अतिक्रमणकारी ने उठाया अतिक्रमण मुक्त गांव का बीड़ा

बेवा की जमीन पर अन्य सहित किया कब्जा, नहीं मानते कमिश्नर का आदेश
शहडोल। जिले के जैतपुर विकास तहसील अंतर्गत ग्राम केशवाही में नजूल की भूमि सहित आदिवासियों की पुस्तैनी भूमि हड़पने का खेल चल रहा है। हालात यह हैं कि अतिक्रमणकारियों के सामने कलेक्टर, कमिश्नर तथा उच्च न्यायालय के आदेश बौने साबित हो रहे हैं। संविधान के अंतर्गत छठी अनुसूची में शामिल होने का बेजा फायदा क्षेत्र के आदिवासी उठाने से नहीं चूक रहे हैं, यही नहीं दर्जनों आदिवासी स्थानीय रसूखदारों के प्यादे बनकर मामले को उलझाने में लगे हैं, बीते दिनों ग्राम केशवाही की सरपंच श्रीमती चंद किरण सिंह के द्वारा सरकारी भूमि खण्डों पर अतिक्रमण का हवाला देकर उसे मुक्त कराने के लिए शिकायतें दी गई, कार्यवाही न होने पर धरना प्रदर्शन देने के बाद नौटंकी शुरू भी कर दी गई। मामले की जब पड़ताल की गई तो, यह बात सामने आई कि जो अतिक्रमण मुक्त गांव का दंभ भर रहे हैं, उन्होनें खुद बेवा मुन्नी बाई की जमीन पर कब्जा कर आशियाना बनाया हुआ है।
यह है आंदोलनकारियों की मांग
धरने पर बैठी सरपंच व ग्रामीणों की मांग है कि पंचायत अंतर्गत शासकीय आराजी खसरा नम्बर 516, 517 पर जितेन्द्र गुप्ता व आशाबाई गुप्ता द्वारा अनावश्यक कब्जा कर निर्माण कार्य कराया जा रहा है एवं मवेशी बाजार में जिसका खसरा नम्बर 793/1 ख रकवा 0.221 हे., 793/1/क रकवा 0.214 हे. एवं 793/1 ख रकवा 0.124 हे. जिसमें रामप्रसाद गुप्ता एवं मोहम्मद शहीद (शिक्षक) के द्वारा अनाधिकृत रुप से अतिक्रमण कर निर्माण कार्य कराया जा रहा है। पूर्व में इस मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया था और कार्यवाही न होने के बाद धरना शुरू किया गया।
यह है आंदोलनकारियों का सच
धरने में बैठी गांव की महिला सरपंच और पर्दे के पीछे से खेल-खेल रहे शोभनाथ गुप्ता पिता रामसुंदर गुप्ता, मंगल पिता चुटरा, कुसुम पिता बच्चू प्रजापति निवासी ग्राम केशवाही व अनूपपुर जिले के कोतमा अंतर्गत ग्राम सड्डी के मनोज ब्राम्हण पिता बैजनाथ ब्राम्हण आदि के समर्थक व साथी इस पूरे खेल को खेल रहे हैं। ग्राम के आराजी खसरा क्रमांक 799/799/800 कुल जुज रकवा 89 डिस्मिल जो बेवा मुन्नी पति स्व. लल्लू सिंह कंवर के हक की पुस्तैनी भूमि थी, जिस पर इन लोगों ने कब्जा किया हुआ था, यह मामला कमिश्नर कार्यालय में विचाराधीन था और मुन्नी बाई के हक में वाद का फैसला हुआ था, जिसके बाद इन्हें भू-खण्ड खाली करने के आदेश 2 वर्ष पहले दिये गये थे, लेकिन न अतिक्रमण हटा, न कार्यवाही हुई।