मौत के 50 दिन बाद भी साबिर को नहीं मिला न्याय

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मोलभाव के दौरान हुई थी मौत, कठघरे में जांच अधिकारी

उमरिया। जिले के पाली थाना क्षेत्र में 50 दिन पूर्व हुई सड़क निर्माण के कार्य में शहडोल जिले के जोधपुर ग्राम के रहने वाले चालक साबिर खान पिता अब्दुल रहीम उम्र लगभग 42 वर्ष की अनफिट वाहन में घायल हो जाने के बाद मौत हो गई थी। इस मामले पर रोड निर्माण कंपनी श्रीराम कंस्ट्रक्शन द्वारा घायल को पहले शहडोल के निजी अस्पताल वेदांता में दिखाया गया, लेकिन इलाज में ज्यादा पैसा खर्च होने की बात को लेकर निर्माण कंपनी द्वारा निजी अस्पताल से शहडोल के शासकीय कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल में लाया गया, जहां पर मामला गंभीर होने पर जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया, लेकिन परिजनों के लगातार दबाव बनने के बाद निर्माण कंपनी द्वारा घायल हुए साबिर के साथ कंपनी के मैनेजर को जबलपुर भेजा गया।
बच सकती थी जान
निजी चिकित्सालय में ले जाकर पैकेज में इलाज की बात कही गई, लेकिन पैकेज में इलाज की बात नहीं बनने पर घायल साबिर को एक बार फिर से मेडिकल कॉलेज जबलपुर में भर्ती कराया गया, जहां पर कुछ ही घंटों बाद साबिर की मौत हो गई। इस तरीके से कंपनी के लापरवाही के कारण समय पर इलाज ना मिल पाने से घायल साबिर तड़प-तड़प कर मर गया, अगर सही समय पर इलाज हो पाता तो शायद साबिर जिंदा होता। मामले को जबलपुर मेडिकल कॉलेज के अस्पताल चौकी मे जीरो में कायमी कर उमरिया जिले के पाली थाना भेज दिया गया था।
50 दिवस बाद भी कार्यवाही शून्य
उमरिया से लेकर शहडोल जिले तक में साबिर के एक्सीडेंट को लेकर थाने से लेकर हॉस्पिटल किसी भी जगह दुर्घटना का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। जिसके बाद घायल युवक को जबलपुर रेफर कर मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल चौकी द्वारा शून्य पर मामला कायम कर संबंधित थाना पाली भेज दिया गया। जिस पर आज तक लगभग 50 दिवस बीत जाने के बाद भी थाना प्रभारी के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। अनफिट वाहन से साबिर की मौत हो जाती है और सड़क निर्माण कंपनी रुपया बचाने के चक्कर में मोलभाव करता रहा और इलाज के आभाव में मौत हो गई, आज साबिर की मौत के 50 दिन बीतने को हैं और वह आज भी इंसाफ को तरस रहा है।
मोल भाव मैं गई साबिर की जान
सड़क निर्माण कंपनी के नेता रसूखदार हैं और अब आगे की कार्यवाही के मामले में जांच अधिकारियों से सांठगांठ कर दुर्घटना कारित करने वाली गाड़ी को बदलकर दूसरे गाड़ी में केस बनाकर मामले को रफा-दफा करने में थाना के अधिकारी लगे हुए हैं। मोटी रकम लेकर मामले को दबाने में लगे हैं, इसलिए कोई भी कार्यवाही इस मामले पर नहीं की जा रही है, सूत्रों द्वारा बताया गया कि साबिर के परिजनों को भी मुआवजे की राशि का लालच देकर गाड़ी को ही बदलने की बात पर मना लिया गया है।

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