सोशल मीडिया पर स्कंद को धनपुरी की कमान देने की कवायद

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शहडोल । भारतीय जनता पार्टी की ओर से धनपुरी नगरपालिका चुनाव में युवा भाजपा नेता स्कंद सोनी पर भरोसा दिखाकर उससे टिकट दी गई और मतदाताओं ने भी स्कंद सोनी और भाजपा दोनों पर ही भरोसा दिखाते हुए उन्हें परिषद तक पहुंचा दिया।

आरक्षण प्रक्रिया के तहत हर 5 वर्ष में चुनाव के दौरान आरक्षित ओबीसी, आरक्षित एसटी, आरक्षित एससी तथा अनारक्षित का दौर या यह कहें कि रोस्टर प्रणाली के तहत सभी जातियों और वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए भारत के संविधान में ही यह व्यवस्था की गई है , कि हर जाति और वर्ग के लोग हर पांच सालों में सत्ता में अपनी भागीदारी निभाएं, इसके लिए संविधान ने भारत के नागरिकों को मौलिक अधिकार दिए हैं।

जिले की धनपुरी नगरपालिका में पिछड़े वर्ग से यदि मतदाताओं की गिनती की जाए तो यह आबादी कम से कम 30 से 35% होगी और इतनी ही आबादी अनारक्षित वर्ग की और शेष बचा तीसरा हिस्से में एसटी..एससी दोनों ही वर्ग जाति के लोग आते हैं ।
एक तरफ से देखा जाए तो एक बार एक जाति और वर्ग के लिए आरक्षण होने के बाद दोबारा यह मौका 20 साल बाद ही आता है, धनपुरी में भी रोस्टर पद्धति के तहत इस बार पिछड़े वर्ग के लोगों को नगर का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है, बीते सप्ताह में जो चुनावी नतीजे सामने आए हैं और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में जिले में जनपद से लेकर जिला पंचायत तक भारतीय जनता पार्टी पर लोगों ने भरोसा जताया है, यही नहीं प्रदेश और केंद्र में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, यह भी हो सकता है कि 20 सालों के बाद जब दोबारा पिछड़े वर्ग के लोगों को मौका मिले तब ऐसी स्थितियां न हों, प्रदेश और केंद्र में बीजेपी आज की स्थिति में न हो, जब धनपुरी में दोबारा भारतीय जनता पार्टी के पिछड़े वर्ग के नेताओं और मतदाताओं को अपने जाति और वर्ग के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने का मौका मिले तो प्रदेश और केंद्र में गैर पार्टी की सरकार हो, ऐसी स्थिति में बीजेपी की टिकट मिलने और अध्यक्ष बनने के बाद भी ठीक से कार्य कर पाना ही नहीं बल्कि जीत कर परिषद में पहुंचना भी मुश्किल हो सकता है।

बहरहाल नगर पालिका चुनाव के उपरांत जो 9 पार्षद चुनकर सामने आए हैं उसमें एक नहीं बल्कि कम से कम 5 पार्षद ऐसे हैं जो पिछड़ी जाति वर्ग से हैं, भारतीय जनता पार्टी हमेशा परिवाद वाद और किसी भी एक व्यक्ति के कब्जे में सत्ता और संगठन को रखने की भूल या देने की भूल कभी नहीं की गई है।

विधानसभा चुनावों को ही देखे भाजपा ने लगातार जैतपुर विधानसभा से चुनाव जीतकर आते रहे पूर्व मंत्री जय सिंह मरावी को जैतपुर से जैसिंहनगर भेज दिया और जैतपुर में नए चेहरे को उतारा जिस कारण आशातीत सफलता भी मिली, लेकिन 5 सालों के दौरान जैतपुर विधायक श्रीमती मनीषा सिंह जिस तरह पार्टी की गुटीय राजनीति के दलदल में फंस गई, उसका नतीजा यह रहा कि अपने ही विधानसभा क्षेत्र के इकलौती जनपद पंचायत बुढार में उन्हें कांग्रेस से करारी शिकस्त मिली और यदि उन्हें आने वाले चुनावों में दोबारा पार्टी से टिकट की अपेक्षा है या फिर टिकट जीतने के बाद विधानसभा तक पहुंचना चाहती हैं तो उन्हें सबसे पहले गुटीय राजनीति से बाहर आना होगा, नए चेहरों को मौका देना होगा और धनपुरी नगरपालिका क्षेत्र की 35% पिछड़े वर्ग की आबादी जो भाजपा का वोट बैंक रही है और जिस ने बीते चुनावों में भाजपा पर भरोसा जताया था उसे संभाल कर रखना होगा।

इधर धनपुरी नगर पालिका के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनावों की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे ही भाजपा से चुनकर आए 9 पार्षदों में से वार्ड नंबर 1 से श्रीमती रविंद्र कौर छाबड़ा, वार्ड नंबर 4 से प्रवीण बरोलिया के अलावा वार्ड नंबर 19 से आनंद का कचेर, वार्ड नंबर 16 से नारायण जायसवाल और वार्ड नंबर 24 से स्कंद सोनी जैसे पिछड़े वर्ग के नेताओं के नाम उछलने लगे हैं, क्योंकि रविंदर कौर छाबड़ा पूर्व में भी पार्टी की नगर पालिका अध्यक्ष रही हैं तथा उनके परिवार को भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता से लेकर संगठन में पर्याप्त अवसर और सम्मान दिया है, दो दो बार पार्टी के जिला अध्यक्ष रहने के अलावा श्रीमती रविंद्र कौर के पति इंद्रजीत सिंह छावड़ा वर्तमान में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य भी हैं, वरिष्ठ और अनुभव होने के साथ ही पार्टी आने वाले दिनों में उन्हें विधानसभा की जिम्मेदारी दे सकती है, लेकिन उनके बीते कार्यकाल के दौरान उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, माननीय उच्च न्यायालय में लगी याचिकाएं भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं, यही नहीं पूर्व में नगर पालिका के चुनाव में श्रीमती रविंद्र कौर छाबड़ा के द्वारा सामान्य जाति से चुनाव लड़ा गया था, कांग्रेस के आरोप है कि उस समय श्रीमती रविंद्र कौर छाबड़ा ने नामांकन के साथ दिए गए शपथ पत्र में खुद को सामान्य जाति का बताया था और इस बार जो नामांकन और शपथ पत्र भरा गया है उसमें खुद को पिछड़ा वर्ग का होना बताया गया है, कांग्रेस के रणनीतिकारों ने न सिर्फ ये बल्कि अन्य दस्तावेज भी इकट्ठे कर लिए हैं और कांग्रेस के अंदर खाने की बात करें तो यहां से जो जानकारी सामने आई है उसमें कांग्रेस खुद चाहती है कि श्रीमती रविंद्र कौर छाबड़ा पर भाजपा दांव लगाए और आने वाले माहों में कांग्रेस आसानी से उनके लिए मुश्किलें खड़ा कर सकती है।

इधर वार्ड नंबर 24 से चल रहे युवा नेता को लेकर धनपुरी के युवाओं ने सोशल मीडिया पर अभी से उन्हें नगर की कमान सौंपने की कवायद रखी है, हालांकि यह भी संभव है कि यह सब भाजपा के उस गुट के द्वारा कराया जा रहा है जो नगर के प्रथम कुर्सी से स्कंद को दूर रखना चाहते हैं, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि अब नगर की जनता पुराने चेहरों पर दांव लगाने व कमान सौंपने की जगह नए चेहरे पर भरोसा करना चाहती है और उसे नगर की कमान सौंपना चाहती है, परिवर्तन प्रकृति का नियम है और भारतीय जनता पार्टी की रीति नीति भी यही रही है कि नए चेहरों और युवाओं को पार्टी में तरजीह दी जाए और उनकी ऊर्जा का उपयोग पार्टी को मजबूत करने में लगाया जा सके, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि स्कंद सोनी पूर्व जिला अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह छाबड़ा और उनके परिवार के काफी करीबी भी है यही नहीं गुटीय राजनीति से परे होने का फायदा भी उन्हें मिल सकता है उन पर भाजपा के नवनिर्वाचित पार्षद भी आसानी से सहमति बना सकते हैं। धनपुरी की चुनावी बयार किस और रहेगी यह तो कहा नहीं जा सकता लेकिन धनपुरी की जनता ने हमेशा न सिर्फ अप्रत्याशित नतीजे दिए हैं बल्कि शहडोल जिले की राजनीति का दुर्ग जाने वाली धनपुरी एक बार फिर नया इतिहास जरूर बनाएगी।

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