खदान बंद कर किसानों का फूटा गुस्सा: पांच साल से रोजगार और मुआवजे के लिए भटक रहे किसान

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(अनिल तिवारी)
शहडोल।एसईसीएल रामपुर बटुरा खुली खदान परियोजना से प्रभावित किसानों का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा। मंगलवार को क्षेत्र के सैकड़ों महिला-पुरुष किसानों ने खदान गेट पर पहुंचकर खदान को पूरी तरह बंद कर दिया। ठीक 11 बजे शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन में किसानों ने जमीन और रोजगार से जुड़ी समस्याओं पर जमकर आवाज बुलंद की।
किसानों का कहना है कि वर्ष 2016 से लेकर अब तक रोजगार और पुनर्वास- पुनर्स्थापना के मामले में केवल आश्वासन ही मिलते रहे हैं। प्रभावित ग्राम रामपुर और बेलिया के किसान लगातार एसईसीएल कार्यालय, तहसील और एसडीएम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। कहीं नाम सुधार तो कहीं कागज की त्रुटि बताकर फाइलों को फुटबॉल की तरह एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर भेजा जाता है। इस दौरान किसानों के पास जो थोड़ी-बहुत धनराशि थी, वह भी दस्तावेज सुधार के नाम पर खर्च हो गई। न रोजगार मिला और न मुआवजा।
स्थिति यह है कि परियोजना के चलते खेती-किसानी लगभग ठप हो चुकी है। धूल और प्रदूषण से गांव का पर्यावरण दूषित है। स्कूल भवन भी खदान के समीप संचालित हो रहा है, जिसे कलेक्टर के आदेश के बावजूद अब तक स्थानांतरित नहीं किया गया। वहीं पेड़-पौधों के मुआवजे की मांग करने पर किसानों को हर बार तहसील कार्यालय से सर्टिफिकेट न होने का हवाला दिया जाता है।
मंगलवार को हुए आंदोलन में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। किसानों ने नारे लगाए— “हम अपना अधिकार मांगते, किसी से भीख नहीं मांगते”, “किसान एकता जिंदाबाद”। उनका कहना था कि जब तक रोजगार और मुआवजे की मांग पूरी नहीं होगी, खदान पूरी तरह बंद रहेगी।
प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही प्रबंधन हरकत में आया। एरिया कार्मिक प्रबंधक श्री हेंब्रम, रामपुर बटुरा मैनेजर श्री जोड़े, एरिया राजस्व अधिकारी श्री सोनी, सहायक कार्मिक प्रबंधक चतुर्वेदी सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे। किसानों को समझाने की कोशिश हुई, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि समाधान के बिना आंदोलन खत्म नहीं होगा।
आंदोलन में सामाजिक कार्यकर्ता एवं किसान नेता भूपेश शर्मा, जनपद सदस्य चंद्रकुमार तिवारी, सरपंच-उपसरपंच राजाराम मिश्रा, सांसद प्रतिनिधि राजकमल मिश्रा, पूर्व सरपंच झोले बैगा, रमाकांत मिश्रा, संदीप रजक सहित कई स्थानीय प्रतिनिधि मौजूद रहे। किसानों ने दरी बिछाकर खदान गेट पर डेरा डाल दिया और साफ कहा कि हमारी मांगे पूरी होने तक खदान बंद ही रहेगी।
कुल मिलाकर, पांच साल से परेशान किसान अब आर-पार के मूड में हैं। उनका कहना है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस समाधान चाहिए।

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