तिवारी
शहडोल । जिले के मिनी रतन कहे जाने वाले एसईसीएल के फिल्टर प्लांट में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। और इस घमासान में सिर्फ कर्मचारी वर्ग के लोगों को लगभग 3 महीने से सप्ताह में मात्र दो बार ही पानी मिल पा रहा है पूरे गर्मी के दिन निकल गए कहीं पर नगर पालिका तो कहीं पर ग्राम पंचायत के द्वारा पानी मुहैया कराकर चलाया जा रहा था कहीं ना कहीं आम नागरिक भी यही समझ रहे थे कि महाप्रबंधक इस पूरे सिस्टम को सही कर रहे हैं और महाप्रबंधक पर भरोसा जताकर  अपने घरों पर शांत बैठे हैं लेकिन यहां तो माजरा ही कुछ और समझ में आ रहा है विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो पता चला कि फिल्टर प्लांट का मोटर पंप सब कुछ सही है और किसी प्रकार की कोई भी कमी नहीं है वही सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि फिल्टर प्लांट में सेठ साहब नाम के इंजीनियर और उनके खास सिपहसालार सुरेश पांडे के मिलीभगत के कारण पूरे क्षेत्र को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है सूत्रों द्वारा बताया गया कि भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने के कारण सेठ इंजीनियर को माइनिंग में काम कराने के बजाय सिविल का काम दिया गया है और यहां पर भी आकर अपने खास आगे पीछे घूमने वाले सुरेश पांडे को फिल्टर प्लांट का पूरा जिम्मा देकर मनमाफिक काम करने पर उतारू है। और इन्हीं सब कारणों से फिल्टर प्लांट से अधिकारी कर्मचारी आपस में उलझे हुए हैं जो व्यक्ति अच्छा काम करता है उसे ध्यान ना देते हुए सेठ इंजीनियर द्वारा सिर्फ सुरेश पांडे को ध्यान में रखते हुए सारी सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है सूत्रों द्वारा तो यह भी बताया जा रहा है कि सुरेश पांडे नामक व्यक्ति इंजीनियर के लिए वसूली का काम भी करता है खबर तो यह भी है कि बगैर फिजिकल अटेंडेंस पूरा कि बगैर नियमों को दरकिनार कर सुरेश पांडे को संडे दे दिया जाता है वहीं महिलाओं को इंजीनियर के द्वारा कोई भी संडे लागू नहीं किया जाता या फिर सरल भाषा में कहें तो जो सुरेश पांडे कहता है वही सेठ इंजीनियर करता है ।
3 महीने से पानी के लिए तरस रहे कर्मचारी
फिल्टर प्लांट में माइंस में काम करने वाले इंजीनियर को सिविल की ड्यूटी देकर विभाग के द्वारा पूरा मैनेजमेंट को गड़बड़ कर दिया गया है और जब से सेट ने कार्यभार संभाला है तबसे पूरे क्षेत्र में पानी की किल्लत बढ़ गई है वही फिल्टर प्लांट में अधिकारी कर्मचारियों के बीच आपसी तनातनी भी बहुत बढ़ गई है इंजीनियर के मैनेजमेंट ने पूरे सिस्टम को बिगाड़ के रख दिया है सुरेश पांडे नामक फुल डफल के कर्मचारी जिसे पहले भी राजेंद्र राजेंद्र माइंस ट्रांसफर कर दिया गया था नेतागिरी के बल पर अभी तक वही पदस्थ है और दोनों मिलकर दलाली करते हुए मनमाफिक कर्मचारियों को संडे प्रदान करते हैं और जो अधीनस्थ कर्मचारी हैं नाश्ता पानी और वसूली के बल पर संडे का खेल खेलते हैं दलाली के हाथ में अगर सब कुछ अच्छा नहीं रहा तो पानी की समस्या अपने आप खड़ी हो जा रही है और इस दलाली की भेंट में कर्मचारी पानी के लिए परेशान हो रहे हैं
पीएचडी में चल रही मनमानी
खबर है कि अभी बकरीद में पीएचडी के लिए देव शरण को सेकंड पाली की ड्यूटी करनी थी लेकिन दलाली के हाथ में दुबे सुरेश पांडे को जिसका सेकंड पाली पर कोई भी काम नहीं रहता है उसको संडे देकर इंजीनियर ने और माहौल खराब कर दिया है बताया जा रहा है कि एसईसीएल गाइडलाइन के हिसाब से अगर किसी को पीएचडी या संडे की ड्यूटी दी जाती है तो फिजिकल अटेंडेंस होना अनिवार्य होता है जैसे अगर कोई कर्मचारी 4 दिन ड्यूटी नहीं किया है तो उसे पीएचडी अब संडे नहीं दिया जा सकता लेकिन एसईसीएल के गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए दलालों को संडे इंजीनियर द्वारा परोस दी जा रही है।
महिलाओं को नहीं दिया जा रहा है संडे
विभाग की माने तो आज की तारीख पर किसी भी प्रकार की कोई पंप खराबी या कोई तकनीकी खराबी नहीं है सिर्फ फिल्टर प्लांट में अधिकारी और कर्मचारियों के आपसी तालमेल के कारण ही माहौल गरम है जिसका नतीजा आपके सामने हैं सूत्रों द्वारा बताया गया कि फिल्टर प्लांट दर्जनों महिलाएं काम करती है लेकिन इंजीनियर के द्वारा किसी भी महिलाओं को संडे की ड्यूटी नहीं दी जाती है क्योंकि महिलाएं इंजीनियर के मनचाहे काम को नजरअंदाज कर देती है वही चाय नाश्ते और वसूली के काम में माहिर इंजीनियर साहब के पाली के चम्मच वसूली करके साहब को खुश रखते हैं और साहब इसके बदले उन्हें मनचाहा वरदान देकर उनकी मनोकामना पूरी करवाते रहते हैं इसलिए विभागीय तालमेल की भारी कमी होने के कारण सारे नियमों को दरकिनार करते हुए अरे सही केंद्र एवं राज्य सभी प्रणाली में महिलाओं को बराबर का अधिकार दिया गया है लेकिन यहां संडे और पीएचडी किसी भी महिला को नहीं दी जा रही है ऐसे भेदभाव करने वाले अधिकारी को इस कार्यक्षेत्र से हटाकर कहीं अन्ययंत्र पदस्थ कर देना चाहिए जिससे समानता का अधिकार भी बना रहे।
पांडे जो कहता है वही सेठ करता है
एचपीसीएल के फिल्टर प्लांट पर लगभग हजारों घरों में पानी दी जाती है जिसमें तीन नंबर अमलाई चीप हाउस रेलवे कॉलोनी आदि सभी जगह अलग-अलग फोरमैन को चार्ज देते हुए सप्लाई की कार्यप्रणाली सौंपी गई है और इन सब के ऊपर सेठ नामक इंजीनियर को विराजमान किया गया इनके द्वारा अमलाई रेलवे कॉलोनी चीफ हाउस तीन नंबर आदि कई जगह कहां पर कितनी पानी सप्लाई देनी है तय की जाती है लेकिन मनमानी और शर्म की हदें पार करते हुए इंजीनियर द्वारा अमलाई में हफ्ते में सिर्फ दो बार पानी दिया जा रहा है वही चीप हाउस में भी यही हाल है जबकि विभाग की माने तो किसी प्रकार की कोई कमी फिल्टर प्लांट में नहीं है और इंजीनियर द्वारा अपने स्वयं की चम्मच पाले गए हैं इन चमचों के द्वारा जो आदेश चमचागिरी के हिसाब से दिया जाता है उसी हिसाब को पालन करते हुए इंजीनियर साहब मुहर लगाते हैं।
पूर्व में दोनों पर लग चुके भ्रष्टाचार के आरोप
एसईसीएल में पदस्थ सेठ इंजीनियर पर एवं वसूली का कार्य कर रहे सुरेश पांडे पर पूर्व में भी विभाग के द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं जिसमें माइंस में काम करने वाले इंजीनियर को सिविल का काम सौंपा गया है वही सुरेश पांडे पर आई डब्ल्यू एस एस पर केबल चोरी का मामला पहले ही जग जाहिर है इसलिए सुरेश पांडे को राजेंद्र माई ट्रांसफर किया गया था लेकिन आज तक इसी फिल्टर प्लांट पर बने हुए हैं अगर इन दोनों ही कर्मचारियों को अन्य यंत्र पदस्थ कर दिया जाए तो यह पानी की समस्या कल ही हल हो सकती है राजनीतिक अखाड़ा बन चुके फिल्टर प्लांट पर महाप्रबंधक को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए ताकि महाप्रबंधक की साख पर कोई आच ना आ सके जिस तरह आज पूरे एसईसीएल में महाप्रबंधक शंकर  नागाचारी की तूती बोल रही है उसमें इस तरह से दाग लगाने के लिए यह दो कर्मचारियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है और इसका भुगतान पूरे कॉलोनी वासी झेल रहे हैं जल्द से जल्द फिल्टर प्लांट के कर्मचारियों और अधिकारियों का तबादला कर फिल्टर प्लांट को सुचारू रूप से चलाने की सख्त आवश्यकता है

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