शिकायत, सूचना के बाद पड़ रहे ईओडब्ल्यू के छापे

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भोपाल। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण इकाई (ईओडब्ल्यू) की छापेमार कार्रवाई में यह बात सामने आ रही हैं कि मध्य प्रदेश में कई अधिकारी-कर्मचारी करोड़ों रुपये के आसामी हैं, वर्ष 2021-22 में दर्जनों अधिकारियों के विरुद्ध अब तक कार्रवाई हो चुकी है। जबलपुर में बुधवार को ही क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) संतोष पाल के शताब्दीपुरम स्थित घर पर छापा मारा। इसमें करोड़ों रुपये की संपत्ति का पता चला है। इसके पहले चिकित्सा शिक्षा विभाग के उच्च श्रेणी लिपिक हीरो केसवानी के भोपाल बैरागढ़ स्थित घर पर छापा मारकर 85 लाख रुपये नकद और करोड़ों रुपये की संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए थे। ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2021 में 12 छापे और 11 रंगे हाथ रिश्वत लेने के मामलों में कार्रवाई की थी। इस वर्ष अभी तक 15 प्रकरण सामने आए हैं। आदिम जाति सेवा सहकारी सति इमलई के सहायक प्रबंध पन्ना लाल उइके की संपत्ति वैधानिक आय से व्यय 218 प्रतिशत अधिक पाया गया। जांच में आय से अधिक संपत्ति के प्रमाण मिले। जल संसाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता राजीव कुमार सुकलीकर सहित अन्य अधिकारियों के विरुद्ध सात सिंचाई परियोजनाओं में निजी कपंनियों को नियम विरुद्ध करोड़ों रुपये के भुगतान करने का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना की जा रही है।
देवास में नगर एवं ग्राम निवेश कार्यालय में पदस्थ मानचित्रकार विजय कुमार दरयानी के घर पर सितंबर 2021 में छापे की कार्रवाई की गई। इस दौरान मकान, दुकान, फार्म हाउस आदि के दस्तावेज मिले। 19 लाख रुपये नकद जब्त किए गए। अक्टूबर 2021 में इंदौर के नगर निगम में पदस्थ स्थायी कर्मी राजकुमार सालवी के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की गई। इसमें डेढ़ करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति होने के प्रमाण मिले। सनावद में लिपिक जालिम सिंह भेसारे को 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया। भेसारे ने सेवानिवृत्त कर्मचारी भंवरलाल रावल से भविष्य निधि, बीमा सहित अन्य राशि का भुगतान निकलवाने के लिए रिश्वत मांगी थी।
लोक निर्माण विभाग के ग्वालियर में पदस्थ अनुविभागीय अधिकारी रविन्द्र सिंह कुशवाह के घर छापे में साढ़े तीन लाख रुपये नकद और भोपाल, ग्वालियर, डबरा में मकान, दुकान के दस्तावेज बरामद हुए। इसी तरह देवास जिले की रेंज जिनवानी कमलापुर के रेंजर बिहारी सिंह सिकरवार को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया। इंदौर इकाई ने आदिम जाति कल्याण विभाग के झाबुआ में पदस्थ प्रबंधक सुनील तलेले पर फर्जी बिल बनाकर पांच करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का प्रकरण पंजीबद्ध किया है। तलेले ने प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र के लिए पलंग, अलमारी, टेबल, कुर्सी आदि कच्ची सामग्री की खरीदी की। कैश बुक और रजिस्टर में खर्चा दिखाकर गबन कर लिया।
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि शिकायत और अन्य माध्यम से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर अनियमितता करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है।

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