लिमिर होटल में एक्सपायरी कोल्ड ड्रिंक परोसी गई – खाद्य विभाग की मिलीभगत से शहर मौत के साए में

शहडोल। गांधी चौक स्थित लिमिर होटल में शनिवार को उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब शहर के नागरिक संजू मेहनी अपने बेटे को बिरयानी खिलाने के लिए होटल पहुंचे। खाने के साथ परोसी गई कोल्ड ड्रिंक पीते ही उनके बेटे ने बोतल की एक्सपायरी डेट देखी और पिता से कहा – “पापा, यह तो एक्सपायरी है।” बच्चे की मासूम आवाज़ सुनते ही संजू मेहनी सकते में आ गए और तत्काल होटल संचालक से सवाल किए।
होटल जैसी भीड़भाड़ वाली जगह पर ग्राहकों को एक्सपायरी कोल्ड ड्रिंक परोसना न केवल गंभीर लापरवाही है बल्कि उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य से सीधा खिलवाड़ भी है। संजू मेहनी का कहना है कि यदि उनका बेटा ध्यान न देता तो यह स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकता था। होटल संचालक ने मामले को “गलती” बताकर टालने की कोशिश की, लेकिन यह सवाल जस का तस है कि आखिर निगरानी करने वाले अधिकारी कहां हैं?
खाद्य विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में
स्थानीय नागरिकों ने तीखे शब्दों में कहा है कि जिला खाद्य एवं औषधि विभाग अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह भूल चुका है। सूत्रों का आरोप है कि विभागीय अधिकारी, जिनमें आर.के. सोनी और अन्य जिम्मेदार शामिल हैं, शासन से मोटा वेतन लेने के बावजूद नियमित जांच करना तो दूर, शहर के सैकड़ों होटल और दुकानदारों से “महावर पैसा” वसूलकर उन्हें खुलेआम जहरीला और नकली सामान बेचने की छूट दे चुके हैं।
लोगों ने आरोप लगाया कि विभाग ने अपना जमीर पैसों में बेच दिया है और शहरवासियों को मौत के साए में धकेल दिया है। दुकानों पर नकली मसाले, मिलावटी तेल, रासायनिक युक्त मिठाइयां और एक्सपायरी कोल्ड ड्रिंक तक खुलेआम बिक रही हैं, लेकिन अधिकारियों की आंखों पर नोटों की पट्टी बंधी है।
“जांच नहीं, सिर्फ वसूली होती है”
शहरवासियों का कहना है कि खाद्य विभाग की भूमिका केवल कागजों तक सीमित है। विभाग हर महीने दुकानदारों से मोटी रकम वसूल करता है, लेकिन न तो नियमित निरीक्षण होता है और न ही किसी पर कार्रवाई। जब कोई बड़ा हादसा होता है तब थोड़ी देर के लिए हलचल दिखती है, लेकिन बाद में सब कुछ पहले जैसा हो जाता है।
नागरिकों की मांग – सख्त कार्रवाई हो
इस घटना के बाद नागरिकों में गुस्सा है। लोगों ने मांग की है कि लिमिर होटल पर सख्त कार्रवाई हो और जिला खाद्य एवं औषधि विभाग की मिलीभगत की उच्चस्तरीय जांच की जाए। साथ ही शहर के सभी होटल और रेस्टोरेंट की तुरंत छापेमारी कर मिलावटी व एक्सपायरी सामान ज़ब्त किया जाए।
लोगों ने साफ कहा है कि जब तक खाद्य विभाग की मिलीभगत पर चोट नहीं की जाएगी, तब तक शहडोल जैसे छोटे शहरों में नकली और जहरीले उत्पादों का धंधा फलता-फूलता रहेगा और आम आदमी की जान खतरे में पड़ती रहेगी।