जनता की अदालत में घिरे खाद्य निरीक्षक: शहडोल-अनूपपुर में निरीक्षण की पोस्ट बनी फजीहत का सबब, लोगों ने कहा त्योहारी वसूली का खेल शुरू

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शहडोल। खाद्य एवं औषधि विभाग के निरीक्षक आर.के. सोनी एक बार फिर चर्चाओं में हैं मगर इस बार कारण कोई बड़ी कार्रवाई या ईमानदार छवि नहीं, बल्कि जनता के गुस्से और तीखी प्रतिक्रियाएँ हैं। कलेक्टर कार्यालय के जनसंपर्क विभाग द्वारा फेसबुक पेज पर डाली गई एक पोस्ट में बताया गया कि दीपावली के अवसर पर खाद्य निरीक्षक आर.के. सोनी ने जयसिंहनगर और ब्यौहारी क्षेत्र के विभिन्न प्रतिष्ठानों जैसे बीकानेर स्वीट्स, अमन डेरी, अजय स्वीट्स आदि में निरीक्षण कर सैंपल लिए हैं।

लेकिन जैसे ही यह पोस्ट सोशल मीडिया पर आई, वैसे ही जनप्रतिनिधियों से लेकर आम नागरिकों तक ने कमेंट बॉक्स में विभाग और अधिकारी दोनों की कार्यशैली पर सवालों की बौछार कर दी। लोगों ने साफ लिखा साहब का जुगाड़ शुरू…, त्योहारी वसूली चालू, रिपोर्ट तो कभी आती ही नहीं, दीपावली तक तनमन से काम करेंगे, फिर गायब हो जाएंगे। कई यूजर्स ने तो यहां तक लिखा कि शहडोल और अनूपपुर में जांच सिर्फ दिखावे की होती है, मिलावट पर कार्रवाई कभी नहीं होती।”

एक यूजर ने व्यंग्य करते हुए लिखा, फिर सोनी जी एक साल बाद नजर आएंगे। वहीं एक अन्य ने कहा, दीपावली का जुगाड़ कर रहे हैं, उसके बाद सालभर आराम।
दूसरे कमेंट्स में आरोप लगाए गए कि आर.के. सोनी हमेशा त्योहारों में दुकानदारों से मिलावट जांच के नाम पर अवैध वसूली करते हैं, और कलेक्टर तक को भ्रम में रखते हैं।

फेसबुक पर सैकड़ों प्रतिक्रियाओं में विभाग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठे। कई नागरिकों ने लिखा कि शहर में 60–70 रुपए लीटर तक का दूध बिक रहा है, जिसमें पानी की मात्रा इतनी है कि चाय तक नहीं बन पाती, लेकिन विभाग ने अब तक किसी पर कार्रवाई नहीं की। लोगों ने मांग की कि हर महीने डेयरी और मिठाई दुकानों का सैंपल लेकर जांच की जाए और दोषी पाए जाने पर कठोर दंड दिया जाए।

कई यूजर्स ने टिप्पणी की कि शहडोल और अनूपपुर दोनों जिलों का प्रभार संभालने वाले सोनी जी पर पहले भी रिश्वतखोरी और वसूली के आरोप लगे हैं, पर हर बार मामला दबा दिया गया।वहीं कुछ ने कहा कि खाद्य निरीक्षण सिर्फ दिखावे के लिए है, जबकि मिलावटखोरी खुलेआम चल रही है।

इन टिप्पणियों के बीच सोशल मीडिया पर आम जनता ने यह भी सवाल उठाया कि जनसंपर्क विभाग की पोस्ट का उद्देश्य क्या था पारदर्शिता दिखाना या आलोचनाओं का अवसर देना? क्योंकि पोस्ट के बाद जिस तरह से लोगों ने विभाग और अधिकारी पर टिप्पणियाँ कीं, उससे यह साफ हो गया कि जनता का भरोसा इस व्यवस्था से उठ चुका है।

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस जन प्रतिक्रिया को कितना गंभीरता से लेता है। क्या वास्तव में मिलावटखोरी पर सख्ती दिखाई जाएगी या यह निरीक्षण भी हर बार की तरह त्योहारी रस्म बनकर रह जाएगा?

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